गर्मी के मौसम में गर्मी से बचने के लिया भारत में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहें

भारत में  भयंकर गर्मी पड़ती है, देश के कई हिस्सों में तापमान 48°C से ऊपर तक बढ़ जाता है। गर्मी के  मौसम में  शहरों में असहनीय गर्मी से  जन जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। दूसरी तरफ इससे राहत पाने  के लिए भारत में ठंडे, हिल स्टेशनों की एक बृहद सूची है जहाँ आपको चिलचिलाती धूप या चिपचिपी गर्मी से बचने का बेहतरीन मौका मिलता है।  आप शांत हिल स्टेशनों, सुंदर झीलों, या ठंडे तटीय स्थानों का आनन्द लेने के लिए  कहीं  भी जा सकते हैं। भारत में आप ऐसे स्थानों में  से किसी  भी एक स्थान का चयन  कर सकते हैं जहां पर आप कुछ दिन आराम कर सकते हैं और प्रकृति के ठंडे वातावरण के सानिध्य का आनंद ले सकते हैं। ये गंतव्य आपको  न केवल गर्मी से राहत दिलाते हैं बल्कि देश की समृद्ध प्राकृतिक सुंदरता, जीवंत संस्कृतियों और रोमांचकारी बाहरी गतिविधियों से आपको  अपना परिचय करवाने का अवसर भी प्रदान करते हैं।

इस गाइड में, हम देश के कुछ सबसे  आश्चर्यजनक परिदृश्यों और शांत वातावरण का आनन्द देने वाले स्थलों के  बारे में बताएंगे और  आपको गर्मी से राहत पाने में मदद करने के लिए भारत के प्रमुख सर्वोत्तम ठंडे स्थलों का परिचय देंगे। आगे आपको  हिमालय की तलहटी से लेकर हरे-भरे पश्चिमी घाट तक, इस गर्मी में ठंडक पाने के लिए  कुछ बेहतरीन स्थान के बारे में जानकारी मिलेगी।

 

 

1. शिमला, हिमाचल प्रदेश: हिल स्टेशनों की रानी

यात्रा का सर्वोत्तम समय: मार्च से जून

यह बिल्कुल सही क्यों है: लगभग 2,200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला एक क्लासिक ग्रीष्मकालीन हालीडे स्थल है जो अपने सुखद मौसम, हरे-भरे देवदार के घने जंगलों और औपनिवेशिक युग के आकर्षण के लिए जाना जाता है। गर्मी के मौसम में  यहाँ पर्यटकों की चहल पहल बढ़ जाती है। यहाँ पर पर्यटकों को ठंडे तापमान में प्राकृतिक सौन्दर्य और पहाड़ों की गहरी-भरी सुन्दरता आकर्षित करती है। जिससे यह आपके लिए कुछ दिन आराम करने के लिए एक आदर्श स्थान बन जाता है। हर साल इस शहर के प्रति  पर्यटकों की दीवानगी यात्रियों की बढ़ती संख्या  से पता चल जाती है।

 

क्या अनुभव करें:

रिज और मॉल रोड: शिमला के मॉल रोड पर भारी चहल -पहल, शोरगुल के बीच आप गरम कपड़े, खूबसूरत हस्तशिल्प, सभी वस्तुऐं  उचित दामों में खरीद सकते हैं। घूमने-फिरने के बाद आप यहाँ आकर अपने इकट्ठे किए गए पैसों को अच्छी चीज़ों पर खर्च कर सकते हैं। यहाँ आकर आपको कई तरह की दुकानें, रेस्तरां और औपनिवेशिक युग की इमारतें देखने को मिलेंगी। रिज जो पहाड़ों के शानदार दृश्यों वाला एक विशाल खुला क्षेत्र है। यहाँ हरियाली युक्त पहाड़ों  पर आपको सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक हर पल का नज़ारा आपके मन को लुभावना लगेगा। अपनी अनकही सुंदरता से शांत पहाड़ आपको यहाँ कुछ पल के लिए रुकने के लिए विवश कर देंगे। आप यहाँ प्रकृति की सुन्दर गोद  में आकर अपने मन की हर व्यथा भूल जाऐंगे। द स्कैण्डल पाॅइंट, क्राइस्ट चर्च, द शिमला स्टेट म्यूजियम, हिमालयन बर्ड पार्क जैसे और भी कई स्थान आपको  आकर्षित करेंगे।

