गर्मियों के मौसम में रोमांच प्रेमियों के लिए जरूरी समर रोड ट्रिप्स

पर्यावरण के बढ़ते तापमान और सूर्य की लगातार जला डालने वाली धूप भारत में गर्मी के प्रकोप का कहर ढाती है। ऐसे समय में आप आपका मन शहरों की गर्मी और आर्द्रता  से बचने के लिए आपको एक खुली सड़क पर सड़क यात्रा करने का हो सकता है।  भारत में  ऐसे कई  विकल्प हैं जो अपने विविध परिदृश्यों के साथ, ढेर सारे आश्चर्यजनक और रोमांचक अनुभव प्रदान करते हैं। इन दृश्यों में आप यात्रा करके प्रकृति की सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। आपके पास कई विकल्प हैं जैसे  हरी-भरी पहाड़ियाँ, शांत समुद्र तटीय क्षेत्र, वनों से निकलने वाले राजमार्ग और विशाल रेगिस्तानी मैदान आदि।  आप भारत की इन सड़क यात्राओं में न केवल रोमांच का अनुभव  करेंगे, बल्कि रास्ते में स्थानीय संस्कृतियों, व्यंजनों और सुरम्य परिदृश्यों का भी साक्षात्कार करने का अवसर प्राप्त करेंगे। आप चाहें तो हिमालय की तलहटी से लेकर तटीय राजमार्गों और रेगिस्तानी रास्तों तक कहीं भी जाने का मन बना सकते हैं। भारत में कई प्रकार के राजमार्ग उपलब्ध हैं जो आपको ग्रीष्मकालीन सड़क यात्रा के लिए आकर्षित कर सकते हैं। इस  मार्गदर्शिका के माध्यम से हम आपको भारत के कुछ बेहतरीन  राजमार्गों पर सड़क यात्राओं से परिचित करवाएंगे।  इन यात्राओं के समय आपको ऐसे स्थान भी मिलेंगे जहाँ आप कुछ  समय ठहर कर आराम कर सकते हैं। इन यात्राओं में  आप प्रकृति के  रोमांचक और कुछ लुभावने परिदृश्यों का भ्रमण करते हुए खुद को प्रकृति में डुबा सकते हैं।

 

1. मनाली से लेह: हिमालय के पार एक उच्च ऊंचाई वाला साहसिक कार्य

दूरी: इस राजमार्ग की लंबाई  लगभग 475 किमी है जो समुद्र तल से औसतन 4000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस मार्ग पर सबसे ऊँचाई पर तंगलंगला दर्रा है जो 5328 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

यात्रा का समयः   अक्टूबर से  यहाँ बर्फबारी  शुरू  हो जाती है। इसलिए यात्रा का सर्वोत्तम समय जून से सितंबर तक रहता है।यह पूरा मार्ग पर्वतीय भूभाग में स्थित है। यह राजमार्ग कई जगह ठंडी बर्फीली जलधाराओं से गुजरता है। ये जलधाराएं सीधे ग्लेशियरों से आती हैं और इनका बहाव बड़ा तेज होता है। पहाड़ी मार्ग होने के कारण आपको सावधानी से गाड़ियाँ चलाने की सलाह  दी जाती है। घुमावदार रास्ते पर गाड़ी तेजी से नहीं चलाई जा सकतीं। अगर  आपने गल्ती से भी ऐसा किया तो दुर्घटना होना तय मान लीजिए और गाड़ी कितने मीटर नीचे गिरेगी कहा नहीं  जा सकता  है। इस पूरे मार्ग को  आप कम से कम दो दिन या और अधिक समय में पूरा कर सकते हैं। पूरे मार्ग पर शानदार और हैरतअंगेज दृश्य आपका मन मोह लेंगे।

 

क्या अनुभव करें:

