पूर्वी भारत, में भारत के पूरब के क्षेत्र आते हैं। इन राज्यों में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार एवं झारखंड राज्य शामिल हैं। यहां प्रमुख भाषाओं में हिन्दी, संथाली, बांग्ला, उड़िया, तथा मैथिली बोली जाने वाली भाषाएं हैं। यहां के बड़े महानगरों में कोलकाता, रांची, जमशेदपुर, धनबाद, भुवनेश्वर, पटना, बोकारो, कटक, राउरकेला शामिल हैं।
मौसम विभाग का रीजनल सेन्टर कोलकाता में है जिसका प्रमुख उपमहानिदेशक होता है। इसके अलावा पटना, राँची, भुवनेश्वर में भी मौसम विज्ञान केन्द्र बनाये गये हैं।
बिहार के मौसम की जानकारी
बिहार के उत्तर में हिमालय पर्वत की श्रंखला है जिसका अधिकांश क्षेत्र नेपाल में है। हिमालय से निकलने वाली कोसी, गंडक, घाघरा और अन्य कई नदियाँ तथा जलधाराएँ बिहार से होकर प्रवाहित होती हैं। यह सभी नदियां गंगा में मिल जाती हैं। वर्षा के मौसम में अक्सर इन नदियों में बाढ़ आ जाती है जो राज्य के इस क्षेत्र में भारी तबाही मिटाती है। उत्तरी बिहार की यह एक बड़ी प्राकृतिक समस्या है। शायद इसीलिए इस क्षेत्र को खादर कहा जाता है। क्योंकि गंडक और कोसी के सभी क्षेत्रों में बरसात के मौसम में बाढ़ आने यहाँ की मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है।
बिहार राज्य के मौसम में औसत तापमान गर्मी के मौसम में 35 ° डिग्री सेल्सियस से लेकर 48° सेल्सियस तक रहता है और सर्दियों में 5-15 डिग्री सेल्सियस रहता है। बिहार में सर्दियों का मौसम नवंबर से फरवरी तक रहता है। गर्मियों का मौसम मार्च से लेकर जून के महीने के अंत तक रहता है। जुलाई से सितम्बर या अक्टूबर के मध्य तक बरसात का मौसम रहता है। बरसात के मौसम में औसतन 1205 मिलीमीटर वर्षा की गणना की जानकारी मिलती है। दक्षिणी बिहार कुछ मात्रा में पठारी है इधर सोन नदी सबसे बड़ी नदी है अन्य फाल्गु, किऊल, पुनपुन छोटी सहायक नदियाँ हैं यह सभी गंगा में विलय करती हैं। क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केन्द्र राज्य के मौसम की जानकारी में तापमान, हवाओं की गति, आँधी, तूफान, बादलों की स्थिति और बारिश की संभावना से सभी जिलों को जानकारी देता रहता है। मौसम केन्द्र अपनी वेबसाइट पर राडार मैप भी अपलोड करता है और किसी मौसमी आपदा आने से पहले ही पूर्वानुमान बताकर एडवाइजरी जारी करता है। जैसे बारिश के मौसम में जब हिमालय के तराई क्षेत्र में बादलों की स्थिति और बारिश की संभावना बनती है तो मौसम विज्ञान विभाग उत्तरी बिहार और हिमांचल के लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी देता है।
पश्चिम बंगाल के मौसम की जानकारी
पश्चिमी बंगाल और बिहार की सीमाएं आपस में मिलती हैं बिहार के भागलपुर से निकल कर गंगा नदी झारखंड के साहेबगंज से होकर बंगाल में प्रवेश करती है। पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में फरक्का में गंगा नदी के किनारे राज्य का सबसे बड़ा पावर प्लांट बनाया गया है। पश्चिम बंगाल की सीमाएं नेपाल, सिक्किम, भूटान, असम, बांग्लादेश, ओडिशा, झारखण्ड और बिहार से मिलती हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तर में सिक्किम, उत्तर-पूर्व में असम, पूर्व में बांग्लादेश, दक्षिण में बंगाल की खाड़ी व उड़ीसा तथा पश्चिम में बिहार और झारखण्ड राज्य की सीमाएं मिलती है।
