भारत में वसंत ऋतु को ऐसे ही ऋतुराज नहीं कहा जाता है। यह मौसम नवांकुर जीवन का सबसे बेहतरीन मौसम होता है। इस मौसम में प्रकृति अपनी बहुआयामी प्रतिभा का प्रदर्शन करती है। शीत और पतझड़ के नीरस जीवन के बाद प्रकृति तरह-तरह के प्राकृतिक पेड़-पौधों और वनस्पतियों के रंग, सुगंध और खिलती हुई सुंदरता से जीवंत हो उठती है। सर्दियों की कड़कड़ाती ठंड के बाद फरवरी से अप्रैल तक, लगभग पूरे भारत में सुबह की गुनगुनी धूप और शाम की मनमोहक ठंड आपको अधिक ऊर्जावान और सुखद जीवन का अनुभव कराती है। भारत के अधिकांश भाग में आपको प्राकृतिक सुन्दरता और चित्ताकर्षक अजूबों को देखने का यह सबसे अनुकूल समय होता है। आपको इस मौसम में भारत के विभिन्न राज्यों, शहरों और उद्यानों में पुष्प महोत्सव और वनस्पतियों की समृद्ध पारंपरिक विरासत और विविधता का संगम देखने को मिलता है। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं और तमाम तरह के फूलों को देखने और प्लांटेशन का शौक रखते हैं या प्राकृतिक सुन्दरता की शांतिपूर्ण तलाश कर रहे हों तो वसंत ऋतु में भारत की वानस्पतिक सुंदरता का आनंद लेने के लिए आपको कुछ आदर्श दर्शनीय उद्यानों का दर्शन अवश्य करना चाहिए।
हम आपको वसंत ऋतु में घूमने के लिए बेहतरीन पुष्पमहोत्सव और वनस्पति उद्यानों के बारे में बताएंगे, जो आपको भारत के विविधतापूर्ण उद्यानों के आकर्षण और वानस्पतिक विरासत का परिचय करवायेंगे और उन सुरम्य छटाओं में भाव-बिभोर होकर अपनी विशाल सुन्दरता की गोद में डूबने का अवसर प्रदान करेंगे।
1.उत्तराखंड में फूलों की घाटी का पुष्प महोत्सव;
कब जाएँ: उत्तराखण्ड में फूलों की घाटी का पुष्प महोत्सव मई से अक्टूबर तक का समय सबसे अच्छा समय होता है। जुलाई में फूलों की घाटी को ट्रेकर्स, पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए खोल दिया जाता है। जुलाई की शुरुआत में हरी-भरी घाटी देखना बेहद खूबसूरत और आकर्षक लगता है। जुलाई के पहले हफ़्ते से तमाम तरह के फूल खिलने लगते हैं। प्रतिवर्ष यह सुरम्य घाटी पर्यटकों के लिए 1 जून से खोल दी जाती है। और अक्टूबर के अंत होते ही इसे बंद कर दिया जाता है। इस वैली आफ फ्लावर्स को आप वेबसाइट पर भी देख सकते हैं।
क्या अनुभव करें:
करामाती घाटी: उत्तराखंड की यह फूलों की घाटी का राष्ट्रीय उद्यान एक यूनेस्को द्वारा संरक्षित एक विश्व धरोहर स्थल है। इसे अल्पाइन वनस्पतियों के लिए जाना जाता है। यह घाटी दुर्लभ और विदेशी हिमालय पर्वत की प्रचुर वनस्पतियों से भरपूर है और यहाँ एनीमोन, गेरेनियम, प्रिमुला, ब्लू पॉपी और ब्लूबेल सहित 300 से अधिक फूलों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। लेकिन यहाँ का सबसे अद्भुत फूल ब्रह्म कमल है, जो उत्तराखंड राज्य का राज्य पुष्प भी है। इस घाटी में मैरीगोल्ड और ऑर्किड जैसे कुछ रंग-बिरंगे और अविश्वसनीय फूलों का नजारा आपको देखने को मिलेगा। वसंत ऋतु में यह घाटी रोडोडेंड्रोन, प्रिमुलस, ऑर्किड और पॉपपीज़ सहित फूलों की तमाम प्रजातियों से सजी-अजी आपका मन मोह लेगी। अल्पाइन फूलों के मनमोहक मैदान, वनस्पतियों और तमाम जीवों की समृद्धि से भरपूर और बर्फ से ढकी चोटियों का इससे बढ़िया अद्भुत नज़ारा आपको और कहीं नहीं देखने को मिल सकता है। पुष्प विविधता आपको घाटी के ब्रह्म कमल और ब्लू पॉपी जैसे दुर्लभ और स्थानीय फूलों के साथ इसके प्राकृतिक और वानस्पतिक विविधता एक तरह से स्वर्ग का अनुभव कराती है।
