विभिन्न प्रकार के मौसम

मौसम शब्द का मतलब किसी खास जगह पर खास समय पर या कुछ समय के अन्तराल के लिए वहाँ के वातावरण की क्या स्थिति होती है। अर्थात किसी स्थान जैसे गाँव, शहर, जिले या राज्य अथवा छोटे एरिया में होने वाली सर्दी, गर्मी, वर्षा, हवा में नमी या आर्द्रता, सूखापन, हवा का वेग, तापमान  या धूप की तीव्रता जैसे कारक मिलकर एक मौसम बनाते हैं। मौसम इन सभी कारकों से प्रभावित होता है। मौसम की अलग – अलग घटनाओं में आंधी, बवंडर, चक्रवात, तूफान मैदानी और रेगिस्तानी क्षेत्र में धूल भरी आँधी, तूफान और पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फीली आँधी, एवलांच इत्यादि शामिल होते हैं। तटीय इलाकों में समुद्र में उठने वाली लहरें, ज्वार भाटा, साइक्लोन, सी ब्रीज और लैण्ड ब्रीज जैसे कारक मौसम तय करते हैं।

भारत में विभिन्न प्रकार के मौसम

भारत का एक बड़ा भूभाग मैदानी क्षेत्र है। यहाँ पर सामान्य रूप से एक वर्ष में सर्दी, गर्मी और बरसात के  तीन तरह के सीजन या मौसम होते हैं जो चार महीने की अवधि के माने गये हैं। लेकिन ऋतुएं छः मानी गयी हैं जो प्रत्येक दो महीने की अवधि की होती हैं। यह बसंत, गर्मी, वर्षा, शिशिर शरद और हेमंत हैं। यह ऋतुएँ भी मौसम ही कहलाती हैं। इन ऋतुओं की अवधि दो- दो महीने की होती है।

मौसम विज्ञानियों ने क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार अलग-अलग राज्यों या रीजन का मौसम अलग-अलग बताते हैं। मौसम विज्ञानी किसी क्षेत्र विशेष के लिए मौसम के पैटर्न का अध्ययन करते हैं और वायुमंडलीय स्थितियों के आधार पर मौसम का प्रकार तय करते हैं उसी के अनुसार वह उस क्षेत्र की घटनाओं की भविष्यवाणी करते हैं या पूर्वानुमान लगाते हैं। किसी क्षेत्र में वर्ष के किसी महीने या दिन के लिए  मौसम का पूर्वानुमान लगाना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मौसम विज्ञानी मौसम की घटनाओं की भविष्यवाणी करने के लिए उसी पीरियड में पिछले वर्षों के मौसम की घटनाओं और वर्तमान समय की वायुमंडलीय स्थितियों का प्रयोग करते हैं। इसके लिए मौसम विज्ञानी उन्नत तकनीक के साथ जटिल गणितीय समीकरणों का भी उपयोग करते हैं।

भारत के बड़े मैदानी इलाकों में मौसम मुख्य रूप से  पाँच  प्रकार के पाए जाते हैं। मौसम विज्ञानी इनको धूप, बरसात, हवा, तूफ़ानी और बादल के  रूप में वर्गीकृत किया है। उनका यह भी कहना है कि इनमें से कई प्रकार के मौसम कभी-कभी एक दूसरे के साथ ओवरलैप कर सकते हैं मौसम विज्ञानियों ने बताया है कि किसी भूभाग का मौसम मुख्य रूप से धूप, वर्षा, हवा और आर्द्रता से प्रभावित होते हैं।

रेगिस्तानी इलाकों में धूप और हवा ही मौसम तय करते हैं।  तो वहीं दूसरी तरफ पर्वतीय क्षेत्रों में धूप, हवा, आर्द्रता और वर्षा  के साथ- साथ  तापमान  वहाँ के मौसम का प्रकार तय करते हैं। रेगिस्तानी इलाकों में तेज हवाएं बवंडर या चक्रवात बनाने में  सहायक होती हैं।  यह बवंडर बनने का मुख्य कारण  अस्थिर वायुमंडलीय परिस्थितियाँ होती हैं। जब ज़मीन के पास गर्म, नम हवा और  ऊपर सूखी, ठंडी हवा इकट्ठा हो जाती हैं तब बवंडर बनता है। जो कुछ सेकंड से लेकर 20 मिनट या उससे अधिक देर तक कहीं भी रह सकता है। बवंडर की हवाएँ 300 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार तक पहुँच जाती हैं। यह मौसम की गंभीर और खतरनाक घटना बन जाते हैं।

पहाड़ो पर बर्फानी तूफान एक मौसमी घटना है, जो सर्दियों में होने वाली वर्षा, बर्फबारी,  ओलावृष्टि और  बर्फीले तूफान के कारण  होती है। बर्फानी तूफान आमतौर तापमान शून्य से नीचे होने पर आते हैं। पहाड़ो पर एवलांच या बर्फानी तूफान सर्दियों में होने वाली गंभीर मौसमी घटना होती है। जिनमें भारी मात्रा में बर्फबारी होती है और 50 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक तेज़ हवाएँ चलती हैं।

समुद्री तट वाले इलाकों में मौसम धूप, वर्षा, हवा, आर्द्रता और बादल के  साथ-साथ तापमान में अंतर पर निर्भर करता है। इसलिए समुद्र तटीय इलाकों में समुद्र में होने वाली घटनाओं का तटीय इलाकों के मौसम पर असर पड़ता है।  भारत में मौसम दो प्रकार की हवाओं से प्रभावित होता है। पहला अरब सागर से आने वाली हवाओं के कारण और दूसरा बंगाल की खाड़ी से आने वाली हवाओं  के कारण ।

विभिन्न मौसम की घटनाओं के कारणों को समझना और उन मौसम की घटनाओं के साथ आने वाले संभावित जोखिमों से बचने के लिए मौसम विभाग के तमाम केन्द्र एडवाइजरी जारी करते रहते हैं।

निष्कर्ष

भारत एक विविधता से भरा हुआ देश है यहाँ सबसे ज्यादा वर्षा वाला क्षेत्र मेघालय का चेरापुंजी भी है तो राजस्थान के कुछ ऐसे इलाके हैं जहाँ बारिश सबसे कम होती है। उसी तरह सबसे ज्यादा ठंडा स्थान रहे लद्दाख और उससे भी आगे सियाचिन है तो सबसे गर्म क्षेत्र जैसलमेर भी है। यहाँ नदी, पहाड़, ग्लेशियर, रेगिस्तान,  समुद्र भी है तो एक बड़ा मैदानी भूभाग उत्तर भारत के रूप में अपना परिचय कराता है।  घने जंगल भी यहाँ हैं और मरुस्थल भी।

सामान्य स्थिति में भारत में बड़े पैमाने पर और एक बड़े भूभाग पर मौसम छः प्रकार के ही होते हैं। मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार  मौसम की विभिन्नता कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे जलवायु परिवर्तन, सूर्य की पृथ्वी पर पड़ने वाली ऊष्मा, समुद्री विछोभ, वनों का कटना और कंक्रीट के जंगलों का बढ़ते जाना।  इसके अतिरिक्त मौसम में परिवर्तन का सबसे बड़ा फैक्टर मनुष्य स्वयं ही है जो वह अपने स्वार्थ में पर्यावरण के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं दिखाई देता है।