शानदार हिमालय दृश्य: मनाली से लेह तक की यात्रा बहुत  आकर्षक और साहसिक यात्राओं में  से एक है। इस पर्वतीय राजमार्ग पर बर्फ से ढके ग्लेशियर, विशाल घाटियों और प्राचीन मठों के आश्चर्यजनक दृश्य आपको देखने को मिल जाएंगे।  यह राजमार्ग कई दर्रे, टनल, बर्फीली जलधाराओं से होकर जाता है।   रोहतांग दर्रा, बारालाचा ला और तांगलांग ला जैसे उच्च ऊंचाई वाले प्रमुख दर्रों से होकर गुजरना आपको विशेष एडवेंचर का अनुभव करवाते हैं। इस मार्ग पर जाते  समय आप भूरे शुष्क  पहाड़ और बर्फ से ढकी पर्वत चोटियों को देखकर आनंद का अनुभव करेंगे। कहीं-कहीं खिली धूप भी देखने  को मिलती है।

 

साहसिक: संकीर्ण घुमावदार सड़कों, ऊबड़-खाबड़ इलाकों और अप्रत्याशित मौसम की स्थिति के साथ, बर्फीली जलधाराओं से होकर निकलना आपके  साहस उत्साह के लिए यह सड़क यात्रा एक रोमांचक चुनौती देती है। यहाँ पर  आप अगर ड्राइविंग कौशल में  महारत रखते हैं  तो भी बहुत  सावधानीपूर्वक  गाड़ी  ड्राइव करें।  क्योंकि सड़क पहाड़ी  रास्तों से गुजरने के कारण आपको  तीखे मोड़ और तेज ढलान वाले इलाकों  से गुजरना पड़ेगा। इसलिए सावधानी बहुत  आवश्यक है। कई जगह पर भूस्खलन और बर्फ भी सड़क पर मिल सकती  है। इसके अलावा इस मार्ग पर मौसम कभी भी अचानक  बदल सकता है।  और आपको जाम की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा ऊँचाई बढ़ने के कारण  हवा का दबाव और आक्सीजन की कमी भी अनुभव  हो सकती है।

 

सांस्कृतिक पड़ाव: मनाली  से लेह के  इस रास्ते में आप  कई जगह कई सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थल देखने को पाएंगे।इनमें प्रमुख बौद्ध मठ, पैलेस, और संग्रहालय शामिल हैं। हेमिस मठ लद्दाख के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मठों में से एक है जहाँ आप तिब्बती स्क्रॉल पेंटिंग का एक विशाल संग्रह देखेंगे। यह मठ तिब्बती बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा मठ है। इसके आगे 11वीं शताब्दी में बना लिकिर गोम्पा मठ घाटी के ऊपर एक पहाड़ी पर है। फिर आता है अलची मठ जो अपनी रचनात्मक कला और मौलिकता के लिए जाना जाता है। थिक्से एक पहाड़ी पर बना कई मंजिलों वाला परिसर है। शे पैलेस लद्दाख की प्राचीन राजधानी है। लेह पैलेस, स्टॉक पैलेस संग्रहालय, महाबोधि अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्र और चोगलामसर  केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान जैसे सांस्कृतिक केंद्र  आपको  देखने  को मिलेंगे।  इसके अतिरिक्त पैंगोंग झील और लद्दाख की अनूठी संस्कृति का आनंद भी आपको  इस यात्रा में मिलेगा।

 

2. मुंबई से गोवा: तटीय राजमार्ग की साहसिक यात्रा।

 

दूरी: इस सबसे लंबे  और पुराने  राजमार्ग की लंबाई लगभग 600 किमी है। वैसे  तो अब मुम्बई  से गोवा  जाने के और भी नये राजमार्ग  बन गये हैं।  आजकल यह मार्ग कम लोगों द्वारा ही खोजा जाता है क्योंकि यह मुंबई गोवा हाईवे (NH66) और मुंबई-पुणे-बैंगलोर हाईवे (NH4) जैसे   दो अन्य लोकप्रिय राजमार्गों की तुलना में बहुत लंबा है और अधिक समय लेता है। अगर आपको लंबी सड़कयात्रा करनी है  तब तो आप इस राजमार्ग का चयन कर सकते  हैं।  मुंबई से गोवा जाने के लिए तटीय मार्ग के तौर पर,  500 किलोमीटर लंबे मुंबई-गोवा मरीन सुपरहाइवे का निर्माण किया जा रहा है। यह हाईवे कोंकण तटरेखा के साथ-साथ बन रहा है। इसके अलावा, मुंबई से गोवा जाने के लिए, मुंबई-गोवा एक्सप्रेसवे भी बन रहा है। 471 किलोमीटर लंबे इस मार्ग को एनएच 66 भी कहा जाता है जो मुंबई के पनवेल से दक्षिण गोवा के पोलेम तक जाएगा।