पश्चिम बंगाल के उत्तर में हिमालय पर्वत श्रंखला का पूर्वी हिस्सा है और दक्षिण में बंगाल की खाड़ी है। उत्तर से दक्षिण तक प्रदेश की भौगोलिक स्थिति में बहुत विविधता दिखाई देती है। जहाँ उत्तर में दार्जिलिंग के पहाड़ों का क्षेत्र है जो हिमालय पर्वत श्रंखला के अंग हैं। जिसमें राज्य का सर्वोच्च शिखर प्रसिद्ध संदक्फू चोटी आती है। यहाँ से दक्षिण की ओर चलने पर, एक छोटा तराई का क्षेत्र, उसके बाद मैदानी भाग आरम्भ होता है जो दक्षिण में गंगा के डेल्टा के साथ खत्म होता है। पश्चिम की ओर का हिस्सा पठारी है।
पश्चिम बंगाल का मौसम मुख्यतः उष्णकटिबन्धीय रहता है। बंगाल की खाड़ी के किनारे होने कारण दक्षिण बंगाल का अधिकांश भाग में जल की उपस्थिति मौसम को परिवर्तित करने में अहम भूमिका निभाती है। वाष्पीकरण के चलते वातावरण में नमी बनी रहती है। बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवात और विछोभ के कारण इस क्षेत्र में साइक्लोन आने का खतरा बना रहता है। सुन्दरवन डेल्टा का मौसम बहुत सुहाना रहता है। मौसम विज्ञान केन्द्र कोलकाता से राज्य के सभी जिलों को संभावित मौसम के खतरों की पहले से ही चेतावनी दी जाती है। साइक्लोन के खतरे से बचाने के लिए मछुआरों को समुद्र में जाने से मना किया जाता है। यह साइक्लोन बंगाल की खाड़ी से उठ पश्चिम बंगाल के साथ साथ उससे सटे झारखंड में भी तबाह मचाते हैं। यहाँ का मौसम विज्ञान विभाग लोकल भाषा बांग्ला में मौसम (আবহাওয়া) की बुलेटिन भी जारी करता है।
झारखण्ड के मौसम की जानकारी
झारखण्ड को झार मतलब जंगल की भूमि कहा जाता है। वहीं इस राज्य का मौसम जमशेदपुर, धनबाद तथा बोकारो जैसे औद्योगिक केन्द्रों की वजह से भी प्रभावित होता है। राज्य के उत्तर पूर्व में संथाल परगना का कुछ हिस्सा गंगा के मैदान में स्थित है, साहिबगंज जिला से होकर गंगा बंगाल की ओर बहती है। प्रदेश के छोटा नागपुर पठारी भाग से कोयल, दामोदर, ब्रम्हाणी, खड़कई, एवं स्वर्णरेखा नदियाँ निकलती हैं जिनका अधिकतर हिस्सा झारखण्ड में वन-क्षेत्र है। नम मौसम और जलीय क्षेत्र होने से यहाँ हाथियों की बहुत संख्या रहती है। राज्य के दूसरे हिस्से बेतला अभ्यारण्य में मौसम के सुहावने होने से जंगली जानवरों जैसे बाघ, साम्भर, हाथी, हिरन, चीतल और तमाम अन्य जानवर रहते हैं। बारिश के मौसम में दामोदर नदी बहुत तबाही मचाती है।
उड़ीसा के मौसम की जानकारी
उड़ीसा राज्य पूर्वी भारत का लंबा समुद्र तटीय राज्य है। इसके उत्तर में झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्य हैं और पश्चिम में छत्तीसगढ़ है। दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश राज्य है। हिंद महासागर में बंगाल की खाड़ी के साथ ओडिशा की तटीय सीमा रेखा 485 किलोमीटर लंबी है। जिसके कारण इस राज्य में विभिन्न मौसमी और प्राकृतिक आपदाओं का हमला होता रहता है। समुद्री तूफान राज्य के कोस्टल रीजन को अपना शिकार बनाते रहते हैं। मौसम विज्ञान केन्द्र इन क्षेत्रों में तूफान आने से पहले ही पूर्वानुमान बताते हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट होने की एडवाइजरी जारी करते हैं। मौसम विज्ञान विभाग की मदद से ही अब इस क्षेत्र में तबाही को बहुत कम किया जा सका है। मौसम और प्राकृतिक सुन्दरता के कारण यह पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना रहता है। मौसम विज्ञान विभाग की सहायता से इस राज्य की कृषि ने 32 प्रतिशत विकास में योगदान दिया है। इसी से यह राज्य विकास में झारखंड और पश्चिम बंगाल से आगे है।