भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहाँ के अनोखे दर्शनीय स्थल देश और विदेश से आने वाले सैलानियों का मन मोह लेते हैं। विश्व में कोई ऐसा देश नहीं है जहाँ भारत देश के जितने विविधतापूर्ण परिदृश्य देखने को मिलते हैं। मैं आपसे भारत के कुछ अनोखे रेगिस्तानों के बारे में बात करूँगा और आपको बताऊँगा कि इन रेगिस्तानी इलाकों में कौन-कौन सी विशेषता है। वहाँ की सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता का मिश्रण आपको बरबस आकर्षित कर लेगा और आप वहाँ के आकर्षण से बाहर निकलना ही नहीं चाहेंगे। राजस्थान के इन रेगिस्तानी इलाकों में सुनहरे रेत के टीलों से लेकर गुजरात में नमक के दलदल तक आपका मन मोह लेंगे। ऐसा आकर्षण आपको मिडिल-ईस्ट के किसी भी देश में देखने को नहीं मिलेगा। ये रेगिस्तानी इलाके हमारे देश की प्राकृतिक सुंदरता का प्रदर्शन तो करते ही हैं साथ ही साथ आपको एक गौरव का भी अनुभव करवाते हैं। हर रेगिस्तानी इलाके की अपनी एक अलग ही विशेषता है और वही उसकी खूबसूरती और अनोखापन है। इन इलाकों की यही विशिष्टता पर्यटकों को एक अलग तरह का अनोखापन देखने का अवसर प्रदान करता है जो उनके लिए एक लंबे समय तक यादगार के पल बना देते हैं। अगर आप ऊँट की सवारी का आनंद लेना चाहते हैं या पुराने समय के ऐतिहासिक प्राचीन किलों की वास्तुकला का नमूना देखना चाहते हैं, या हमारे लोकल निवासियों की सांस्कृतिक विरासत और उनके त्योहारों में उनका समर्पण का भाव, अतिथि देवो भव की भावना देखना चाहते हों आपको हमारे भारत देश के इन रेतीले रेगिस्तानी स्थलों में आपके लिए कुछ न कुछ खास जरूर मिल जाएगा। आगे हम आपको बताएंगे कि हमारे देश के कुछ प्रमुख रेगिस्तानी क्षेत्र कौन-कौन से हैं। जहाँ पर जाकर मनोरंजन के साथ-साथ आप रोमांच का भी अनुभव करेंगे। इन पर्यटन स्थलों का बारीक और नवोन्मेषी विवरण आपको पढ़ने को मिलेगा, इन स्थानों पर जाने का सबसे अनुकूल मौसम कब रहता है, और वहाँ जाकर आप क्या देखें और अनुभव करें जो जीवन भर आपके स्मृति पटल पर अंकित हो जाए।
1. थार मरुस्थल:
राजस्थान की सुनहरी रेत का अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे पर स्थित थार मरुस्थल बालू के टीलों के बीच लहरदार तरीके से फैला विश्व का 17वाँ सबसे बड़ा मरुस्थल है जो राजस्थान के चुरू, हनुमानगढ़, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर जिलों में फैला है। गर्मियों में तापमान 52 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। यहाँ की रेत जल्दी ठंडी और गर्म होने के कारण ठंड में तापमान शून्य से नीचे चला जाता है। गर्मियों में तेज और गर्म हवाएं (लू) रेत के टीलों को एक जगह से दूसरी जगह उड़ा ले जाती हैं। यहाँ का बिश्नोई समाज वन एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रसिद्ध है। थार के मरुस्थल में रहने वाले लोग वीर एवं साहसी होते हैं। इन लोगों में पशुओं, पर्यावरण और देश के प्रति प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी होती है इनका मुख्य व्यवसाय पशुपालन है जैसे गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़, घोड़े, ऊँट आदि। अधिकांश लोग मुख्य रूप से ऊँट पालते हैं। फरवरी में मरू समारोह पूर्णमासी के दिन पड़ने वाला एक मनोरम समारोह है। तीन दिन तक चलने वाले इस समारोह में यहाँ की समृद्ध संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है। चाँदनी रात में ऊँट की सवारी इस समारोह की विशेषता है।
कब जाएं:
थार रेगिस्तान की यात्रा का आदर्श समय अक्टूबर का महीना और फिर फरवरी और मार्च के बीच का समय होता है, जब मौसम में तापमान मध्यम रहता है। यह मौसम ऊंट की सवारी और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए बिल्कुल उपयुक्त होता है।
क्या अनुभव करें:
ऊँट सफ़ारी: पारंपरिक ऊँट की सवारी का आनंद आपको अभिभूत कर देगा। पश्चिमी मरुस्थल के जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर के विशाल रेत के टीलों के क्षेत्रफल में दूर -दूर तक रात में जगमगाते तारों की रोशनी में और पूर्णिमा के चाँद की चाँदनी रात में यहाँ का नजारा ही बड़ा मनमोहक होता है। इस अवसर पर देश विदेश से सैलानी तीन- चार दिनों तक यहाँ कैम्प करते हैं।