 

कालका-शिमला टॉय ट्रेन: यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल कालका से शिमला तक टॉय ट्रेन की सवारी करें। यह नैरो-गेज रेलवे सुरम्य पहाड़ियों और घाटियों के बीच से निकलने वाली एक पुरानी यादों वाली प्रतिष्ठित टॉय ट्रेन है। इस नैरो-गेज ट्रेन की सवारी का आनंद लेते समय यह आपको औपनिवेशिक अतीत की पुरानी यादों को याक कराता है।  सुरंगों, पहाड़ियों, पुलों और विचित्र गांवों से गुज़रते हुए आप यहाँ रमणीय नैरो-गेज ट्रेन की यात्रा धीमी गति से आश्चर्यजनक परिदृश्य, और सुरम्य हिमालयी वास्तुकला का आनंद ले सकते हैं। इस ट्रेन  की सवारी करना यहाँ पर आने वाले सभी पर्यटकों का पहला और सबसे बड़ा शौक होता है।

 

नेचर ट्रेल्स: समर हिल्स, चाडविक फाॅल्स, कुफरी, काला फाॅरेस्ट, अनाडेल,   जाखू हिल जैसे आस-पास के तमाम  प्राकृतिक दृश्य पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं जहाँ पहुँच कर आप हटने का नाम ही नहीं लेंगे। जाखू मंदिर में 108 फिट ऊँची हनुमान जी की मूर्ति  है जिसके दर्शन के लिए तमाम पर्यटकों की  भीड़  बनी रहती है। कुफरी, शिमला के ठीक बाहर स्थित एक हिल स्टेशन है, जो अपनी ठंडी जलवायु और साहसिक खेलों के लिए जाना जाता है। नालदेहरा शिमला के पास सबसे अच्छा हिल स्टेशन है। यहाँ से  सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य देखना मनमोहक लगता है। घने देवदार पेड़ों और प्राकृतिक रूप से समृद्ध वनस्पतियों और जीवों के साथ, यह अद्भुत वन क्षेत्र है जिसका आनंद आप घोड़े की सवारी पर कर सकते हैं।

 

 

2. मनाली, हिमाचल प्रदेश: एक आश्चर्यजनक अल्पाइन रिट्रीट

यात्रा का सर्वोत्तम समय: अप्रैल से जून

यह उत्तम क्यों है: ब्यास नदी घाटी में स्थित, समुद्र तल से 1950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुल्लू जिले का शहर मनाली गर्मी से राहत चाहने वालों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य स्थल  है। यह अपनी ठंडी, अल्पाइन जलवायु, हरे-भरे घास के मैदान और राजसी बर्फ से ढकी चोटियों के साथ, मनाली हिमालय के केंद्र में सुकून देने वाला हिल स्टेशन है। यह भारत के लद्दाख़ और  काराकोरम दर्रे के पार तारिम द्रोणी में यारकन्द और ख़ोतान जाने के प्राचीन व्यापारिक मार्ग का मुख्य द्वार  है। यहाँ से आप लाहौल सुनीति और लेह भी जा सकते हैं।

 

क्या अनुभव करें:

सोलंग वैली:  कुल्लू घाटी से सटी सोलांग घाटी का नाम इसमें स्थित सोलांग गाँव के नाम पर पर पड़ा है और यह मनाली से 14 किमी पश्चिमोत्तर में रोहतांग दर्रे के मार्ग में स्थित है। यह पर्यटकों के लिए स्कीइंग, पैराशूटिंग, पैराग्लाईडिंग और अन्य रोमांचक खेलों  का केन्द्र बन गया है।

आपको, स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग जैसे साहसिक खेलों के लिए मशहूर, सोलंग वैली की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। सोलंग वैली में आप साल भर  होने वाले कुछ सबसे रोमांचक बर्फीले खेलों का अनुभव कर सकते हैं। स्कीइंग का मज़ा लेने के लिए जनवरी और फ़रवरी सबसे अच्छे महीने हैं ।

