मौसम आपकी उत्पादकता पर कई तरीके से असर डालता है। अनुकूल मौसम जहाँ उत्पादकता को बढ़ा देता है तो वहीं प्रतिकूल मौसम उत्पादकता को कम कर देता है।
1. कार्यस्थल के प्रदर्शन पर मौसम का प्रभाव
आपके कार्य स्थल पर आपकी परफार्मेंस पर मौसम का प्रभाव पड़ता है। जैसे टेम्परेचर, प्रकाश, आर्द्रता और आराम के साथ आपका काम के प्रति मूड आदि फैक्टर्स आपकी उत्पादकता को प्रभावित करते हैं।
- तापमान का प्रभाव :
आपके कार्यस्थल पर अनुकूल मौसम होने पर आपकी उत्पादकता अधिकतम होती है। वहीं अगर वर्किंग प्लेस का तापमान सामान्य से अधिक हो तो आप जल्दी थक जायेंगे। ऊपर से पसीना और बार- बार प्यास लगने के कारण आप अपने काम में फोकस नहीं कर पायेंगे। आपका एनर्जी लेवल जल्दी कम हो जाएगा। इसी तरह सामान्य से कम तापमान होने पर आपको कंपकपी लगती है और एनर्जी लेवल कम रहता है। आपको काम करने का मन नही होगा। आपका ध्यान काम से ज्यादा अपने शरीर को गर्म रखने पर रहेगा। इससे दुर्घटना भी हो सकती है।
- प्राकृतिक प्रकाश और मूड :
अगर आपके कार्यस्थल पर आवश्यक रोशनी नहीं रहती है तो आपका फोकस कार्य के बजाय कम या अधिक रोशनी पर रहता है। अधिक रोशनी के कारण आँखों में चमक जाने से आप पूरी क्षमता से आँखें नहीं खोल सकते हैं। और कम रोशनी में आपको कार्यस्थल पर चीजें साफ नहीं दिखाई देंगी जिससे आप अपने काम पर फोकस करने के बजाय अतिरिक्त रोशनी के लिए इंतजार करेंगे या बैठ जाएंगे। इससे आपका मोरल डाऊन होगा और आपकी उत्पादकता कम हो जाएगी। इसलिए कार्य स्थल पर सभी मौसम में पर्याप्त रोकना बंदोबस्त करना जरूरी है।
- आर्द्रता और आराम :
अधिक आर्द्रता या नमी आपकी आराम के लो लेवल का कारण बनती है। कार्यस्थल पर हवा में आर्द्रता या नमी का अधिक होना उमस पैदा करता है जिसके कारण आपको अपने कार्यस्थल पर आराम में कमी महसूस होती है। इससे आपको घर आने पर नींद में व्यवधान होता है। साथ ही साथ नमी के कारण अस्थमा, एलर्जी और अन्य सांस से संबंधित समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, उच्च आर्द्रता आपको गर्मी से संबंधित बीमारियों का शिकार बनाती है। इससे औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों को थकावट जल्दी आती है और वे सुस्ती महसूस करते हैं। इससे उत्पादकता का नुकसान होता है।
2. मौसम संबंधी व्यवधान
अधिक सर्दी, अधिक गर्मी और बरसात के मौसम में अधिक आर्द्रता समस्या पैदा करते हैं।
- गंभीर मौसम की घटनाओं का असर :
गर्मी के मौसम में अधिक तापमान के कारण अक्सर आँधी-तूफ़ान के कारण आपके कार्यस्थल पर रुकावट आती है। इसी तरह से जहाँ बर्फबारी होती है वहाँ पर बर्फबारी के कारण रुकावट खड़ी हो जाती है। इसके अतिरिक्त खराब मौसम में काम करने की क्षमता घट जाती है। इसका परिणाम आपके उत्पादन में कमी देखने को मिलती है। जब ऐसी स्थिति लंबी अवधि तक रहती है तो छोटे कारोबारियों का बिजनेस चौपट हो जाता है। जैसा कोविड-2019 में हम सबने देखा है। कोरोना वायरस के कारण लाकडाऊन में बहुत से कारोबारियों का धंधा ही बंद हो गया।
- ट्रैवल और आने जाने की चुनौतियां :
खराब मौसम में काम करने वाले वर्करों को घर से निकल कर काम पर जाने के रास्ते में खराब मौसम की बाधाएं आती है तो वह समय पर अपने कार्यस्थल पर नहीं पहुँच पाते हैं। इससे उनकी समय की पाबंदी टूट जाती है। तो देर से आने पर उनके काम के घंटे कम हो जाते हैं। कई बार लोगों को पूरे दिन के लिए तो किसी को आधे दिन के लिए ऐबसेंट कर दिया जाता है। इससे उत्पादन कम हो जाता है।