 

यात्रा का सर्वोत्तम समय: नवंबर से मार्च कूलर ड्राइव के लिए आप नवंबर से  मार्च के  बीच और  उष्णकटिबंधीय तटीय अनुभव के लिए मई से जून  के बीच आप इस राजमार्ग पर सड़क यात्रा  कर सकते हैं।

 

क्या अनुभव करें:

 

तटीय सौंदर्य: मुंबई-गोवा राजमार्ग तटीय राजमार्ग आपको सुंदर तटीय सड़कों, ताड़ के पेड़ों वाले समुद्र तटों और छोटे सुरम्य गाँवों और शहरों से होकर ले जाता है। इस मार्ग में आप  हरिहरेश्वर, श्रीवर्धन, वडखल जंक्शन से होते हुए  अलीबाग की यात्रा  करें। यहाँ  से तटीय मार्ग  शुरू  हो जाता है। अलीबाग से आगे कशीदाकारी बीच, नंदगाँव  बीच होते हुए  मुरुद जंजीरा जाएँगे।  हरिहरेश्वर से बागमंडला जेट्टी, दाभोल जेट्टी, तसवीर जेट्टी होकर गणपति  पुले पहुँचेंगे।   आगे  आपको दापोली और रत्नागिरी जैसे शहरों के  आकर्षण केंद्र देखने को मिलते  हैं। इन जगहों पर आप प्राचीन समुद्र तटों और स्वादिष्ट स्थानीय समुद्री भोजन का आनंद ले सकते हैं।

 

मंदिर और किले: मुम्बई  गोवा राजमार्ग में आप सिंधुदुर्ग किला और प्रसिद्ध मुरुद जंजीरा किला जैसे ऐतिहासिक स्थलों के साथ गणपति पुरे मंदिर और प्राचीन  कोंकण  संग्रहालय देखने को पाएंगे। जिसमें पारंपरिक कोंकण जीवन और संस्कृति को दर्शाती मूर्तियाँ हैं। इसे देखे बिना गणपतिपुले की आपकी  यात्रा अधूरी रह जाएगी। रास्ते में देखने लायक अन्य स्थानों में  – देवगढ़, संगमेश्वर, बागेश्वर मंदिर और कुंकेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। जो इतिहास, वास्तुकला और तटीय सुंदरता का संयोजन पेश करते हैं। इन सभी स्थानों पर आप स्थानीय  लोक कला और संस्कृति का परिचय पाएंगे और समुद्र के किनारे नारियल और ताड़ के पेड़ और छोटे-छोटे गाँव आपके आनन्द को दूना कर देते हैं।

 

गोवा की जीवंत वाइब: गोवा पहुँचने पर आप बागा बीच, सिंक्वेरिम किला, रीस मैगोस किला, फॉनटेनहास और चापोरा  में बीच का आनंद ले सकते हैं। आपको चापोरा के स्कार्लेट जूस सेंटर में आइसक्रीम के साथ फ्रूट सलाद ज़रूर आज़माना चाहिए।  दक्षिण गोवा में  कोला बीच उन ऑफबीट गंतव्यों में से एक है, जहाँ खूबसूरत नीला लैगून अरब सागर की अजेय लहरों से मिलता है। उत्तरी गोवा में आप शाम ढलते ही पारा रोड पर दोनों तरफ़ ताड़ के पेड़ों और खेतों से घिरे इस स्थान पर, जादुई सूर्यास्त को देखना न भूलें।  चोराओ द्वीप में आप पुर्तगाली शैली के मनोर और चर्चों के साथ एक अलग युग के एक शांत और सुरम्य गाँव में   वहाँ की जीवंत संस्कृति और इसके शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं।  यह क्षेत्र मुंबई की हलचल से बिल्कुल अलग है।

 