यहां तक ​​कि गर्मियों में भी, जब परिदृश्य हरा-भरा होता है तब ट्रैकिंग, जोरबिंग और पैराग्लाडिंग खेलों का आप मजा ले सकते हैं।

 

रोहतांग दर्रा: कुल्लू घाटी एवं  लाहौल और स्पीति घाटियों के बीच 3,980 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक हिमालय का दर्रा पीर पंजाल श्रेणी के पूर्वी भाग में मनाली से 51 किमी दूर है। यह पूरे वर्ष हिमग्रस्त रहता है। हिमाचल को लद्दाख़ से जोड़ने वाला मनाली लेह राजमार्ग इस दर्रे से गुज़रता है अब इस दर्रे  की जगह अटल टनल बना दी गयी है। आप रोहतांग दर्रा के आसपास बर्फ से ढके पहाड़ों के शानदार भूभाग पर स्कीइंग, ट्रेकिंग, स्नोबॉल और स्लेजिंग जैसी  गतिविधियों का आनंद लेने के यहाँ पहुँच सकते  हैं। यहीं  पर व्यास नदी का उद्गम है। वहीं  पास में  व्यास मन्दिर है।

 

ओल्ड मनाली: ओल्ड मनाली एक खूबसूरत, आरामदेह इलाका है. यह अपने हरे-भरे पहाड़ी रास्तों, सेब के बागानों, और मनास्लू नदी के किनारे सुन्दर स्थलों के लिए जाना जाता है। यहाँ पर देवदार के जंगल में 16वीं सदी का हिडिंबा देवी का मंदिर है जो कि एक गुफा में बना हुआ है। यहाँ आप पारंपरिक लकड़ी के घरों की सुन्दरता और नक्काशी  देख  सकते हैं। मनास्लू नदी के किनारे आप आराम कर सकते हैं और स्थानीय भोजन का आनंद ले सकते हैं। आप यहाँ पर हाथ से बुने हुए गर्म कपड़े खरीद सकते हैं।  अगर आप शापिंग करना चाहते हैं  तो यहाँ पर आप  हिमाचली टोपी और पश्मीना शॉल, कुछ अच्छी प्राचीन वस्तुएँ, पेंटिंग, घर की सजावट की वस्तुएँ, जूते, तिब्बती हस्तशिल्प वस्तुएँ खरीद सकते हैं।

 

 

3. कूर्ग, कर्नाटक: भारत का स्कॉटलैंड

यात्रा का सर्वोत्तम समय: सितम्बर से  जून तक

यह बिल्कुल सही क्यों है: भारत के स्कॉटलैंड के रूप में जाना जाने वाला, कूर्ग पश्चिमी घाट में एक आकर्षक हिल स्टेशन है, जो हरे-भरे कॉफी के बागान, धुंध भरी पहाड़ियाँ और गर्मी से बचने के लिए एक शांत वातावरण प्रदान करता है। ठंडी, ताज़ा जलवायु और सुंदर दृश्य इसे गर्मियों के लिए एक आदर्श गंतव्य बनाते हैं। यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्‍थल है। कावेरी नदी का उदगम स्‍थान कोडगु अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा हाइकिंग, क्रॉस कंट्री और ट्रेल्‍स के लिए भी जाना जाता है। कोडगु के पहाड़, हरे-भरे जंगल, चाय और कॉफी के बागान और यहां के लोग  आपके मन को मोह लेते हैं।

 

क्या अनुभव करें:

