भौगोलिक दृष्टि से भारत को छ क्षेत्रों में बाँटा गया है जो उत्तरी भारत, मध्य भारत, पूर्वी भारत, पश्चिमी भारत, दक्षिणी भारत और हिमालय क्षेत्र के रूप में जाने जाते हैं। उत्तर भारत में कुल 5 राज्य हैं और 4 यूनियन टेरेटरी है। यह राज्य पंजाब, उत्तर प्रदेश, उतराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश उत्तरी भारत के पाँच राज्य और चण्डीगढ, लद्दाख, दिल्ली और जम्मू कश्मीर यह 4 यूनियन टेरेटरी हैैैं। इन क्षेत्रों का मौसम का हाल जानना के लिए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने सभी राजधानियों में मौसम विज्ञान विभाग के मौसम विज्ञान केंद्र बनाए हैं
उत्तर प्रदेश के मौसम की जानकारी
उत्तर प्रदेश उत्तरी भारत का आबादी के दृष्टिकोण से सबसे बड़ा राज्य है। इसके उत्तर में नेपाल व उत्तराखण्ड, दक्षिण में मध्य प्रदेश, पश्चिम में हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान तथा पूर्व में बिहार तथा दक्षिण-पूर्व में झारखण्ड व छत्तीसगढ़ राज्यों की सीमाएं मिलती हैं। इसके उत्तरी एवम पूर्वी भाग में पहाड़ तथा पश्चिमी एवम मध्य भाग में मैदान हैं। उत्तर में हिमालय, मध्य में गंगा का मैदानी भाग और दक्षिण में विन्ध्याचल पर्वत श्रृंखला है। विन्ध्याचल एक पठारी क्षेत्र है, इसमें पहाड़, मैंदान और घाटियाँ हैं। इस क्षेत्र में पानी के श्रोत कम हैं। यहाँ का मौसम गर्म और जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसून से प्रभावित रहती है। राज्य का दिसंबर और जनवरी में औसत तापमान 12.50 से 17.50 से. रहता है तथा मई-जून में यह 32.50 से 42.50 से. के बीच रहता है। अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक जाता है। पूर्वी भाग में 1,000 से 2,000 मिमी तक वर्षा होती है और राज्य के पश्चिम में 610 से 1,000 मिमी के बीच वर्षा होती है। यहाँ लगभग 90 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के कारण होती है। बरसात का मौसम जून से सितम्बर तक रहता है। इन चार महीनों में बारिश के कारण बाढ़ की समस्या आ जाती है। मानसून न आने या कम होने से सूखा पड़ जाता है जिससे फ़सल का नुक़सान होता है। हवा में आर्द्रता लगभग 20% व उससे भी कम रहती है और पूरे मौसम में धूल भरी हवाएँ चलती हैं। गर्मियों में, पूरे उत्तर प्रदेश में लू, आँधी, तूफान और गर्म हवाएँ चलती हैं।
उत्तराखंड के मौसम की जानकारी
यह एक हिमालय श्रंखला का पहाड़ी राज्य है इसके उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं जबकि पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश की सीमा लगती है। भारत की सबसे बड़ी नदियाँ गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री इसी राज्य में हैं। यह राज्य 28° 43’ N से 31°27’ N अक्षांश और 77°34’ E से 81°02’ E देशांतर रेखाओं के बीच स्थित बर्फ से ढकी हिमालय की ऊँची चोटियों और वनों से युक्त घाटियाँ वाला राज्य है। राज्य के उत्तर और उत्तरपूर्व में मौसम हिमालयी उच्च भूमि पर मॉनसून का वर्ष पर बहुत प्रभाव रहता है। राज्य में वार्षिक औसत वर्षा 1608 मिलीमीटर होती है। राज्य का अधिकतम तापमान पंतनगर में ४०.२ डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -५.४ डिग्री से. मुक्तेश्वर में रहता है। राज्य के औली, गोरसों, हेमकुण्ड साहिब, बदरीनाथ, केदारनाथ और दूसरी चोटियों पर भी जबर्दस्त हिमपात होता है।