3. चेन्नई से पांडिचेरी: एक सुखदायक तटीय यात्रा।

पांडिचेरी एक ऐसी  जगह है जो चेन्नई मेट्रो शहर से सबसे ज़्यादा आकर्षक, लोकप्रिय और सबसे खूबसूरत बीच रिट्रीट में से एक है। यह शांत, पुराना फ्रांसीसी शहर औपनिवेशिक विरासत, ऐतिहासिक आकर्षण और  जगमगाते तटों की प्राचीन सुंदरता के  कारण आपको अपने आकर्षण से खींच  लेता है।

 

दूरी: चेन्नई से पांडिचेरी की 150 किलोमीटर की दूरी आपको तटीय यात्रा  का आनंद, रोमांच और यात्रा को दिलचस्प यादगार बनाने का अवसर देता है।

 

यात्रा का सर्वोत्तम समय: सुखद मौसम में यात्रा करने के लिए नवंबर से फरवरी के बीच और गर्मी के मौसम में तटीय यात्रा का आनंद लेने के लिए  मार्च से मई के बीच रहता है। अप्रैल और मई के गर्मियों के महीने बेहद गर्म हो जाते हैं, जबकि मानसून के बाद के महीने अधिक सुखद होते हैं।

 

क्या अनुभव करें:

 

शांत समुद्र तट: 150 किलोमीटर की यह छोटी लेकिन मनमोहक ड्राइव आपको सुंदर पूर्व तटीय सड़क पर यात्रा के रोमांच का आनंद करवाती है। यह दक्षिण भारत की सबसे लोकप्रिय ड्राइव में  से एक है।  जो हरे-भरे हरियाली, समुद्री तटों और शांत बैकवाटर के साथ समुद्र तट को गले लगाती है। एक तरफ यह ड्राइव बंगाल की खाड़ी के दृश्य प्रस्तुत करती है और दूसरी तरफ और दूसरी तरफ तमिलनाडु के प्राचीन मंदिर, कस्बों और गांवों के सुंदर दृश्य प्रस्तुत करती है। इस यात्रा के रास्ते में, आप कुछ लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर आप रुक सकते हैं और यात्रा में कुछ और रोमांच जोड़ सकते हैं।

 

सांस्कृतिक पड़ाव: चेन्नई में  दक्षिण चित्रा हेरिटेज संग्रहालय, मुथुकाडु – दक्षिण भारतीय विरासत और संस्कृति को समर्पित एक जीवंत-ऐतिहासिक संग्रहालय है।चेन्नई में जीसस के पवित्र हृदय के बेसिलिका और शोर मंदिर, महाबलीपुरम – बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित 8 वीं  शताब्दी का मंदिर और महाबलीपुरम का एक ऐतिहासिक स्थल है। महाबलीपुरम समुद्र तट पर एक पुराना लाइटहाउस, जो सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए जाना जाता है। अलमपराई किला, एडाइकाझिनाडु – तट पर स्थित इस प्राचीन किले के अवशेषों को आप यहाँ   देखने के लिए रुक सकते हैं। पांडिचेरी में प्रोमेनेड बीच और रॉक बीच शहर के दो सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल हैं। व्हाइट टाउन में फ्रेंच विला और पुरानी हवेलियों को देखें।ऐतिहासिक दृष्टि से पांडिचेरी संग्रहालय, फ्रेंच युद्ध स्मारक, अरिकामेडु – पुरातत्व खंडहरों वाला एक प्राचीन रोमन स्थल है। आध्यात्मिक दृष्टि से पांडिचेरी में अरबिंदो आश्रम है जहाँ आप भारतीय और फ्रांसीसी संस्कृतियों के मिश्रण का अनुभव कर सकते हैं।

 

पाक कला संबंधी आनंद: प्रामाणिक चेट्टीनाड व्यंजनों और फ्रांसीसी शैली की बेकरियों का स्वाद लेने के लिए स्थानीय रेस्तरां और भोजनालयों में आप इन जगहों  पर जा सकते हैं;