कॉफ़ी बागान: कूर्ग अपनी कॉफ़ी के लिए प्रसिद्ध है,  कूर्ग में कॉफी के बागान पूरी तरह से वहाँ  की भौगोलिक स्थिति और संस्कृति से जुड़े हुए हैं। कूर्ग में उगाई जाने वाली कॉफी की ज़्यादातर किस्में छायादार होती हैं। यह पौधे ऊंचे देशी पेड़ों के नीचे उगाए जाते हैं जो इस क्षेत्र को आश्रय देते हैं। भारत में सबसे ज़्यादा कॉफ़ी कूर्ग में ही पैदा होती है। यहाँ उगाई जाने वाली कॉफ़ी की फलियाँ अपने गहरे स्वाद और अच्छी महक के लिए दुनिया भर में पसंद की जाती हैं। इस क्षेत्र की जलवायु अपेक्षाकृत ठंडी है और मिट्टी कॉफ़ी की फलियों और अन्य फसलों को उगाने के लिए उपयोगी है। कुर्ग में कॉफ़ी के बागानों में आम तौर पर दो प्रकार की कॉफ़ी उगाई जाती है: यह दो प्रकार हैं अरेबिका और रोबस्टा। यहाँ पर काॅफी बागान बड़े फऔर कई एकड़ ज़मीन पर फैले हुए हैं।

 

एबे फॉल्स और इरुप्पु फॉल्स: एबे फॉल्स और इरुप्पु फॉल्स जैसे झरने यहाँ  पर झरनों की सुंदरता बढ़ा देते हैं। यह गर्मियों में मंत्रमुग्ध कर देने वाले होते हैं। दक्षिण कोडगु में ब्रह्मगिरी पर्वतमाला के अंतर्गत इर्पू नाम का एक पवित्र स्‍थान है। इसी के पास लक्ष्‍मण तीर्थ नामक नदी बहती है। किवदंतियों के अनुसार सीता की खोज में राम और लक्ष्‍मण यहां से गुजरे थे। राम के पानी मांगने पर लक्ष्‍मण ने ब्रह्मगिरी पर्वत पर तीर मारकर लक्ष्‍मण तीर्थ नदी निकाली थी। यह नदी इर्पू फॉल्‍स में गिरती है। इस स्‍थान के बारे में माना जाता है कि यहां आने से व्‍यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। प्रतिवर्ष शिवरा‍त्रि के दिन हजारों की संख्‍या में श्रद्धालु यहां आते हैं।

 

मदिकेरी किला और राजा की सीट: मडिकेरि कोडगु का जिला मुख्‍यालय है। इसका नाम यहाँ के पहले शासक मुद्दुराजा के नाम पर पड़ा। भारत के स्‍कॉटलैंड के नाम से मशहूर यह जगह एक खूबसूरत पहाड़ी नगर है। यहाँ स्थित महल, किला, ओंमकारेश्‍वर मंदिर, राजा की सीट और अब्‍बी फॉल्‍स बहुत प्रसिद्ध हैं। मडिकेरि मैसूर से करीब 120 किलोमीटर दूर है। कुशालनगर में और इसके आसपास अनेक पिकनिक स्‍पॉट हैं जिनमें से  वीरभूमि, निसर्गधाम, तिब्‍बती मॉनेस्‍ट्री, स्‍वर्ण मंदिर और हरंगी बांध बहुत  आकर्षक हैं  और पर्यटकों को  आकर्षित करते हैं।

 

 

4. दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल: एक हिमालयी रत्न

यात्रा का सर्वोत्तम समय: मार्च से जून

यह बिल्कुल सही क्यों है: अक्सर “पहाड़ियों की रानी” के रूप में जाना जाता है, दार्जिलिंग 2,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और अपनी ठंडी जलवायु, सुंदर चाय बागानों और कंचनजंगा रेंज के लुभावने दृश्यों के लिए जाना जाता है। शांत वातावरण, अपने औपनिवेशिक आकर्षण के साथ मिलकर, इसे ग्रीष्मकालीन विश्राम के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। यह शहर पहाड़ की चोटी पर स्थित है। यहां सड़कों का जाल बिछा हुआ है। ये सड़के एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इन सड़कों पर घूमते हुए आपको औपनिवेशिक काल की बनी कई इमारतें दिख जाएंगी।

 

क्या अनुभव करें:

टॉय ट्रेन की सवारी: दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जिसे टॉय ट्रेन भी कहा जाता है, पर चढ़ें, जो सुंदर पहाड़ियों और चाय के बागानों के माध्यम से एक आनंददायक सवारी प्रदान करती है। यहाँ की प्रतिष्ठित टॉय ट्रेन की सवारी आपके आनंद को बढ़ा देती है। यह ट्रेन आपको   औपनिवेशिक अतीत की पुरानी यादों को दोहराती है।  यूनेस्को की विश्व धरोहर, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, जिसे प्यार से “टॉय ट्रेन” कहा जाता है। पहाड़ियों, पुलों और विचित्र गांवों से गुज़रते हुए आप यहाँ रमणीय नैरो-गेज ट्रेन की यात्रा धीमी गति से आश्चर्यजनक परिदृश्य, हरे-भरे चाय के बागानों और सुरम्य हिमालयी वास्तुकला का आनंद ले सकते हैं। इस ट्रेन  की सवारी करना यहाँ पर आने वाले सभी पर्यटकों का पहला और सबसे बड़ा शौक होता है।

 

टाइगर हिल: पूर्वी हिमालय के दुनिया के तीसरे सबसे ऊंचे पर्वत कंचनजंगा के शानदार दृश्य यहाँ पर आपका स्वागत ठंडे  मौसम के साथ करते हैं। कंचनजंगा के शानदार दृश्य के लिए आप सुबह-सुबह टाइगर हिल की यात्रा जरूर करें। किसी  दिन जब आसमान  साफ हो तो, आप पर्वत श्रृंखला को भोर की सुनहरी रोशनी में नहाते हुए देख सकते हैं। टाइगर हिल पर सूर्योदय का दृश्य बर्फ से ढकी चोटियों को गुलाबी, नारंगी और सुनहरे रंगों के मनमोहक कैनवास में बदल देता है। यहाँ के दूसरे ऑब्ज़र्वेटरी हिल के ऊपर स्थित महाकाल मंदिर हिंदुओं और बौद्धों दोनों के लिए गहरी श्रद्धा रखता है।

 

चाय बागान: चाय के लिए ही दार्जिलिंग विश्‍व स्‍तर पर जाना जाता है। वर्तमान में दार्जिलिंग में तथा इसके आसपास लगभग ८७ चाय उद्यान हैं। स्‍थानीय मिट्टी तथा हिमालयी हवा के कारण डार्जिलिंग चाय की गुणवता उत्तम कोटि की होती है। हैपी-वैली-चाय उद्यान शहर से ३ किलोमीटर दूर है। आप यहाँ  आसानी से पहुंच सकते हैं और मजदूरों को चाय की पत्तियों को तोड़ते हुए देख सकते हैं जहाँ आप  चाय बनाने की परंपराओं के बारे में जान सकते हैं और ताज़ी  दार्जिलिंग चाय का आनंद ले सकते हैं।

 

 

5. मुन्नार, केरल: चाय के बागानों के बीच एक अच्छा पलायन

यात्रा का सर्वोत्तम समय: मार्च से मई

यह उत्तम क्यों है: पश्चिमी घाट में स्थित, मुन्नार एक सुरम्य हिल स्टेशन है जो अपने विशाल चाय बागानों, धुंध से ढकी पहाड़ियों और ठंडी जलवायु के लिए जाना जाता है। यहाँ के मट्टुपेट्टी झील और बांध पर पर्यटक पिकनिक मनाने आते हैं। यहां से चाय के बागानों का मनमोहक दृश्य नजर आता हैं। यहां पर आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं। मट्टुपेट्टी अपने डेयरी फार्म के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर जंगल तमाम तरह के पक्षियों का बसेरा है। यहाँ  के इरावीकुलम उद्यान में  आप दुर्लभ नीलगिरी बकरों को देख सकते हैं। साथ ही यहाँ आपको  ट्रैकिंग की भी सुविधा भी मिलती है।

 

क्या अनुभव करें:

चाय बागान: मुन्नार अपने चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है। यह संग्रहालय टाटा टी द्वारा संचालित है। इस संग्रहालय में 1880 में मुन्नार में चाय उत्पादन की शुरुआत से जुड़ी कई निशानियां रखी गई हैं। यहाँ कई ऐतिहासिक तस्वीरें भी लगी हुई हैं। इसके पास ही स्थित टी प्रोसेसिंग ईकाई में चाय बनाने की पूरी प्रक्रिया को करीब से देखा व समझा जा सकता है। कोल्लुकुमल्ले चाय बागान भारत में सबसे ऊंचाई पर स्थित चाय बागान है। यहाँ पर भारत की सबसे जायकेदार चाय का उत्पादन होता है। चाय के अलावा यहां की एक और खासियत यहां के खूबसूरत दृश्य हैं।