लंबी पैदल यात्रा और फोटोग्राफी: वसंत ऋतु में इस घाटी की हरी-भरी घास के मैदानों में ट्रैकिंग करने का बड़ा आनंददायक अनुभव देता है। और यहाँ पर जीवंत फूलों और बर्फ से ढके पहाड़ों की लुभावनी तस्वीरें खींचने का सही समय है। यह घाटी खूबसूरत फूलों के साथ हिमालय की विशाल पर्वतमाला एक अद्भुत दृश्य का अनुभव करवाती है। इस घाटी का ट्रेक घने जंगलों से होकर गुजरता है जो ट्रेकर्स को पुष्पावती नदी तक ले जाता है। इस रास्ते में कई खूबसूरत पुल, ग्लेशियर और झरने पड़ते हैं। जहाँ पर आप दिल खोलकर फोटोग्राफी कर सकते हैं। भारत के सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक फूलों की घाटी अपनी खूबसूरती से दुनिया भर से पर्यटकों और ट्रेकर्स को आकर्षित करती हैं। अल्पाइन फूलों के मनमोहक मैदान, वनस्पतियों और जीवों की समृद्धि और बर्फ से ढकी चोटियों का एक विहंगम और अद्भुत दृश्य आपको कहीं और नहीं देखने को मिलेगा। और अगर आप भाग्यशाली हुए तो आप इस क्षेत्र में भेड़, कस्तूरी मृग, भालू और हिम तेंदुए भी देखने को पा सकते हैं।
2.जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर का ट्यूलिप का पुष्प महोत्सव,
कब जाएँ:
ट्यूलिप महोत्सव का आयोजन आम तौर पर मार्च से अप्रैल तक किया जाता है। इस समय श्रीनगर के इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्यूलिप गार्डन में विश्व प्रसिद्ध ट्यूलिप पूरी तरह से खिलते हैं। अब इसमें पाँच नई किस्म के ट्यूलिप लगाए गये हैं। पूरे गार्डेन में लगभग 2 मिलियन ट्यूलिप लगाए जाते हैं। मार्च के दूसरे या तीसरे सप्ताह में ट्यूलिप फेस्टिवल मनाया जाता है। यह उत्सव लगभग बीस दिन तक चलता है। उसके बाद यह गार्डन आम लोगों के लिए खोल दिया जाता है। श्रीनगर घूमने के लिए जाने वाले पर्यटकों के लिए यह गार्डन आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
क्या अनुभव करें:
श्रीनगर का ट्यूलिप गार्डन 30 हेक्टेयर या 75 एकड़ में फैला है जो गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है और यहाँ से सामने डल झील का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। वसंत ऋतु के आगमन पर श्रीनगर का यह ट्यूलिप गार्डन जीवंत हो उठता है। आप यहाँ पर लाल, पीले, गुलाबी और बैंगनी रंगों के 60 से अधिक किस्मों के ट्यूलिप देखने को पाएंगे। बैकग्राउंड में बर्फीली चोटियों के साथ ट्यूलिप गार्डेन का दृश्य अद्भुत लगता है।
सांस्कृतिक उत्सव: इस ट्यूलिप महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम, लोकल शिल्प कला और कश्मीरी व्यंजनों का स्वाद आपके पर्यटन आनंद में चार चाँद लगा देता है। इस ट्यूलिप गार्डेन को फूलों की सुंदरता और क्षेत्रीय विरासत के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
डल झील पर नाव की सवारी: डल झील में नाव या शिकारा की सवारी करते हुए आप डर झील में खिले लिली के फूलों के साथ-साथ ट्यूलिप गार्डेन में खिले रंग बिरंगे फूलों के पीछे बर्फ से ढके पहाड़ों की चोटियों को देखकर धरती पर उतरे स्वर्ग का अनुभव करेगें।