उत्तरकाशी में गंगोत्री और यमुनोत्री की ऊंची चोटियाँ पर बर्फ की सफेद चादर से ढकी रहती हैं। जबकि निचले इलाकों में बारिश होती है। मौसम विज्ञान केन्द्र उत्तराखंड के ऊँचाई वाले जिलों और धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों को यात्रा न करने की सलाह देते हैं यही कारण है कि सितम्बर से अप्रैल महीने के बीच लोग धार्मिक यात्रा न करें इसलिए बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम के कपाट बन्द कर दिये जाते हैं। बारिश के मौसम में भी पहाड़ों के टूटने और भूस्खलन की घटनाएं अक्सर हो जाता है और कभी-कभी बादल फटने की घटनाएं भी होती हैं। इन मौसम संबंधी आपदाओं से बचने के लिए मौसम विज्ञान केन्द्र येलो अलर्ट जारी करते हैं, अपनी वेबसाइट पर राडार मैप भी शो करते हैं।
हिमाचल प्रदेश के मौसम की जानकारी
उत्तर भारत के इस पर्वतीय राज्य के उत्तर में जम्मू और कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश हैं पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएं हैं। इसे देवभूमि भी कहा जाता है।
सामान्य तौर पर उत्तरी भारत के इस राज्य में मौसम साल में सर्दी, गर्मी और बरसात के रूप में चार चार महीने का होता है। उत्तराखंड, हिमाचल, लद्दाख, कश्मीर में यह मौसम ज्यादातर ठंडा ही रहता है। लेह, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश के ऊपरी हिस्से में, उत्तर कश्मीर, और उत्तराखंड के बद्रीनाथ, केदारनाथ धाम जैसे क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में भी तापमान 10-15 डिग्री के बीच रहता है। कुल्लू, मनाली, शिमला और रोहतांग जैसे स्थानों पर बर्फबारी, बर्फीले तूफान आते हैं। बारिश के मौसम में बादल फटने की घटनाएं भी होती हैं। बर्फबारी के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं। हिमाचल प्रदेश की समुद्र तल से ऊँचाई की भिन्नता के कारण जलवायु में भी क्षेत्रवार अलग-अलग रहती है। ऊपरी इलाकों में पूरे वर्ष बर्फ गिरती रहती है तो निचले क्षेत्रों में गर्मी होती है। हिमाचल में गर्म पानी के चश्में भी हैं तो बर्फ़ से ढके हिमनद भी हैं।
जम्मू-कश्मीर के मौसम की जानकारी
जम्मू और कश्मीर हिमालय पर्वत शृंखला के सबसे ऊँचे हिस्सों में स्थित है, और इसे अपनी प्राकृतिक सौंदर्य, ठंडे मौसम और संसाधनों के लिए जाना जाता है। जम्मू नगर जम्मू प्रांत का सबसे बड़ा नगर तथा राज्य की शीतकालीन राजधानी थी, वहीं कश्मीर में स्थित श्रीनगर गर्मी के मौसम में राज्य की राजधानी रहती थी
कश्मीर के अधिकांश क्षेत्र पर्वतीय हैं। केवल दक्षिण-पश्चिम में कुछ मैदानी क्षेत्र हैं। कश्मीर में विशाल पर्वत श्रृंखला हैं। उत्तर में काराकोरम तथा दक्षिण में हिमालय की जास्कर श्रेणी हैं। इनके बीच सिंधु नदी की सँकरी घाटी है। हिमालय की प्रमुख श्रेणी की दक्षिणी ढाल की ओर कश्मीर की घाटी है
प्कश्मीर के तीन भाग हैं पहला जम्मू क्षेत्र की पहाड़ियाँ तथा मध्यवर्ती पर्वत श्रंखला। दूसरा कश्मीर घाटी और तीसरा भाग लद्दाख, बल्टिस्तान एवं गिलगित के क्षेत्र हैं।
पीरपंजाल की श्रंखला दक्षिण-पश्चिमी मानसून को बहुत हद तक रोक लेती हैं फिर भी कभी-कभी मानसूनी हवाएँ घाटी में पहुँचकर घनघोर वर्षा करती हैं। यहाँ अधिकांश वर्षा वसंत के मौसम में होती है। वर्षा ऋतु में लगभग 2956.56 मिलीमीटर तथा जनवरी-मार्च में 2468.88 मिलीमीटर वर्षा होती है। भूमध्यसागरी चक्रवातों के कारण हिमालय के पर्वतीय क्षेत्र में, विशेषतया पश्चिमी भाग में, खूब हिमपात होता है। यह बर्फबारी अक्टूबर से मार्च तक होती रहती है। पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण यहाँ की जलवायु तथा वनस्पतियाँ भी पर्वतीय हैं।