 

एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान: यह उद्यान मुन्नार से 15 किलोमीटर दूर है जो देवीकुलम तालुका में आता है। उद्यान के दक्षिणी क्षेत्र में अनामुडी चोटी है। मूल रूप से इस पार्क का निर्माण नीलगिरी जंगली बकरों की रक्षा करने के लिए किया गया था। 97 वर्ग किमी में फैले इस उद्यान की प्राकृतिक सुंदरता आपको आकर्षित करती है।  यह पार्क प्रकृति की सैर करने, ट्रैकिंग करने और पश्चिमी घाट के आश्चर्यजनक दृश्य देखने के लिए जाना जाता है। मुन्नार से 80 किलोमीटर आगे चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य केरल-तमिलनाडु बॉर्डर पर है। जहाँ आप हाथी, जंगली सुअर, धब्बेदार हिरन, सांभर, गौर और मोर को देख सकते हैं। अगर आप भाग्यशाली हुए  तो आपको मंजमपट्टी का सफेद भैंसा भी दिखाई पड़ सकता है। कभी-कभी  यहाँ पर शेर और चीते भी दिखाई देते हैं।

 

अथुकड झरना: गहरी घाटी में बना यह झरना मुन्नार से 8 किलोमीटर दूर कोच्चि रोड पर स्थित है। अथुकड फॉल्स मुन्नार का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। मानसून के मौसम में जुलाई और अगस्त के महीने में इसकी सुंदरता देखने लायक होती है। यह झरना घने जंगल से घिरा एक सुंदर झरना है, जो आपको शांतिपूर्ण विश्राम के लिए बिल्कुल पसंद आएगा। इस फॉल्स को मुन्नार के सबसे खूबसूरत झरनों में से एक माना जाता है। यह 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, इस झरने की ऊँचाई आप को रोमांचित कर देगी।

इस झरने के अलावा भी इस रास्ते में दो और झरने भी हैं-चीयापरा फॉल्स और वलार फॉल्स।

 

 

6. नैनीताल, उत्तराखंड: कुमाऊं क्षेत्र में झीलें और पहाड़ियाँ

यात्रा का सर्वोत्तम समय: मार्च से जून

यह बिल्कुल सही क्यों है: बर्फ़ से ढ़की पहाड़ी चोटियों  के बीच झीलों से घिरा हुआ यह स्थान अपनी सुरम्य नैनी झील के लिए जाना जाता है। इस नैनी झील के नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। समुद्र तल से 2,084 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनोरम हिल स्टेशन है।  गर्मियों में यहाँ का  मौसम सुहावना हो जाता है। शाम के समय यहाँ का दृश्य बहुत  मनमोहक हो जाता है।  यहाँ के प्रमुख स्थल, नयना देवी मन्दिर, सेंट जोसेफ कॉलेज, राज भवन, सेंट जॉन इन द वाइल्डरनेस गिरिजाघर तथा नैनी झील है। आप यहाँ  आकर घंटों समय बिता सके हैं।  आपका  यहाँ  से हटने का  मन ही नहीं  होगा।

 

क्या अनुभव करें:

नैनी झील:नैनीताल की घाटी में नाशपाती के आकार की बनी नैनी झील चारों ओर से पहाड़ों से घिरी है तथा इसकी कुल परिधि लगभग दो मील है। इस झील के चारों ओर स्थित पहाडो़ के उत्तर में इनकी सबसे ऊंची चोटी नैना पीक है, पश्चिम की ओर देवपाठा और दक्षिण में अयार पाठा स्थित है। इन चोटियों से संपूर्ण क्षेत्र के मनोरम दृश्य आप देख सकते हैं।   शांत पानी और आसपास के पहाड़ी दृश्यों का आनंद लेने के लिए आप नैनी झील पर नाव की सवारी करने के लिए लालायित हो जाएंगे।वैसे तो  आप झील के चारों ओर पैदल घूमकर भी यहाँ का आनन्द ले सकते हैं। आप इस झील के किनारे बैठकर आराम भी कर सकते हैं। यहाँ से आपको घुड़सवारी करके आसपास के अन्य पहाड़ियों पर पहुँच कर नैनीताल की सुन्दरता का आनंद पा सकते हैं।