3. दिल्ली का द गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज।
कब जाएँ:
दक्षिणी दिल्ली के महरौली और साकेत के बीच स्थित यह पार्क पुरातत्वीय धरोहर के पास 20 एकड़ में फैले इस उद्यान में वैसे तो पूरे साल भर दर्शकों और पर्यटकों का आना- जाना लगा रहता है। लेकिन वसंत ऋतु के आते ही, फरवरी से अप्रैल के बीच पर्यटकों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। इस समय तमाम तरह के रंग बिरंगे फूल और पौधे पूरी तरह से खिल उठते हैं, जो यहाँ के वातावरण को विशेष रूप से जीवंत कर देते हैं और आने वाले दर्शकों और पर्यटकों को सुखद अनुभव प्रदान करते हैं। पर्यटकों के लिए इस उद्यान के खुलने का समय सुबह 9 बजे से है और बंद होने का समय अप्रैल से सितम्बर के बीच शाम 7 बजे तक जबकि अक्टूबर से मार्च तक शाम 6 बजे रहता है। व्यस्क तथा बच्चे एवं बूढ़े लोगों के लिए प्रवेश शुल्क क्रमश: 20 रुपए एवं 10 रूपए है जबकि दिव्यांगों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है। इस उद्यान में साइट फिल्मांकन एवं फोटोग्राफी के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है।
क्या अनुभव करें:
संवेदनशील अनुभव: इस गार्डन ऑफ फाइव सेंसेज में आप 200 से भी अधिक प्रकार के तमाम सुगंधित फूल- पौधों का संग्रह आपको देखने को मिलेगा। उसके साथ ही साथ आपको 25 से अधिक मिट्टी एवं पत्थरों के शिल्प आप देखेंगे। शरीर की पाँच इन्द्रियाओं को तृप्त करने के लिए बने इस उद्यान में आप रंग, गंध, ध्वनि एवं स्वाद का अनुभव करेगें। इस उद्यान का शांत, नीरव एवं मनमोहक क्षेत्रफल प्रेमी जोड़ों के बीच खासा लोकप्रिय है। आप इस उद्यान में ध्वनि और प्रकाश से युक्त फव्वारों और मूर्तियों को देखकर बरबस ही वाह-वाह कहने लगेंगे। वसंत ऋतु में यह उद्यान अपने गुलाब के बगीचों, वाटर लिली और सुगंधित जड़ी-बूटियों के पौधों के साथ आपके मन -मस्तिष्क को असीम शांति देता है।
बोटैनिकल ट्रेल्स: जहाँ एक तरफ इस उद्यान में रंग- बिरंगे वासंती फूलों का आनंद लेते हुए आप अपने आँख और नाक को तृप्त कर सकते हैं, तो वहीं दूसरी ओर उद्यान के बीचों बीच एक छोटे से तलाब के पास बना स्टील का बना फव्वारा भी खास है जिसमें लगी घंटियाँ एवं झाड़ियों के बीच चिडियों की चहचहाट और बगीचे के विभिन्न थीम वाले मधुर संगीत आपके कानों में मिठास घोलता सुनाई देगा और आपके मन को बड़ा सुकून देता है। इस सुगंधित उद्यान में एक विशेष जड़ी-बूटी उद्यान और बांस कोर्ट का निर्माण किया गया है। उद्यान के दूसरे हिस्से में नील-बाग है जहाँ छोटे-छोटे तालाबों में खिले कमल, कुमुदिनी, लताएँ एवं खास किस्म की झाडियाँ आपको देखने को मिलेंगी। पौधों के ब्लाक में आप कल्प वृक्ष, अर्जुन, रूद्राक्ष, कदम्ब, कर्पूर, सागवान, खास किस्म के कैक्टस एवं बांस एवं दुर्लभ जड़ी-बूटियों के पौधों को देख सकते हैं।
सांस्कृतिक और कलात्मक कार्यक्रम: इस उद्यान में अक्सर कला प्रदर्शनियों, कार्यशालाओं और लाइव प्रदर्शनों का आयोजन होता रहता है, जो आपकी यात्रा को और आनंददायक बना देता है। गार्डेन के एक भाग में थियेटर भी बना है जहाँ नृत्य और संगीत के कार्यक्रम आयोजित होते रहते हैं। साल में एक बार आयोजित होने वाले दो-दिवसीय पुष्प-मेले एवं बागवानी-प्रदर्शनी में अच्छी खासी संख्या में प्रतियोगी और पर्यटकों का जमघट जुटता है। इस उद्यान के पहला हिस्से में पत्थर एवं टेराकोट्टा से बनी कलाकृतियाँ देखने को मिलती हैं। यहाँ पर आप राजस्थानी फाड् शिल्पकलाएँ, मिट्टी एवं टेराकोट्टा की बनी कलाकृतियों को आप स्पर्श करके विशेष अनुभव पा सकते हैं। इसी हिस्से में कलाकारों का एक ब्लाक है जहाँ तमाम तरह के सांस्कृतिक और कलात्मक कार्यक्रम होते रहते हैं।
