हवा कैसे बनती है ?

हमारी पृथ्वी के ऊपर कई तरह से लेयर्स में  हवा मौजूद रहती है। पृथ्वी के ऊपर का वायुमण्डल कई परतों से बना होता है। जिनमें सबसे करीब क्षोभमंडल अर्थात ट्रोपोस्फीयर होता है। मौसम संबंधी सभी प्रोसेस इसी लेयर में होते हैं। इसके ऊपर समतापमंडल या स्ट्रोटोस्फीयर, मध्यमंडल या मेसोस्फीयर  जो पृथ्वी की सतह से लगभग 50-80 किलोमीटर की ऊंचाई पर होता है। जहां का तापमान लगभग -85 डिग्री सेल्सियस रहता है। इससे ऊपर तापमंडल(थर्मोस्फीयर), बाह्यमंडल(एक्सोस्फीयर) होते हैं। थर्मोस्फीयर वायुमंडल की सबसे गर्म परत होती है।

पृथ्वी का क्षोभमंडल तमाम तरह के गैस के अणुओं  से घिरा हुआ है जो परत दर परत मौजूद रहता है इसी को वायुमंडल कहा जाता है। हमारा यह वायुमंडल मुख्यतः  नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बना होता है।  इन गैसों के अणु  जब गतिमान हो जाते हैं अर्थात एक्टिव होते हैं  तो वह  हवा का निर्माण  करते हैं। जो हवा हम अपने आसपास महसूस करते हैं उसमें मुख्य रूप से नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, और कार्बन डाइऑक्साइड गैसें होती हैं।

इसी हवा को  हम और आप सांस ब्रीदिंग के लिए उपयोग करते हैं। श्वसन क्रिया में जब हम सांस अंदर खींचते हैं तो 20.9% ऑक्सीजन हमारे शरीर में  अंदर आती है। और आपके फेफड़े 4.9% ऑक्सीजन निकाल रहे होते हैं। इस तरह आप प्रति मिनट 14.2 लीटर हवा सांस में लेते हैं।

हम हवा को गर्मी के दिनों में खोजते हैं जबकि सर्दी  के दिनों में इससे बचने की कोशिश करते हैं।

 

हवा कैसे बनती है

आप यह भलीभांति जानते हैं कि हमारे सौरमण्डल में  ऊर्जा का सबसे बड़ा श्रोत सूर्य है। जब सूर्य की ऊर्जा पृथ्वी की सतह को गर्म करती है या सूर्य की किरणें पृथ्वी पर जहां सीधी पड़ती हैं, वहां का तापमान  बढ़ जाता है इसके कारण वहाँ की हवा गर्म हो जाती है और गर्म हवा फैलती है और हल्की हो जाती है। यह हल्की हवा ऊपर उठती है और पृथ्वी की सतह पर कम दबाव का क्षेत्र बनाती है। अब इस कम दबाव वाले क्षेत्र में खाली स्थान को भरने के लिए ठंडी हवा खींची चली आती है। यह एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है। जब ठंडी हवा तेज़ गति से नीचे आती है तो आपको महसूस होता है कि हवा चल रही है।  सामान्यतः दिन के समय ज़मीन पर की हवा, पानी के ऊपर की हवा की तुलना में तेज़ गति से गर्म होती है। जबकि रात के समय ज़मीन पर की हवा पानी के ऊपर की हवा की तुलना में तेज़ गति  से ठंडी होती है। हवा के इस सायकिल के कारण  हवा की दिशा उलट जाती है। समुद्री तटों के किनारे बसे हुए शहरों में हवा के इसी चक्र को लैण्ड ब्रीज और सी ब्रीज कहा जाता है। जब हवा धरती से समुद्र की ओर चलती है तो उसे लैण्ड ब्रीज और जब हवा समुद्र से धरती की ओर चलती है तो उसे सी ब्रीज कहा जाता है।

हवा कहाँ से आती है

हवा पृथ्वी के वायुमंडल में दबाव के अंतर (pressure difference) के कारण बनती है। यह प्रेशर डिफरेंस दो क्षेत्रों के बीच  तापमान के अंतर के कारण पैदा  होता है। पृथ्वी की गोलाकार (spherical) बनावट के कारण सूर्य की किरणें पृथ्वी की संपूर्ण सतह को  एक समान रूप से गर्म नहीं करती हैं।  इसके कारण पृथ्वी की  सतह पर उच्च और निम्न दबाव के क्षेत्र बनते हैं। और हवा हमेशा उच्च दबाव वाले क्षेत्रों से निम्न दबाव वाले क्षेत्रों की ओर बहती है।  जिससे हवा बनती है।

हवा कैसे चलती है

हवा में कई गैसों के मिश्रित अणुओं की असमान संख्या रहती है  जिनमें 78% नाइट्रोजन और 21% ऑक्सीजन गैसों के अणु शामिल रहते हैं बाकी 1% में अक्रिय गैसें, कार्बन डाई ऑक्साइड, जलवाष्प और धूल कण समिलित्त रहते हैं।  जब हवा गर्म होती है तो इन गैसों के अणु गति पकड़ते हैं और फैलना शुरू कर  देते हैं इसी को हवा का चलना कहा जाता है। अब आपका प्रश्न यह होगा कि हवा चलती कैसे है। तो इसे समझने के लिए आप यह जानते हैं कि सूर्य अपनी ऊष्मा से पूरे सौरमण्डल को गर्म करता है। इसी क्रिया में जब पृथ्वी की सतह का कोई भाग  गर्म होता है तो उस क्षेत्र का वायुमंडल भी गर्म हो जाता है। जिन हिस्सों पर सूर्य की किरणें सीधी पड़ती हैं वह जल्दी गर्म हो जाते हैं और जिन हिस्सों पर सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं वह ठंडे रहते हैं अथवा देर से गर्म होते हैं। पृथ्वी की सतह के किसी क्षेत्र के गर्म होने से वहाँ की हवा भी गर्म हो जाती है। और यह गर्म हवा, ठंडी हवा की अपेक्षा हल्की होती है और ऊपर की ओर  उठती है और अपना विस्तार करती है। उसके द्वारा अपने खाली की गयी जगह को भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा आ जाती है।  इस तरह हवा चलती है।

निष्कर्ष

वायुमंडल में दो क्षेत्रों के बीच वायु के प्रेशर डिफरेंस के कारण हवा का बहाव होता है।  यह प्रेशर डिफरेंस जितना अधिक होगा हवा का वेग उतना ही अधिक होगा। इसी प्रेशर डिफरेंस के कारण चक्रवात, बवंडर, आँधी और तूफान आने की घटनाएं होती हैं।