 

स्नो व्यू प्वाइंट: स्नो व्यू  प्वाइंट नैनीताल से केवल ढ़ाई किलोमीटर और २२७० मीटर की ऊँचाई पर हवाई पर्वत – चोटी है। यह चोटी ‘शेर का डाण्डा’ पहाड़ पर स्थित है, इस  स्नो व्यू प्वाइंट से आप हिमालय का भव्य दृश्य साफ देख सकते हैं।  इसी तरह स्नो व्यू से लगी हुई दूसरी चोटी हनी-बनी है, जिसकी ऊँचाई २१७९ मीटर है, यहाँ से भी हिमालय के सुन्दर दृश्य दिखाई देते हैं। यहाँ पर आप  केबल कार या छोटी ट्रेक द्वारा पहुंच  सकते हैं। इस स्‍नो व्‍यू पाइंट और नैनीताल को जोड़ता हुआ  एक रोप वे भी है। यह रोपवे मल्‍लीताल से शुरु होता है। यहां दो ट्रॉली हैं जो सवारियों को लेकर जाती हैं। रोपवे में  बैठकर आप नैनीताल शहर का खूबसूरत दृश्‍य देखने को पाएंगे।

 

टिफिन टॉप और नैना देवी मंदिर: नैनी झील के उत्‍तरी किनारे पर नैना देवी मंदिर स्थित है। मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी का प्रतीक  रूप  हैं। शहर की सात चोटियों में नैना पीक या चाइना पीक २,६११ मीटर की ऊँचाई वाली पर्वत चोटी पर है। इसकी नैनीताल से दूरी लगभग साढ़े पाँच किलोमीटर है। यहाँ पहुँचने पर आप  एक ओर बर्फ़ से ढ़का हिमालय देखेंगे तो दूसरी ओर नैनीताल नगर का पूरा भव्य दृश्‍य देख पाएंगे।  इस चोटी पर चार कमरे का लकड़ी का एक केबिन है जिसमें एक रेस्तरां चलता है। शहर के शानदार दृश्य के लिए आप टिफिन टॉप तक पैदल यात्रा या घुड़सवारी करके जा सकते हैं। टिफिन टॉप, जिसे डोरोथी सीट के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ  से पूरा शहर दिखाई देता है।

 

निष्कर्ष: 

भारत के ग्रीष्मकालीन मौसम में शीतलता पाने के लिए आप हिल स्टेशनों पर जाने का मन बनाते हैं।

जब भारत में गर्मियों की असहनीय उष्णता बढ़ जाती है, तो हल्की सी भी ठंडी हवाएं आपको बहुत  राहत देती हैं।  इस तरह के शीतल हवाओं का आनन्द पाने के लिए आप शांतिपूर्ण झीलों, राजसी पहाड़ियों, या सुंदर चाय बागानों की ठंडी और मन को सुकून देने वाले मंतव्यों की तलाश करते हैं। भारत में  गर्मियों के मौसम में कई ठंडे और आकर्षक स्थल हैं जहाँ आप जाकर गर्मी से राहत पा सकते  हैं।  कूर्ग की ठंडी, धुंध भरी पहाड़ियों से लेकर नैनीताल की आकर्षक झीलों और मनाली की अल्पाइन सुंदरता तक, ये गंतव्य न केवल गर्मी से राहत देते हैं, बल्कि प्रकृति, संस्कृति और रोमांच का पता लगाने का अवसर भी प्रदान करते हैं। तो फिर सोंच क्या  रहे हैं! अपना बैग पैक करें और इस गर्मी के मौसम में भारत के शानदार हिल स्टेशनों में  से किसी एक  की खोज करके आनन्द मनाने पहुँच जाइए!