4. बेंगलुरु का लालबाग बॉटनिकल गार्डन।
कब जाएं:
वसंत ऋतु में, फरवरी से मार्च तक, लालबाग की यात्रा के लिए एक शानदार समय है, क्योंकि उद्यान पूरी तरह से खिल चुका है और मौसम टहलने और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। लालबाग वनस्पति उद्यान (बॉटनिकल गार्डन) रोज सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है। सौबह और देर शाम को टहलने के लिए सुबह 6 से 9 बजे और देर शाम को 6 से 7 बजे के बीच प्रवेश शुल्क नहीं लगता है। दिन के समय मामूली शुल्क लिया जाता है। लालबाग बाॅटनिकल गार्डेन शहर के केंद्र, मैजेस्टिक क्षेत्र से 7 किमी दक्षिण में और बेंगलुरु हवाई अड्डे से 38 किमी दूर है। आप बेंगलुरु मेट्रो रेल नेटवर्क के द्वारा और बस, ऑटो या टैक्सी द्वारा आसानी से यहाँ पहुँच सकते हैं।
क्या अनुभव करें:
वार्षिक पुष्प शो: यहाँ पर हर साल गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के अवसर पर पुष्प प्रदर्शन का आयोजन किया जाता है।, लालबाग के इस पुष्प प्रदर्शन शो के आयोजन में गुलाब, गेंदा और डेज़ी जैसे फूलों का शानदार प्रदर्शन किया जाता है। वसंत ऋतु के समय इस बगीचे की सुंदरता सबसे अधिक देखने को मिलती है। इसके अलावा यहाँ पर आप बोनसाई गार्डन, बड़ी चट्टान और केम्पेगौड़ा वॉचटावर, फूल घड़ी, हिबिस्कस गार्डन आदि आकर्षण के केन्द्रों पर अपना समय बिता सकते हैं। गर्मियों के मौसम में आप आम और कटहल उत्सव, बैंड स्टैंड पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन देख सकते हैं जो यहाँ के कुछ लोकप्रिय कार्यक्रम हैं।
वानस्पतिक विविधता: लालबाग बाॅटनिकल गार्डेन में आप दुर्लभ उष्णकटिबंधीय, औषधीय और हरी-भरी हरियाली वाले पौधों की 1,000 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधों का नजारा देख सकते हैं। यहाँ आकर आप प्राकृतिक सुरम्य वातावरण में स्वर्ग में घूमने जैसा अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा ग्लास हाउस और फूलों की क्यारियाँ आपका दिल जीत लेंगी। लंदन के क्रिस्टल पैलेस की तर्ज पर बना, ग्लास हाउस बगीचे के आकर्षण का केंद्र बिंदु है, और इसके आसपास तमाम तरह के फूलों की क्यारियाँ वसंत ऋतु में तरह-तरह के रंगों से सज जाती हैं। यहाँ पहुँच कर आपका मन यहाँ से हटने का नाम ही नहीं लेगा। लालबाग के दक्षिण में एक बड़ी झील बनाई गयी है, जिसमें पैदल चलने के लिए रास्ते, एक पुल और एक छोटा झरना भी बनाया गया है। तरह आपके एडवेंचर को बढ़ा देता है।
5. ऑर्किड गार्डन, सिक्किम
कब जाएं:
