आपके शहर का मौसम कैसा है? क्या आपके शहर का मौसम एक जैसा रहता है ? जब कोई आपसे ऐसा सवाल करता है तो आप समझ लीजिये कि वह आपसे आपके शहर का मौसम जानना चाहता है। यह मौसम शहर दर शहर बदलता रहता है। मौसम में परिवर्तन पृथ्वी की सूर्य से दूरी पर निर्भर करता है और पृथ्वी के गोलार्ध की सूर्य के सामने की तरफ या पीछे की तरफ रहने पर निर्भर करता है। पृथ्वी अपनी अक्ष पर घूर्णन करते हुए 24 घंटे में एक चक्कर पूरा करती है इस समय पृथ्वी के जिस भाग पर सूर्य की किरणें प्रकाश डालती हैं वहाँ दिन रहता है और पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने की तरफ नहीं होता है वहाँ सूर्य की किरणें नहीं पहुँचती हैं इसलिए वहाँ रात होती है। इसी तरह पृथ्वी सूर्य की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा करती है जो 365¼ दिन में पूरा होता है। इस क्रम में सूर्य से पृथ्वी की दूरी बदलती रहती है। इसी आधार पर हमारे देश में मुख्य रूप से तीन मौसम सर्दी, गर्मी और बरसात होते हैं जबकि दो-दो महीनों की छः ऋतुएं होती हैं। पृथ्वी की चाल के आधार पर ही मौसम बनते हैं और मौसम में परिवर्तन होते हैं।
मौसम परिवर्तन कैसे होते हैं
मौसम में परिवर्तन के कुछ विशेष कारण होते हैं।
पृथ्वी का अपनी अक्ष से झुका होना: हम जानते हैं कि पृथ्वी अपने अक्ष से एक तरफ कुछ झुकी हुई रहती है, जिसके कारण पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणें पृथ्वी पर अलग-अलग एंगल में पड़ती हैं। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी पर अलग-अलग जगहों का मौसम अलग-अलग होता है। जैसे एक ही समय में भारत में जब भयंकर गर्मी पड़ रही होती है तो अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड जैसे देशों में ठंडी होती है। इसका कारण यह है कि जब भारत में सूर्य की किरणें सीधे पड़ती हैं तो उन किरणों को सूर्य से पृथ्वी की दूरी कम तय करनी पड़ती है। जबकि दूसरी देशों में यह किरणें तिरछी पड़ती हैं और ज्यादा दूरी तय करती हैं। जब पृथ्वी सूर्य की दीर्घवृत्ताकार कक्षा में परिक्रमा करती है तो धीरे-धीरे उसकी किरणें की एंगल बदलता रहता है जिसके कारण मौसम परिवर्तन होता है।
सूरज का उत्तरायण और दक्षिरायण में होना: सूर्य का उत्तरायण और दक्षिणायन में होना भी एक प्रकार की प्राकृतिक घटना है जो हर साल होती है। गर्मियों में सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्द्ध में 23.5 डिग्री उत्तरी अक्षांश यानी कर्क रेखा की ओर खिसक जाती हैं। जिसके कारण से उत्तरी गोलार्ध में तापमान बढ़ जाता है और वहाँ गर्मी का मौसम होता है। यह 23.5 डिग्री अक्षांश यानी कर्क रेखा भारत के बीचो- बीच से गुजरती है। इसलिए जिन क्षेत्रों से यह कर्क रेखा पास होती है वहाँ मई जून के महीने में भयंकर गर्मी पड़ती है। जब सितंबर महीने से सूरज की किरणें दक्षिणी अक्षांश की ओर खिसकना शुरू करती हैं तब गर्मी से राहत मिलती है। सर्दियों में यह किरणें मकर रेखा यानी 23.5 डिग्री दक्षिणी अक्षांश पर सीधी पड़ती हैं। तब दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी का मौसम शुरू होता है जबकि उत्तरी गोलार्ध में सर्दी पड़ती है।
पृथ्वी की धुरी का डगमगाना: पृथ्वी अपनी धुरी पर घूर्णन करते हुए कभी-कभी डगमगाती है, जिसके परिणामस्वरूप उत्तरी ध्रुव आकाश में अपनी दिशा बदल लेता है। पृथ्वी की यह घटना भी दोनों गोलार्द्ध के बीच मौसमी अंतर या मौसम के समय पर प्रभाव डालता है।
वायुमंडलीय दबाव: हवा के गर्म या ठंडे होने के कारण वातावरण में वायुमंडलीय दाब में परिवर्तन होता है। गर्म हवा ठंडी हवा की तुलना में कम घनी होती अर्थात हल्की होती है। यह वायुमंडलीय दबाव हवा के भार और घनत्व का परिणाम है। हवा का बढ़ता टेम्परेचर उसके घनत्व (density) को कम कर देता है। चूंकि गर्म हवा के अणुओं में अधिक ऊर्जा होती है और वे एक दूसरे से दूर-दूर हो जाते हैं। आप जैसे-जैसे वायुमंडल में ऊपर की ओर जाएंगे तो पाएंगे कि ऊपर वायुमंडलीय दबाव कम होता जाता है। उच्च दबाव वाली मौसम प्रणालियाँ ठंडा तापमान और साफ़ आसमान लेकर आती हैं। जबकि लो एयरप्रेशर वाली मौसम प्रणालियाँ ज्यादा टेम्परेचर और ज़्यादा अस्थिर मौसम लेकर आती हैं। यह मौसम थोड़े थोड़े समय पर बदलता रहता है।
मौसम परिवर्तन आपको बीमार कर सकता है
हमारा शरीर जिस मौसम में हम रहते हैं उस मौसम में रहने का आदी (habitual) हो जाता है। जब कभी अचानक मौसम में परिवर्तन होता है या हम एक मौसम वाले जोन से निकल कर दूसरे मौसम वाले जोन में जाते हैं तो हमारे शरीर की आंतरिक संरचना दूसरे मौसम को इतनी आसानी से स्वीकार नहीं करती है। इसका परिणाम यह होता है कि हम मौसम परिवर्तन के शिकार हो जाते हैं। अक्सर आप देखते होंगे कि बरसात के मौसम में हमारे आसपास का मौसम एक समान नहीं रहता है। यह मौसम जल्दी जल्दी बदलता रहता है। ऐसे में हम मौसम परिवर्तन के शिकार हो सकते हैं। तेज गर्मी से आकर जैसे ही आप घर में एयरकंडीशन कमरे में प्रवेश करेंगे तो आपका शरीर तुरंत रिएक्ट करेगा। इसलिए मौसम परिवर्तन के समय आपको बहुत सावधान रहना चाहिए।