मौसम की परिस्थितियों को प्रभावित करने वाले कारण

हमारी पृथ्वी के ऊपर बनने वाला क्षोभमंडल या ट्रोपोस्फीयर में ही मौसम से संबंधित सभी प्रोसेस  होते हैं। यह मौसम किसी स्थान विशेष के वायुमंडल की मौजूदा स्थिति को बताता है। आपने अनुभव किया होगा कि हमारे आपके  आसपास का मौसम लगातार बदलता रहता है। ऐसा क्यों होता है? क्या आप जानते हैं? यह मौसम  सभी जगह एक समान नहीं रहता है क्योंकि यह किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति के  कई कारकों पर निर्भर करता है। मौसम का पता लगाने के लिए, आपको इन प्रभावकारी कारकों के बारे में  पता होना चाहिए।

सामान्य तौर पर किसी स्थान और काल का मौसम वहाँ के टेम्परेचर, एयर प्रेशर, आर्द्रता या वायु में नमी (Humidity), हवा और बादलों के आधार पर बनता है। इसलिए मौसम को प्रभावित करने वाले यह पाँच मुख्य कारक होते हैं।

 

तापमान

किसी स्थान का मौसम वहाँ के टेम्परेचर पर निर्भर करता है।  जैसे उत्तर भारत या दिल्ली का मौसम दिसम्बर, जनवरी महीने में बहुत ठंडा हो जाता है।  उस समय इस स्थान का न्यूनतम  तापमान  4° सेल्सियस से भी कम और कभी-कभी तो शून्य डिग्री तक पहुँच जाता है और अधिकतम तापमान 15 ° सेल्सियस तक आ जाता है। तो वहीं पर दूसरी ओर मई और जून के महीने में वहीं का तापमान न्यूनतम 30-32°और अधिकतम 48°सेल्सियस हो जाता है।  इन महीनों में लू चलती है और लोग हीटवेव की चपेट में आ जाते हैं।  वहीं कोस्टल रीजन यानि समुद्र तटीय शहरों में तापमान में इतना उतार चढ़ाव नहीं पाया जाता है। और पहाड़ों पर तापमान  सर्दियों में तो शून्य से नीचे चला जाता है और गर्मियों में भी ऊँचाई वाले स्थानों पर अधिकतम तापमान 10-15° तक ही रहता है।

 

वायुदाब (एयर प्रेशर)

मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार किसी खास जगह के मौसम को प्रभावित करने वाले कारक में वायुदाब महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

गर्मी के मौसम में  किसी विशेष क्षेत्र में उच्च दबाव वाली मौसम प्रणाली विकसित होती है। जो धीमी गति से चलती है जिसका मतलब यह  है कि उस क्षेत्र में ऐसा मौसम कई दिन या हफ़्तों तक रह सकता है।

किसी जगह पर गर्म और ठंडी हवा के बीच के अंतर के कारण वायुदाब डिफरेंस बनता है। जिसके फलस्वरूप वहाँ का मौसम प्रभावित होता है। जब हवा उच्च दाब वाले क्षेत्र से कम दाब वाले क्षेत्र की ओर बहती तो इससे हवा की गति तेज हो जाती है। कम वायुदाब क्षेत्र  में हवा ऊपर उठती है और आसपास के इलाकों में ठंडी हवा आती है जिसके कारण वहाँ के वायुमंडल में नमी का अनुभव होता है। इसी नमी के बनने  से बादल बनते हैं और  बारिश होती है।

किसी स्थान पर जब वायुदाब कम होता है, तो उस स्थान की गर्म हवा के नीचे ठंडी हवा आती है इससे आप पृथ्वी की सतह के पास उच्च आर्द्रता का अनुभव करने लगते हैं। यह   मौसम में परिवर्तन का अनुभव करवाता है।

पृथ्वी पर जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती  है, वैसे-वैसे  वायु दाब  कम होता जाता है। जितनी अधिक ऊंचाई होगी, वायु दाब उतना ही कम होगा, इसका मतलब यह है कम वायु दाब के कारण  तापमान भी कम होगा इसीलिए पहाड़ी इलाकों का मौसम ठंडा रहता है।

 

नमी या आर्द्रता और बादल

किसी खास जगह के मौसम को प्रभावित करने वाले कारक में आस-पास के जल के श्रोत वाष्पीकरण के द्वारा वहाँ के वातावरण में नमी जोड़ते हैं। इसीलिए महासागरों, सागरों  या झीलों के आस पास के स्थान आमतौर पर रेगिस्तान की तुलना में नम रहते हैं। इसके अलावा जब पानी के इन श्रोतों के ऊपर की  हवाएँ ठंडी रहती हैं जबकि आसपास के जमीनी इलाकों के ऊपर की हवाएं  गर्म होती हैं। इस भूमि और पानी के बीच तापमान और वायुदाब के अंतर के कारण दिन के दौरान हवाएँ जमीन की ओर बहती हैं और रात में हवाओं की दिशा जमीन से समुद्र या झीलों की ओर हो जाती है। इस प्रोसेस में  वाष्प बनकर  पानी विभिन्न प्रकार के बादल बनाता है।

निष्कर्ष

हमारे देश में तीन मौसम और  छः ऋतुएँ जो बनती हैं उसका कारण यह है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर झुकी हुई, लगातार अपनी धुरी पर घूर्णन करते हुए  सूर्य के चारों ओर दीर्घ वृत्ताकार कक्षा में घूमती है। गर्मियों के सीजन या मौसम  में पृथ्वी का झुका हुआ गोलार्ध  सूर्य की ओर होता है, और सर्दियों में  यह सूर्य से दूर होता है। जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, तो पृथ्वी के गोलार्ध  की स्थिति बदलती रहती है।

सूर्य के सामने की ओर का गोलार्ध गर्म होता है क्योंकि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी की सतह पर सीधे पड़ता है। इसलिए उत्तरी गोलार्ध में गर्मी होती है, और दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी अधिक होती है। सूर्य की ओर झुके हुए गोलार्ध में दिन बड़े और रात छोटी होती हैं। यही कारण है कि गर्मियों में दिन सर्दियों की तुलना में बड़े होते हैं।