सिक्किम में ऑर्किड गार्डन की यात्रा का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु में मार्च से मई के बीच रहता है। वसंत ऋतु में यहाँ का प्राकृतिक आकर्षण देखते ही बनता है। क्योंकि इस समय न केवल ऑर्किड खिल रहे होते हैं, बल्कि पार्क और प्रदर्शनी केंद्रों में फूलों की कई किस्में आपका मन मोह लेने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही होती हैं। वैसे तो पूरे साल फूलों का प्रदर्शन होता रहता है। लेकिन अप्रैल और मई महीने में होने वाला वार्षिक पुष्प प्रदर्शनी शो आपको नहीं छोड़ना चाहिए। यह उद्यान सप्ताह के हर दिन सुबह 10 बजे से शाम 5.30 बजे तक खुला रहता है। इस कार्यक्रम में भाग लेना निःशुल्क है।
क्या अनुभव करें:
ऑर्किड ब्लूम्स: सिक्किम दुनिया के कुछ दुर्लभ ऑर्किड्स का सुन्दर दर्शनीय स्थल है। वसंत ऋतु के मौसम में, नामग्याल इंस्टीट्यूट ऑफ तिब्बतोलॉजी और रुमटेक में ऑर्किड गार्डन जंगली ऑर्किड, लेडी चप्पल और नीली पोपियों सहित विभिन्न प्रकार के ऑर्किड का प्रदर्शन होता है। सिक्किम में ऑर्किड की 36 प्रजातियों का व्यापक रूप से भोजन और दवा के रूप में उपयोग किया जाता है। आर्किड डेंडरोबियम नोबाइल सिक्किम का आधिकारिक फूल है। ऑर्किड की एक खास विशेषता यह है कि उन्हें एपिफाइट्स कहा जाता है । इसका क्या मतलब है? वे अपने पड़ोसियों की तरह जमीन में नहीं उगते, बल्कि दूसरे पौधों पर उगते हैं।इसका आकर्षण इसके जीवंत रंगों, आकर्षक आकृतियों और नाजुक सुगंधों में निहित है, जो प्रजातियों के आधार पर भिन्न होते हैं।
जैव विविधता ट्रेल्स: सिक्किम की हरी-भरी घाटियों और पहाड़ियों के बीच सैर करें, जहां आप रोडोडेंड्रोन, मैगनोलिया और फ़र्न सहित वनस्पतियों की एक श्रृंखला देख सकते हैं। सिक्किम में पाया जाने वाला एक और एपिफाइटिक आर्किड कोलोजीन क्रिस्टाटा प्रमुख रूप से पाया जाता है। इस प्रजाति के बड़े झालरदार सफेद फूलों का गला सुनहरा पीला होता है और ये छोटे गोल स्यूडोबल्ब के गुच्छों से लटकते हैं। यहाँ पर आर्किड, अज़ेलिया, ब्रोमेलियाड्स, जापानी चेरी, जुनिपर्स, मैगनोलिया, कैमेलिया आदि जैसे कई अन्य पौधों को आप देख सकते हैं।
सांस्कृतिक विरासत: सिक्किम में तिब्बती संस्कृति और विरासत देखने को मिलती है,, सिक्किम के लोगों में तीन जातीय समूह प्रमुख हैं जो लेप्चा , भूटिया और नेपाली हैं । सिक्किम में अलग-अलग समुदाय स्वतंत्र रूप से घुलमिल कर एक समरूप मिश्रण बनाते हैं। हिंदू मंदिर, बौद्ध मठों, चर्चों, मस्जिद और गुरुद्वारों के साथ सहकार की भावना से रहते हैं। क्षेत्र के पारंपरिक भोजन मुख्य रूप से चावल और मक्का के साथ शाकाहारी भोजन में दाल, ताजी सब्जियाँ, बांस की टहनियाँ, जंगली फूल, मशरूम और बिछुआ के पत्ते भी खाते हैं। मांसाहारी भोजन में गोमांस, सूअर का मांस और मछली लोकप्रिय हैं। मांस और डेयरी उत्पादों के अलावा किण्वित (fermented) सब्जियाँ, पेय पदार्थ में सूप लेते हैं। और शिल्प कला में चर्म-उद्योग तथा घड़ी-उद्योग प्रमुख हैं।
6. मुगल गार्डन, कश्मीर
कब जाएँ:
कश्मीर में मुगल गार्डन घूमने का सबसे अनुकूल समय वसंत ऋतु में मार्च से अप्रैल तक होता है। इस समय सभी बगीचे खिले हुए होते हैं। शालीमार बाग, ट्यूलिप गार्डेन, निशांत बाग, चश्मेशाही जैसे सभी बाग बगीचे रंग -बिरंगे खिले -खिले गुलाब और अन्य मौसमी फूलों से भरे होते हैं। सामने डर झील में नाव और शिकारे तैरते नजर आते हैं। चिनार के बड़े-बड़े पेड़ और उनके पीले हरे पत्तों का आकर्षण अनोखा होता है। उनके पीछे ऊँची पहाड़ियों पर जमी बर्फ आपको बरबस ही आकर्षित करती है। अब श्री नगर जाना आसान हो गया है। अभी आपको जवाहर चैनल से पहले बनिहाल से लोकल ट्रेन एक घंटे में बड़गाम पहुँचा देती है। और वहाँ से आप लोक टैक्सी करके जल झील पहुँच सकते हैं।