- सप्लाई चेन का टूटना :
मौसम खराब होने से कच्चे माल और तैयार उत्पाद की सप्लाई चेन के टूटने की समस्या खड़ी हो जाती है। सप्लाई चेन के टूटने से अधिक रुकावटों का मतलब यह होता है कि लंबे समय तक डिलीवरी समय पर नही मिलेगी, प्रोडक्ट की लागत बढ़ जाएगी और उत्पादन कम होगा। सूखा या बाढ़ग्रस्त मौसम हो चाहे सर्दी के मौसम में कुहरे का असर, तीनों मौसम में कच्चे माल की उपलब्धता और क्वालिटी कम हो जाती है। सप्लाई चेन के टूटने से मांग बढ़ती है और कीमतें आसमान छूने लगती हैं। हम हर साल इन समस्याओं को देखते हैं कि कैसे 20 रुपये प्रति किलो बिकने वाला टमाटर और प्याज 200 रुपये प्रति किलो बिकने लगता है।
3. उत्पादकता में मौसमी बदलाव
मौसम में बदलाव आने से आपकी उत्पादकता प्रभावित होती है। आप अपने व्यवसाय में इन मौसमी बदलावों का पूर्वानुमान की जानकारी लेकर अपनी योजना बना सकते हैं। इससे आपको किसी विपरीत परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- मौसमी प्रभावी डिसऑर्डर :
सर्दियों के दिनों में दिन छोटे होने लगते हैं और सूर्य का प्रकाश भी पर्याप्त नहीं मिल पाता है। इसके चलते वर्करों के सुबह देर से काम की शुरुआत होती है और शाम को जल्दी काम बंद कर देते हैं। इससे उनकी उत्पादकता कम हो जाती है। कई काम ऐसे होते हैं जो सूर्य के प्रकाश में ही बेहतर ढंग से होते हैं और जहाँ बिजली नहीं उपलब्ध होती है वहाँ यह समस्या आपकी उत्पादकता को कम कर देती है। क्योंकि कम प्रकाश में उत्पाद की क्वालिटी खराब होती है।
- गर्मियों में मंदी :
तेज गर्मी के मौसम में आपके वर्करों को थकान और पसीने के कारण बारिश बार प्यास लगती है इससे वह काम पर फोकस नहीं कर पाते हैं, उनका काम करने में मन नहीं लगता है और वे गल्तियां भी करते हैं। अधिक गर्मी में श्रमिकों की कार्य कुशलता 25% तक घट जाती है। इन दिनों ज्यादातर वर्कर किसी न किसी कारण से छुट्टी भी ले लेते हैं जिससे उत्पादकता कम हो जाती है। और आपके प्रोडक्ट की क्वालिटी खराब होती है।
- मौसमी बदलावों को अपनाना :
मौसमी बदलावों को अपनाकर आप अपनी उत्पादन योजना में अगर बदलाव करेंगे तो आप अपनी उत्पादकता बढ़ाने सकते हैं। जैसे काम के घंटों में बदलाव कर दें। गर्मी में सुबह जल्दी काम शुरू करें और दोपहर में आराम और शाम के समय देर तक काम करें। यानी कि अपने काम को रिशिड्यूल करें। अपने वर्करों से बात करके उनकी रुचि समझकर काम का निर्धारण करें। उनके बीच कोई गलतफहमी न पैदा हो। वर्करों में ट्रेनिंग और प्रोत्साहन (incentive) योजना लागू करें और अपनी प्राथमिकता बतायें।
4.मौसम के प्रभावों के लिए शमन रणनीतियाँ
मौसम के दुष्प्रभाव से बचने के लिए समय से पहले ही अपनी रणनीति बना लें तो आप उत्पादकता के ह्रास से बच सकते हैं।
- लचीली कार्य व्यवस्था :
प्रतिकूल मौसम आने से पहले आप अपने वर्करों को उनके काम के समय में बदलाव के बारे में बता दें। दूर दराज के क्षेत्रों में काम करने वाले वर्करों को किसी सख्त नियम में न बाँधें। उनको अपने काम की प्राथमिकता बताकर आजादी से काम करने की छूट दें। बुरे मौसम के आने से पहले आप कुछ अतिरिक्त कार्यकुशल श्रमिकों को चयन करके रख लें क्योंकि आपको पता है कि इस मौसम में आपके वर्कर बीमारी और दूसरे कारण से छुट्टी ज्यादा लेंगे तो ऐसे समय में आप उन चयनित वर्करों से अपना काम करवा सकते हैं। इससे आपके वर्करों फ्लो पर असर नही पड़ेगा।