संगीता वेज रेस्तरां, मुथुकाडु –  रेस्तरां, जो शाकाहारी दक्षिण भारतीय व्यंजन देता है। महाबलीपुरम – वैश्विक व्यंजन परोसने वाला एक रिसॉर्ट रेस्तरां, जो शानदार दृश्यों के साथ भोजन करने के लिए जाना जाता है। सहारा रेस्तरां, कलपक्कम – स्थानीय भोजनालय जो उत्तर और दक्षिण भारतीय भोजन परोसता है। कांचीपुरम – झील के किनारे स्थित भोजनालय, जो उत्तर भारतीय व्यंजन और ढाबा शैली का भोजन परोसता है। सत्यम शाकाहारी रेस्तरां, चेंगलपट्टू – शाकाहारी रेस्तरां जो नाश्ते, दोपहर के भोजन और रात के खाने के लिए क्लासिक दक्षिण भारतीय भोजन देता है। वसंत भवन, अचारपक्कम – पारंपरिक स्नैक्स और भोजन की प्लेटें परोसने वाला मानक राजमार्ग किनारे का आकस्मिक भोजनालय, त्वरित रुकने के लिए अच्छा है। पांडिचेरी के स्थानीय स्वाद का स्वाद लेने के लिए इन बेहतरीन स्थानों पर जाएँ- बेकर स्ट्रीट, बुस्सी स्ट्रीट, विला शांति, सुफ़्रेन स्ट्रीट, कैफ़े डेस आर्ट, सफ़रन स्ट्रीट, कोरोमंडल कैफे, रोमेन रोलांड स्ट्रीट, ला मैसन रोज़, रोमेन रोलैंड स्ट्रीट।

 

 

4. राजस्थान डेजर्ट सर्किट: जोधपुर से जैसलमेर तक

राजस्थान के रेगिस्तानी सर्किट में जोधपुर, बीकानेर, और जैसलमेर शहर शामिल हैं।  बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, पाली, और माउंट आबू को जोड़ने वाला एक मेगा हैरिटेज डेजर्ट सर्किट बनाया जा रहा है।

 

दूरी: इस सर्किट की लंबाई  लगभग 285 किमी है।

 

यात्रा का सर्वोत्तम  समयः राजस्थान में गर्मी के मौसम में तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। गर्मियों के समय यहाँ का तापमान 46 डिग्री से लेकर 50  डिग्री सेल्सियस के ऊपर तक पहुँच जाता है। इसलिए इस सर्किट की यात्रा करने के लिए  आप कभी भी अक्टूबर से फरवरी के बीच में ही प्लान बनाएं। यहां सर्दियों के समय में मौसम दिन के समय पर थोड़ा गर्म और रात में समय में काफी ठंडा हो जाता है।

 

क्या अनुभव करें:

 

विशाल रेगिस्तान और किले: इस सर्किट के जैसलमेर और जोधपुर दो सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं और थार रेगिस्तान,  थार महोत्सव और मंदिरों जैसे कई स्थान  पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र हैं। जोधपुर का नीला शहर और जैसलमेर का सुनहरा शहर आपकी यात्रा मजेदार बना देते हैं। जोधपुर का उम्मेद भवन पैलेस, जसवंत थडा, घंटाघर यहां के कुछ प्रमुख आकर्षण हैं। जोधपुर का मेहरानगढ़ किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है, जो शहर से 410 फीट ऊँचाई पर स्थित है। मेहरानगढ़ किले के म्यूजियम में गैलरी, खजाने, पेंटिंग, शस्त्रागार हैं और मेहरानगढ़ में पर्यटकों के आकर्षण में राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक स्मारक, चामुंडा माताजी मंदिर और राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क भी शामिल हैं। मंडलेश्वर महादेव मंदिर, मंडोर गार्डन, मेहरानगढ़ किला, कायलाना झील यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। जोधपुर में पर्यटन में मंडलेश्वर महादेव मंदिर, विज्ञान पार्क, रतनाद गणेश मंदिर, सरदार समंद झील और प्रसिद्ध रावण का मंदिर भी शामिल है।

जैसलमेर का किला जिसे गोल्डन किला भी कहा जाता है, दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है जो विशाल थार रेगिस्तान में त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है। इसमें विशाल पीले बलुआ पत्थर की दीवारें हैं, जो दिन के दौरान सोने की तरह चमकती हैं। इसलिए इसे सोनार किला या स्वर्ण किला भी कहा जाता है।

 