क्या अनुभव करें:
मुगल वास्तुकला और पुष्प वैभव: मुगल गार्डन अपने नाम से ही अपनी व्याख्या करता है। यहाँ मुगल सम्राटों द्वारा निर्मित कई प्रतिष्ठित उद्यान हैं। जो अपनी कला कृतियों और वास्तुकला के लिए पहचाने जाते हैं। यह सभी गार्डन सममित (symmetrical) डिजाइन, सीढ़ीदार लॉन और विस्तृत झरनों, चश्मों और जल सुविधाओं के लिए जाने जाते हैं। शालीमार बाग, निशात बाग और चश्मे शाही आदि सभी उद्यान वसंत ऋतु में ट्यूलिप, लिली और जलकुंभी जैसे फूलों से सजे दिखाई देते हैं। डल झील में नाव या शिकारा में बैठकर आप इन गार्डन्स की प्राकृतिक सुन्दरता और उनके पीछे बर्फ से ढकी पहाड़ी चोटियों का आनन्द ले सकते हैं। डर झील में शिकारा पर आप रात विश्राम भी कर सकते हैं। यह एक प्रकार के तैरते होटल होते हैं।
शांतिपूर्ण सैर: आम जनता और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इन गार्डन्स को तैयार किया गया है। आप इन गार्डन्स के हरे-भरे रास्तों पर टहलते हुए दूर दूर तक फैली डल झील में खिले वाटर लिली और जलकुंभी का दृश्य देख सकते हैं, तो वहीं गार्डेन्स के लाॅन में पर्यटकों को चिनार के पेड़ों के आसपास घूमते और प्रेमी जोड़ों का प्रेमालाप देख सकते हैं। वहीं से आपको शंकराचार्य मन्दिर और ऊपर पहाड़ों पर बर्फ़ से ढकी चोटियां दिखाई देती हैं। मुगल कालीन फ़ारसी शैली की वास्तुकला के नमूने चश्में शाही और निशात बाग की सुन्दरता की गवाही देते हुए देख सकते हैं। शालीमार बाग चीनी खानों या बगीचे के झरनों के पीछे बने मेहराबदार आलों के लिए जाना जाता है। ये आले ही बाग की एक अनूठी विशेषता हैं। इन आलों को रात में तेल के दीयों से रोशन किया जाता था, जिससे झरने एक परीकथा जैसा दिखाई देते थे। अब इन आलों में फूलों के गमले रखे हुए हैं जो झरने के पीछे अपने रंगों को दर्शाते हैं। अब बाग में तालाब और उनमें खिलते फूलों और चलते फव्वारों को देखकर इन गार्डन्स के शांत माहौल का आप मजा ले सकते हैं। इन सभी उद्यानों में पेड़ों, झाड़ियों और पौधों की विभिन्न प्रजातियों को देखा जा सकता है, जो इतिहास, प्रकृति और डिजाइन का एक अनूठा उदाहरण हैं।
निष्कर्ष:
भारत में वसंत ऋतु को ऋतुराज कहा जाता है क्योंकि इस मौसम में प्रकृति अपने सबसे सुन्दर और जीवंत रूप में आपका स्वागत करती है, वसंत ऋतु में देश की प्राकृतिक छटा और फूलों की सुंदरता अपने शिखर पर होती है। इस मौसम में मानव मन भी सर्दियों से ऊब कर जीवन में नयापन का अनुभव करना चाहता है। और यह ऋतु आपको प्रकृति के साथ हिल-मिल कर खिलने का मौका देती है। चाहे आप कश्मीर की वादियों में या श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डेन में नवजीवन की खोज कर रहे हों। वसंत ऋतु में फूलों के त्यौहार और वनस्पति उद्यान आपको शांत और सुंदर ढंग से प्रकृति से मिलने का सुनहरा अवसर देते हैं। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं, तो वसंत ऋतु निश्चित रूप से आपको देश की समृद्ध पुष्प विरासत का आनंद देने के लिए आपका स्वागत करने को तैयार मिलेगी।