सांस्कृतिक अनुभव:
फरवरी में मरु समारोह होता है जिसे डेजर्ट फेस्टिवल कहते हैं, जहाँ पगड़ी बाँधने की प्रतियोगिता, संगीत, नृत्य और ऊंट पोलो जैसे पारंपरिक खेलों का आयोजन आपको आनंदित कर देगा।
विरासत स्थल:
राजसाही जैसलमेर के किले, सुंदर हवेलियाँ जो तराशे हुए सुनहरे बलुआ पत्थर बनाई गई हैं।
2. कच्छ का रण:
गुजरात का सफेद रेगिस्तान जो दुनिया के सबसे बड़े नमक के रेगिस्तानों में से एक है। यह इलाका उल्टे कछुए के जैसा दिखता है। इसके किनारे दलदली और मध्य भाग ऊपर उठा है। इसके घास के मैदान की बन्नी कहते हैं। पूर्व व पश्चिमी इलाकों नमकीन मिट्टी के दलदल और उत्तर में थार मरुस्थल और दक्षिण में पहाड़ है। गर्मियों में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस और सर्दियों में शून्य से नीचे चला जाता है।
कब जाएँ:
कच्छ के रण की यात्रा का सबसे अच्छा समय बरसात के बाद से लेकर फरवरी के बीच का रहता है। इस समय पर्यटक बहुत आते हैं। तभी अक्टूबर से फरवरी के बीच कच्छ रण उत्सव होता है।
क्या अनुभव करें:
कच्छ रण उत्सव : इस उत्सव में लोक संगीत और नृत्यकला, कच्छ कढ़ाई, चमड़े का काम, मिट्टी के बर्तन, बेल मेटल क्राफ्ट, रोगन पेंटिंग आदि स्टॉल इस उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। इस सुहावने मौसम में पूर्णिमा की रात नमक का रेगिस्तान चांदनी रात में चमकता है। यहाँ पर्यटक, स्थानीय कलाकारों के प्रदर्शन का आनंद लेते हैं, और कच्छ हस्तशिल्प, वस्त्र और कढ़ाई की खरीदारी करते हैं।
सफेद रेगिस्तान:
रण के विशाल क्षेत्र में, सफेद नमक के दलदल एक विहंगम, और अलौकिक दृश्य बनाते हैं जब पूर्णिमा की रात नमक का रेगिस्तान चमकता है।
वन्यजीवों को देखना:
यहां स्थानीय, लुप्तप्राय जानवरों और पौधों की प्रजातियां हैं। नीलगाय हिरण और एशियाई जंगली गधे की प्रजातियां ज्यादातर इस क्षेत्र में पाई जाती हैं। सर्दियों में विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ वन्यजीवों को देखने के लिए एक सुन्दर अभयारण्य है।
3. स्पीति घाटी:
यह हिमाचल प्रदेश की शीत मरुभूमि पर्वतीय घाटी है, जो हिमालय की ऊँचाईयों में भारत के हिमाचल प्रदेश के पूर्वोत्तर भाग में स्थित है। इसमें स्पीति नदी (Spiti River) बहती है। यह देश का उत्तरी प्रवेश द्वार है। स्पीति घाटी 12500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और चारों तरफ से हिमालय से घिरा हुआ है। यह भारत के सबसे ठंडे स्थानों में से एक है। इस घाटी की खूबसूरती आंखों को बेहद आनंद देती है, यहां की झीलें, दर्रे और नीला आसमान आपको आकर्षक लगेंगे। इस घाटी में जगह-जगह आप छोटी-छोटी झोपड़ियाँ और बौद्ध मठ देख सकते हैं।
कब जाएं:
अगर आप स्पीति घाटी की यात्रा करने का मन बना रहे हैं तो सबसे अच्छा समय मई से अक्टूबर के बीच का होता है जब मौसम पर्यटन के अनुकूल होता है। अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो सर्दियों में आप यहाँ जा सकते हैं लेकिन उस समय वहाँ पहुँचना थोड़ा कठिन हो सकता है।
क्या अनुभव करें:
मठ:
आप स्पीति में भारत के प्राचीन बौद्ध मठों को बहुत संख्या में देख सकते हैं, जिनमें से ताबो और धनकर मठ प्रमुख हैं, जो आध्यात्मिक शांति और एडवेंचर दोनों देते हैं।
साहसिक और ट्रैकिंग:
साहसिक उत्साही लोगों के लिए, पिन वैली नेशनल पार्क के ऊबड़-खाबड़ इलाके और स्पीति नदी के किनारे ट्रैकिंग और कैंपिंग एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान करती है। कुंजुम दर्रा सबसे ऊंचे पर्वत दर्रों में से एक है, जहां आप मोटर बाइक चलाने का साहसिक कार्य कर सकते हैं। यहां आप दुनिया का दूसरा सबसे लंबा ग्लेशियर, बारा-शिगरी ग्लेशियर और चंद्रभागा झील और स्पीति घाटी का शानदार दृश्य देख सकते हैं। यहां से आप चंद्रताल झील के लिए 9 किलोमीटर की ट्रैकिंग का भी मजा ले सकते हैं।
सांस्कृतिक विरासत:
स्पीति में आप तिब्बती प्रभावों वाली संस्कृति देखने को पाएंगे। घाटी में स्पीति नव वर्ष जैसे पारंपरिक त्योहार मनाये जाते हैं, जहां आप लोक नृत्यों, अनुष्ठानों और स्थानीय उत्सवों का आनंद ले सकते हैं।