कैमल सफारी: जैसलमेर के आसपास ऊंटों पर डेजर्ट सफारी, सैंड ड्यून और डेजर्ट कैंपिंग लोकप्रिय गतिविधियां हैं।  थार रेगिस्तान में आपको ऊंट सफारी, रेट का टीला, जीप सफारी, डेजर्ट कैंप पर एक बार जरूर जाना चाहिए। जैसलमेर के पास डेजर्ट नेशनल पार्क है। इसके पास कुलधरा गांव, अमर सागर झील, अकाल जीवाश्म पार्क, डेजर्ट नेशनल पार्क यहाँ के प्रमुख आकर्षण केन्द्र हैं। रात के समय खुले आसमान में  टिमटिमाते तारे आपके आनंद कोई बढ़ा देते हैं।

 

सांस्कृतिक विरासत: बड़ी-बड़ी मूंछो और रंगबिरंगी पगड़ी पहने पुरुष, सितारे और शीशे लगे लहंगे पहने हुए महिलाएं, पीले बलुआ पत्थर से बने जाली और झरोखे की वास्तुकला, चमड़े की जूतियों की असंख्य दुकानें, ब्लॉक से छपाई किए हुए स्कार्फ और छोटी वस्तुओं पर कलाकारी ये सब चीजें  आपको अपने अपनी सांस्कृतिक विरासत में डुबाकर पुराने समय में ले जाती हैं। राजस्थान की सबसे बड़ी हवेलियों में से एक पटवों की हवेली जिसकी खिड़कियों और बालकनियों पर जटिल नक्काशी और उत्तम वॉल पेंटिंग और शीशे का काम हवेलियों की भव्यता को बढ़ाती हैं। इस विशाल हवेली में हवादार आंगन और 60 बालकनी हैं, जिनमें से प्रत्येक में विशिष्ट नक्काशी है जो इसके आकर्षण को बढ़ाती है। हवेली के संग्रहालय में आपको पटवा परिवार से संबंधित पत्थर के काम और कलाकृतियों का दुर्लभ संग्रह भी मिलेगा। जैसलमेर की यह सांस्कृतिक समृद्धि से आपको मंत्रमुग्ध कर देगी। धार्मिक पर्यटन को बढ़ाने के लिए  माउंट आबू, दिलवाड़ा मंदिर, अजमेर दरगाह, बूड़ा पुष्कर और खाटूश्यामजी जैसे प्रमुख स्थल हैं।

 

 

5. कोच्चि से मन्नारः केरल में एक हिल स्टेशन की यात्रा।

दूरी: लगभग 130 किलोमीटर

 

यात्रा का समयः कोच्चि से मुन्नार तक सड़क यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सितंबर से मार्च तक का समय होगा। मार्च  से मई के बीच भी आप यात्रा  कर सकते हैं। लेकिन इस मौसम में गर्मी बढ़ जाती है।  और  उसके बाद  मानसून मौसम में आपकी यात्रा सुखद नहीं  हो सकती है।  इसलिए सबसे अनुकूल समय सितम्बर के  बाद से लेकर  मार्च तक ही रहता है। इस समय सड़क मार्ग से जाने पर आप रास्ते में इस यात्रा को जादुई बना सकते हैं।  पहाड़ों और चट्टानों से होकर  न्यारा तक के रास्ते में आप स्वर्ग जैसा अनुभव  कर सकते हैं।

 

क्या अनुभव करें:

चाय के बागान और हरी-भरी पहाड़ियाँ: यह ड्राइव आपको तटीय शहर कोच्चि से मुन्नार के सुरम्य हिल स्टेशन तक ले जाती है। अनमुडी चोटी के पास स्थित चाय के बाग, सिरों से घिरा हुआ; मट्टुपेट्टी बांध और झील है।  जैसे ही आप पश्चिमी घाट पर चढ़ते हैं, आप हरे-भरे चाय के बागानों, घुमावदार पहाड़ियों और ठंडी धुंध भरी हवा से घिरे होंगे। कोलुक्कुमलाई चाय बाग में आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। चाय बाग़ तक जाने वाली टेढ़ी-मेढ़ी इमारतें बेहद खूबसूरत हैं और पेयर की ताज़ा सुगंध का आनंद देती हैं।  ड्राइव के रास्ते में घाटियों और जंगलों के सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं।

 