- आफिस के वातावरण में सामंजस्य :
मौसम के अनुसार आप अपने आफिस के वातावरण में पहले से ही बदलाव कर दें ताकि आपके कर्मचारियों को काम करने में कोई दिक्कत न हो। जैसे गर्मी आने से पहले ही पंखे, कूलर, एसी, फ्रिज और ठंडे पानी की पर्याप्त व्यवस्था करें। इसी तरह सर्दी के मौसम शुरू होने से पहले ही आफिस में वातावरण को गर्म बनाये रखने के लिए खिड़की दरवाजे खुले न रहें यह पक्का कर लें। आफिस में जगह जगह हीट वाल्ट की व्यवस्था करें। और गर्म पानी और पेय जैसे चाय काॅपी आदि का इंतजाम करें। ऐसा करके आप अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।
- आपातकालीन योजनाएं :
खराब मौसम की किसी भी आकस्मिक समस्या से बचने के लिए आपको अपनी पहले से तैयारी रखनी चाहिए। ताकि आपका उत्पादन कम न हो। इसके लिए आप काम करने के डाउनटाउन को कम करने की तैयारी रखें। इसके लिए आपको कुछ अतिरिक्त कार्यकुशल वर्करों की जरूरत हो सकती है इसलिए उनका इंतजाम पहले से कर लें। संकट काल में आप अपने वर्करों के मसीहा बनकर खड़े रहेंगे तो उनका आपके ऊपर विश्वास बना रहेगा और हौसला कम नहीं पड़ेगा। संकट काल के लिए अतिरिक्त धन का संचय करके रखें।
5. उत्पादकता बढ़ाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका
उत्पादकता बढ़ाने में टेक्नोलॉजी का बढ़ता प्रभाव आपके उत्पादन की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों बढ़ाता है। इसलिए हमेशा अपने संगठन को टेक्नोलॉजी से अपडेट रखें।
- मौसम पूर्वानुमान उपकरण :
आप अपने बिजनेस को सभी मौसम के अनुकूल बनाने के लिए उसे मौसम के पूर्वानुमानों से अपडेट रखें। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर इस्तेमाल करें। आजकल मौसम विज्ञान विभाग कई दिन पहले से ही संभावित खतरे का अलर्ट जारी कर देता है। और आजकल सभी के हाथों में मोबाइल पर भी मौसम की जानकारी मिलती रहती है। इसके अतिरिक्त आप अपने आफिस में मौसम की जानकारी से संबंधित उपकरण लगाकर लोकल मौसम का पता लगा सकते हैं। वेदर राडार, ए आई और मशीन लर्निंग के जरिए मौसम के पैटर्न का पता लगाया जा सकता है।
- सहयोग उपकरण :
प्रतिकूल मौसम आने से पहले ही आप डिजिटल संचार संसाधनों का प्रयोग करके अपनी टीम को अलर्ट करके अपनी उत्पादकता में गिरावट को रोक सकते हैं। इसके लिए आपको टीमवर्क, संचार और सूचना साझा करने की सुविधा के लिए डिजिटल तकनीक और प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग करना चाहिए। आप कहीं पर भी क्यों न हों आप अपने उत्पादन को बनाये रख सकते हैं।
- नियोजन के लिए डेटा विश्लेषण :
डेटा विश्लेषण करके आप मौसम संबंधी आंकड़ों अध्ययन करके मौसम के पैटर्न और अनिश्चितताओं की पहचान कर सकते हैं और सटीक पूर्वानुमान लगा सकते हैं। डेटा विश्लेषण से आप अपने कार्यस्थल पर उत्पादकता और क्वालिटी को बढ़ा सकते हैं। इसे ऐसे समझ लीजिये कि बारिश या बादल वाले मौसम में सामान्यतः कर्मचारियों का ध्यान अधिक बंट जाता है। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो इस मौसम में अधिक फोकस कर लेते हैं। इस तरह डेटा एनालिसिस करके आप अपने कुशल कर्मचारियों की जानकारी कर सकते हैं। और उनको अधिक जिम्मेदार और भरोसेमंद बनाकर अपनी उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।