जम्मू-कश्मीर में जम्मू का मौसम लगभग उत्तरी भारत के दूसरे मैदानी इलाकों के जैसा ही रहता है। लेकिन जैसे- जैसे आप श्रीनगर की ओर बढ़ते जाएँगे तो मौसम ठंडा होता जाएगा। पत्नीटाॅप पर तो नवम्बर से ही बर्फबारी शुरू हो जाती है जो मार्च अप्रैल तक जारी रहती है। कश्मीर के द्रास और कारगिल इलाकों में तो सर्दी के मौसम में तापमान शून्य डिग्री से नीचे चला जाता है। दक्षिण कश्मीर में भी नवम्बर से लेकर अप्रैल तक बर्फबारी होती है। और श्रीनगर की डलझील तो इन महीनों में जम जाती है। उत्तरी कश्मीर में मौसम विज्ञान विभाग कभी-कभी तेज हवा, बर्फीले तूफान और एवलांच के खतरों से बचने के लिए एडवाइजरी जारी करता है और पर्यटकों को इन क्षेत्रों में न जाने की सलाह देता है।
मौसम विज्ञान विभाग जम्मू और कश्मीर में लोकल लोगों को उर्दू और डोगरी भाषा में मौसम آج کا موسم, और सिंधी भाषा में मौसम موسم के समाचार अखबार और टीवी, रेडियो पर प्रसारित करता है।
पंजाब और हरियाणा के मौसम की जानकारी
हरियाणा
इसके उत्तर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश, दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान है। यमुना नदी के साथ उत्तर प्रदेश राज्य के साथ पूर्वी सीमा को मिलाती है। दिल्ली, हरियाणा से तीन ओर से घिरी हुई है। हरियाणा के मैदानी इलाकों में मौसम गर्मियों में बहुत गर्म, जबकि सर्दियों में मध्यम ठंडा रहता है। सबसे गर्म महीने मई और जून के होते हैं, जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है दिसंबर और जनवरी सबसे ठंडे महीने रहते हैं। राज्य के पश्चिमी तथा मध्य हिस्सों की जलवायु अर्द्ध शुष्क है, उत्तरी तथा पूर्वी क्षेत्रों की गर्म भूमध्यसागरीय, जबकि दक्षिणी क्षेत्रों की जलवायु मरुस्थलीय है।
यहाँ साल में अधिकतम वर्षा 216 सेमी, जबकि न्यूनतम वर्षा 25 से 38 सेमी तक रिकॉर्ड की जाती है। जुलाई से सितंबर के महीनों के दौरान लगभग 80% बारिश होती है, और शेष वर्षा दिसंबर से फरवरी के बीच होती है।
पंजाब
पंजाब के पश्चिम में पाकिस्तानी पंजाब की अंतरराष्ट्रीय सीमा है। उत्तर में जम्मू और कश्मीर, उत्तर-पूर्व में हिमाचल प्रदेश, दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में हरियाणा, और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान राज्य हैं। पांच नदियों सतलुज, व्यास, रावी, चिनाब और झेलम के कारण इसे पंजाब कहा गया। यहां भारत के कुल गेहूं उत्पादन का 60% और चावल का 40% उत्पादन होता है।
पंजाब और हरियाणा के किसानों को गेहूं और धान की फसल को मौसम की मार से बचाने के लिए मौसम विज्ञान केन्द्र चेतावनी देते हैं सर्दियों में फसल को पाले और ओलों की बारिश से बचाने के लिए 10-15 दिन पहले ही मौसम का पूर्वानुमान बता देते हैं जिससे कि किसान अपनी फसल को बर्बाद होने से बचा सकें। जैसे पाले से बचाने के लिए खेतों में पानी सिंचाई कर देना। इसी तरह से गर्मियों में लू, आँधी, तूफान, और बवंडर आदि से बचने के लिए मौसम विज्ञान केन्द्र ये लो अलर्ट या अधिक खतरा होने पर रेड अलर्ट जारी करते हैं। पंजाब, और हरियाणा के लोगों के लिए चण्डीगढ़ मौसम विज्ञान केन्द्र मौसम की जानकारी पंजाबी भाषा में देते हैं। वहाँ के लोकल समाचार पत्र, टीवी चैनल, रेडियो, एफ एम चैनल आदि राज्य के मौसम (ਮੌਸਮ) के समाचार पंजाबी भाषा में देते हैं जिससे कि वहाँ के दूरदराज के इलाकों में भी लोगों को मौसम (ਮੌਸਮ) का समाचार मिलता रहे।