वन्य जीवन और प्रकृति: कार्मेलगिरी हाथी पार्क में हाथी सपरा का आनंद ले सकते हैं।  आप एराविकुलम नेशनल पार्क में पक्षियों की कई प्रजातियाँ देखने के साथ  अन्य लोकप्रिय सोलोमन क्षेत्र चिन्नार अभयारण्य और तीर्थयात्री अली पक्षी अभयारण्य भी जा सकते हैं। कुंडला झील पर सुंदर सूर्योदय का आनंद ले सकते हैं। माउंटेन बाइकिंग के शौकीन लोगों के लिए सूर्यनेल्ली, अनामुडी शोला, कुंडला, मरूर और वंदनमेडु जैसी जगहें आपके प्रकृति के  प्रति प्रेम और  आनंद को बढ़ा देते हैं। मट्टुपेट्टी बांध और अनामुडी पीक जो दक्षिण भारत का सबसे ऊंचा स्थान है। यहाँ  फोटोग्राफिकल करने का अच्छा अवसर मिलता है।

 

मसाले और संस्कृति: केरल अपने मसाला बागानों के लिए जाना जाता है, और मुन्नार में, आप स्थानीय मसाला बाजारों का पता लगा सकते हैं, ताज़ी कॉफी का स्वाद ले सकते हैं और पारंपरिक केरल व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। केरल आयुर्वेदिक उपचारों के लिए जाना जाता है जिसमें टैरोटाज़ा करने वाले स्पा और वेलनेस माइंस शामिल हैं। विभिन्न आयुर्वेदिक उपचारों से आप अपने मन और शरीर को आराम देने का प्रयास कर सकते हैं और लाभ भी उठा सकते हैं।  कल्लर वट्टियार – केरल के लोकप्रिय मसाला बागों में से एक है। यहाँ का कलाडी एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है क्योंकि यह आदि पूर्वजों की जन्मस्थली है। यह स्थान संस्कृति और ज्ञान के समान रूप से महत्व  रखता है।

 

6. कोलकाता से दार्जिलिंग: एक दर्शनीय हिल स्टेशन की सैर

कोलकाता से दार्जिलिंग जाने का सबसे छोटा और अच्छा रास्ता एनएच 12 है।  यह दूरी करीब 634 किलोमीटर है और इसमें करीब 15 घंटे का समय लगता है। दार्जिलिंग को ‘पहाड़ों की रानी’ कहा जाता है। यह शहर 6,700 फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है।

 

दूरी: लगभग 634 किमी

 

यात्रा का सर्वोत्तम समय: मार्च से मई। दार्जिलिंग में सर्दियाँ अक्टूबर के अंत से शुरू होती हैं, जिससे घाटी में लगातार ठंड पड़ती है और तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। सुबह ठंडी होती है, दोपहर  हल्की गर्म धूप के साथ आपका स्वागत करती है। मानसून के मौसम में जुलाई से सितंबर तक शहर में भारी वर्षा होती है। जिससे कुछ क्षेत्रों में भूस्खलन हो सकता है। मानसून के दौरान तापमान 13 से 19 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। गर्मियों में अप्रैल से जून तक का समय दार्जिलिंग में पर्यटकों के लिए चरम मौसम रहता है। इस समय तापमान 25 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने के कारण मौसम अच्छा होता है। यह मौसम दर्शनीय स्थलों की यात्रा और इस हिल स्टेशन की मनोरम सुंदरता को अपनाने का सही अवसर प्रदान करता है।

 

क्या अनुभव करें:

आकर्षक हिल स्टेशन: कोलकाता से दार्जिलिंग की यात्रा आपको पश्चिम बंगाल के सुरम्य परिदृश्यों के माध्यम से एक मनोरम यात्रा का आनंद प्रदान करती है। इस यात्रा में आप बर्फ से ढके हिमालय के अद्भुत दृश्यों, हरे-भरे चाय बागानों और शांत वातावरण के साथ दार्जिलिंग के आकर्षण देखने को पाएंगे। दार्जिलिंग की यात्रा आपके  प्रकृति प्रेम, साहसिक यात्रा करने की इच्छा और शांतिपूर्ण विश्राम हेतु आपको एक लोकप्रिय गंतव्य देती है। इस यात्रा में आप एक अविस्मरणीय अनुभव सुनिश्चित कर सकते हैं। कोलकाता से दार्जिलिंग तक की ड्राइव में  आप, सुरम्य सिलीगुड़ी से गुजरते हुए, चाय बागानों, घने जंगलों और आकर्षक औपनिवेशिक शहरों के माध्यम से एक अविस्मरणीय यात्रा का  आनंद ले सकते हैं। पूर्वी हिमालय की घुमावदार सड़कें दार्जिलिंग की ओर ले जाती हैं, जहां आपका स्वागत ठंडे मौसम और दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत कंचनजंगा के शानदार दृश्य करते हैं।

