आज आपके यहाँ का मौसम कैसा है? या टीवी पर मौसम का समाचार जैसे वाक्यों से आप सभी जरूर परिचित होंगे। मौसम का नाम सुनकर हमारे आपके मन में यह विचार उठता होगा कि सर्दी के मौसम में सर्दी कितनी होगी या गर्मी के महीनों में गर्मी कितनी पड़ेगी। आप लोग अखबार या टीवी पर यह जानने के लिए उत्सुक रहते होंगे कि आज का मैक्सिमम और मिनिमम तापमान कितना रहा। बरसात के मौसम में वर्षा कितनी होगी।
सामान्य तौर पर भारत में एक साल के समय को चार-चार महीने के तीन मौसम में बाँटा गया है। मार्च, अप्रैल, मई, जून गर्मी के लिए। उसके बाद जुलाई, अगस्त, सितम्बर, अक्तूबर महीने बरसात रहती है, और नवम्बर, दिसम्बर, जनवरी, फरवरी सर्दी के मौसम के लिए होते हैं । मौसम के इन तीन भागों में कुछ अन्य कारक भी जुड़ करके किसी देश, काल और स्थान विशेष का मौसम तय करते हैं जैसे हवा, धूप, नमी और आसमान में छाए बादल के साथ-साथ किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति भी मौसम के लिए जिम्मेदार होती है। जैसे मैदान, समुद्र, पर्वत, पहाड़, रेगिस्तान इत्यादि।
मौसम और जलवायु
कई बार हम मौसम और जलवायु को साधारण बोलचाल में एक ही समझ लेते हैं जबकि यह दोनों अलग-अलग विषय हैं। जलवायु किसी बड़े भूभाग पर लंबे समय तक बने रहने वाली स्थितियों का वर्णन करती है जबकि मौसम एक छोटे क्षेत्रफल में थोड़े समय के लिए होने वाली घटनाओं के कारण बनता है। जैसे आप देखते और सुनते होंगे कि देश के दक्षिण भाग में भारी बारिश हो रही है जबकि उत्तर भारत में सूखा पड़ा है या बारिश बहुत कम है। ऐसे ही आप कह सकते हैं कि देश के पर्वतीय क्षेत्रों में जैसे कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में सर्दियों में बर्फबारी होती है लेकिन मैदानी भागों में सामान्य या कहीं कहीं सामान्य से कुछ ज्यादा सर्दी होती है। इसी तरह से राजस्थान के जैसलमेर इलाके में भयंकर गर्मी जहाँ पारा 50 डिग्री पार कर जाता है तो वहीं पर समुद्री इलाकों में सामान्य तापमान 27 से 35 डिग्री तक ही रहता है। इस तरह से आप यह समझ सकते हैं कि मौसम एक छोटे भूभाग का उल्लेख करता है।
भारत सरकार ने मौसम के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए मौसम विज्ञान विभाग बनाया है। इस विभाग के मौसम वैज्ञानिक भारत देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम कैसा रहने वाला है इस विषय में अध्ययन करके पूर्वानुमान लगाते हैं। आधुनिक काल में भारत सरकार के अंतरिक्ष अंनुसंधान विभाग और इसरो एक विशेष रूप से मौसम की जानकारी जुटाने के लिए एक उपग्रह लांच किया है जो केवल देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम कैसा रहने वाला और भविष्य में कुछ दिन आगे के मौसम के बारे में भी पूर्वानुमान बताते हैं जिससे कि उस एरिया के लोगों को किसी मुसीबत से बचाया जा सके।
कई बार आपने सुना होगा कि उड़ीसा में साइक्लोन आने की भविष्यवाणी मौसम विज्ञानियों ने पहले ही कर दिया। जिससे मछुआरों को समुद्र में मछलियों को पकड़ने जाने से रोका जा सके। इसी तरह से बंगाल में आने वाले तूफान की, सुनामी जैसी अन्य आपदाओं का मौसम विज्ञानी पहले से ही पता लगा लेते हैं। इसी तरह से आप हर साल सुनते होंगे कि मौसम विभाग जून महीने में मानसून आने की भविष्यवाणी करते हैं।
भारत सरकार ने देश के अलग-अलग हिस्सों में कई शहरों में मौसम विभाग के केंद्र स्थापित किए हैं। जो उस एरिया के लिए मौसम का अध्ययन करते हैं और मौसम का पूर्वानुमान लगाते हैं। मौसम विज्ञान विभाग का कृषि क्षेत्र में बहुत योगदान रहा है मौसम विभाग के केंद्र अलग-अलग क्षेत्र के अनुसार कृषि क्षेत्र के लिए अपनी रिपोर्ट बनाते हैं। इसलिए इस मौसम विज्ञान विभाग की कृषि क्षेत्र में बहुत उपयोगिता सिद्ध हो रही है। जिसके कारण कृषि उत्पादन बढ़ गया और नई-नई उन्नत फसलों का उत्पादन किया जाने लगा है। भारत सरकार का मौसम विज्ञान विभाग, पुणे के कृषि मौसम विज्ञान विभाग का मुख्य उद्देश्य फसलों पर मौसम के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना है और कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए फसल के लिए अनुकूल मौसम के संबंध में पहले से ही जागरूक करना है। भारत सरकार ने कृषि मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना पुणे में की है। तभी से यह केन्द्र इस क्षेत्र में तमाम विषयों की गतिविधियों की जानकारी जुटाने का काम करता है।
ऐसे ही नागरिक उड्डयन क्षेत्र में हवाई जहाजों के संचालन में मौसम विज्ञान विभाग बड़ी मदद करता है। इसलिए सभी हवाई अड्डे मौसम विज्ञान विभाग से सीधे जुड़े रहते हैं। जो आँधी- तूफान आदि के पूर्वानुमान लगाकर हवाई जहाजों के उडने या उतरने के लिए चेतावनी देते हैं।
मौसम विभाग ने सेना को युद्ध के मैदान में आपरेशन करवाने में बड़ी भूमिका निभाई है। कारगिल युद्ध के समय मौसम विभाग ने भारतीय सेना को सटीक जानकारी देकर फौजी दस्तों के संचालन और फ्रंट पर तैनात करने के संबंध में अपने पूर्वानुमान बता कर सेना को युद्ध के मैदान में रणनीति बनाने में मदद की थी।
मौसम विज्ञान विभाग और सूचना केन्द्रों का बहुत गहरा नाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में मौसम कैसा रहने वाला यह जानकारी सूचना केन्द्रों के माध्यम से तेज गति से प्रसारित होती है। रेडियो, टेलीविजन, समाचार पत्रों के माध्यम से दूरदराज के इलाकों में मौसम की जानकारी लोगों को समय से पहले दी जा रही है।
इस तरह हम देखते हैं कि मौसम समय, स्थान और भौगोलिक स्थिति के अनुसार अलग-अलग होता है इसीलिए आपने देखा होगा कि हमारे मौसम विज्ञानी एक दिन, एक दिन के हर पहर का मौसम एक सप्ताह, 15 दिनों के मौसम का पूर्वानुमान पहले से ही लगा लेते हैं। और उसी के अनुसार वह भविष्यवाणी करते है।