 

टी एस्टेट और टॉय ट्रेन: इस यात्रा में आप दार्जिलिंग में  टी एस्टेट में प्रतिष्ठित टॉय ट्रेन की सवारी का आनंद ले सकते हैं। यह अनुभव क्षेत्र के औपनिवेशिक अतीत की पुरानी यादों को दर्शाता है।  यूनेस्को की विश्व धरोहर, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, जिसे प्यार से “टॉय ट्रेन” कहा जाता है। पहाड़ियों, पुलों और विचित्र गांवों से गुज़रते हुए आप यहाँ रमणीय नैरो-गेज ट्रेन की यात्रा धीमी गति से आश्चर्यजनक परिदृश्य, हरे-भरे चाय के बागानों और सुरम्य हिमालयी वास्तुकला का आनंद लेते हुए अपने अनुभव को वास्तव में अविस्मरणीय बना सकते हैं। इस ट्रेन  की सवारी करना यहाँ पर आने वाले सभी पर्यटकों का पहला और सबसे बड़ा शौक होता है।

 

सांस्कृतिक और दर्शनीय आकर्षण: दार्जिलिंग का प्रसिद्ध बतासिया लूप  एक आकर्षक इंजीनियरिंग का चमत्कार और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक उपहार है। यह सर्पिल रेलवे लूप पहाड़ियों का एक शानदार नज़ारा पेश करता है। दार्जिलिंग का जापानी शांति पैगोडा कई शांति पैगोडा में से एक है, जो सभी जातियों और धार्मिक मान्यताओं के बीच वैश्विक सद्भाव और शांति बढ़ावा देता है। टाइगर हिल पर सूर्योदय का दृश्य बर्फ से ढकी चोटियों को गुलाबी, नारंगी और सुनहरे रंगों के मनमोहक कैनवास में बदल देता है। ऑब्ज़र्वेटरी हिल के ऊपर स्थित महाकाल मंदिर हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए गहरी श्रद्धा रखता है। यहां के दूसरे मुख्य आकर्षण के केंद्र, चाय के बागान, पीस पैगोडा, हिमालयन जूलॉजिकल पार्क, नाइटिंगेल पार्क, दार्जिलिंग रॉक गार्डन, दार्जिलिंग ऑब्ज़र्वेटरी हिल इत्यादि हैं।

 

 

निष्कर्ष:

गर्मियों में आप सड़क यात्रा को अपनाकर भारत की विविधतापूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों का आनंद ले सकते हैं।  साथ ही साथ आपको लोककलाओं, स्थानीय व्यंजनों और रीति रिवाजों का भी अनुभव होता है।  ग्रीष्मकालीन सड़क यात्रा आपको एक यात्रा से कहीं अधिक कुछ और भी प्रदान करती है। जैसे – नए- नए स्थानों की खोज, विभिन्न संस्कृतियों का अनुभव और देश के कुछ सबसे लुभावने परिदृश्य इत्यादि।  मुन्नार और दार्जिलिंग के ठंडे हिल स्टेशनों से लेकर लेह के ऊबड़-खाबड़ इलाकों और गोवा की शांत तटीय सड़कों तक, सबके  अपने अनूठे आकर्षण हैं। गर्मियों में  बेहतरीन सड़क यात्राएं आपका इंतज़ार कर रही हैं। तो देर किस बात की है। आप अपनी गाड़ी की चाभी उठायें, अपना बैग पैक करें, और निकल पड़ें एक ऐसी साहसिक यात्रा के लिए जो पहले कभी नहीं हुई।