भारत में शरद ऋतु का मौसम सबसे मनमोहक मौसमों में से एक है। तेज गर्मी और बरसात के बाद उस भरी गर्मी से इस ठंडे मौसम में रहता मिलने लगती है। वातावरण में मानसून के बाद हरे-भरे दृश्य आपके मन को जरूर सुखद अनुभव करवाते होंगे। वन्यजीवों के प्रेमियों के लिए, सफारी पर सफर के लिए यह सबसे अच्छा समय होता है। इस मौसम में मनुष्य के साथ-साथ कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य अपनी हरी-भरी वनस्पतियों और सक्रिय जीवों के साथ जीवंत हो जाते हैं। शरद ऋतु का मौसम, सितंबर से नवंबर के बीच माना जाता है जब, मौसम गर्मी से सर्दी की ओर बढ़ता है। आपके लिए भारत के कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभ्यारण्यों की यात्रा करने के लिए यह अनुकूल समय होता है। अगर आप बाघों, हाथियों, या प्रवासी पक्षियों को देखने की अभिलाषा रखते हों तो शरद सफारी आपको भारत की जैव विविधता का परिचय करवाने का उत्तम अवसर प्रदान करती है।
हम यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों पर चर्चा करेंगे और आपको बताएँगे कि आप शरद ऋतु के मौसम को वन्य जीवों के साथ कैसे खास बना सकते हैं।
1. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान: बाघों का सर्वोत्तम स्थल।
कब जाएं:
यहाँ आप शरद ऋतु में अक्टूबर से नवंबर के बीच यात्रा कर सकते हैं। क्योंकि इस समय पर्यावरण का तापमान काफी कम हो जाता है जो वन्यजीवों और पर्यटकों दोनों के दृष्टिकोण से अधिक अनुकूल और आरामदेह होता है। मानसून के मौसम के बाद वनस्पति खूब हरी-भरी हो जाती है। इस कारण से वन्यजीवों को आप भोजन की तलाश करते हुए आसानी से देख सकते हैं।
क्या अनुभव करें:
बाघों का दर्शन: रणथंभौर का अभ्यारण्य भारत में बंगाल टाइगर को देखने के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थान है। शरद ऋतु का ठंडा मौसम बाघों को उनकी मांद से बाहर निकल कर खुले आसमान में टहलने और अपने भोजन की खोज करने के लिए आकर्षित करता है। रणथंभौर नेशनल पार्क में 10 सफारी जोन हैं। जोन 2 में कई पानी के गड्ढे हैं, पार्क के इस महत्वपूर्ण भाग में कई जानवर नियमित रूप से देखे जाते हैं, जिनमें तेंदुए भी शामिल हैं। इस क्षेत्र के जोगी महल, फूटा कोट, फूटा बंधा, लाहपुर तिराहा, नल घाटी इलाकों में बाघों के साथ तेंदुए भी आप देख सकते हैं। सिंह द्वार, मलिक तालाब, लक्कड़ दा, आदिदांत, लम्बी, तामाखान और बेरदा में यहाँ की सबसे बड़ी बाघिन को आप देख पाएंगे।
किला और वन्य जीवन: रणथंभौर का किला अपने आर्किटेक्चर के लिए प्रसिद्ध है अब इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है। त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंभौर किले के अंदर स्थित है। गणेशजी की मूर्ति की तीन आंखें हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए आपको सीढ़ियों से पहाड़ी पर चढ़ना होगा। इसलिए यहाँ आप किले की पुरातात्विक विरासत को देखने का भी अवसर पाएंगे और उसके साथ-साथ आसपास के पार्क में बाघ, तेंदुआ, सांभर, हिरण और मगरमच्छों को भी देखने का आनंद ले सकते हैं। रणथंभौर नेशनल पार्क में शिकारी तेंदुआ, लकड़बग्घा, सियार और स्तनधारी में चीतल, जंगली सूअर, नीलगाय और ग्रे लंगूर आदि आप देखेंगे।
पक्षी दर्शन: रणथंभौर के अभ्यारण्य में शरद ऋतु में प्रवासी पक्षियों का आगमन भी शुरू हो जाता है। इन प्रवासियों के कारण यह पार्क पक्षियों की नाना प्रकार की प्रजाति के पक्षियों का शरणस्थल बन जाता है और उनको देखने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र। यहाँ पर आप भारतीय मोर, ब्राह्मणी स्टार्लिंग और सारस की कई प्रजातियां देख सकते हैं। जोन 6 में लुप्तप्राय लाल सिर वाले गिद्धों सहित कई तरह के पक्षियों को देखने के जाना जाता है। जोन 10 के आंतरी, कुशालीपुरा, बोदल, हलोंडा और बांसखोरी में तमाम तरह के पक्षियों झुण्ड देखे जा सकते हैं।
2. जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान: बाघों और हाथियों का एक अभयारण्य।
कब जाएं: जिम कॉर्बेट पार्क की यात्रा का भी सबसे अच्छा समय शरद ऋतु का मौसम रहता है। यहाँ आप अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक, मौसम सफारी और वन्यजीवन स्पॉटिंग का आनंद ले सकते हैं।
क्या अनुभव करें:
बाघ और हाथी सफ़ारी: जिम कॉर्बेट पार्क अपने बाघों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर बाघ, हाथी, भालू, सुअर, हिरन, चीतल, साँभर, तेंदुआ काकड़, नीलगाय, घुरल जैसे तमाम ‘वन्य प्राणी’ देखने को मिलते हैं। यहाँ जंगल सफारी के लिए आप जिप्सी, कैंटर सफारी, हाथी का प्रयोग कर सकते हैं। शरद ऋतु में इस पार्क में जंगली हाथियों, तेंदुओं और अन्य वन्यजीवों के साथ-साथ इन शिकारी बाघों को देखने की संभावना बढ़ जाती है। तमाम अन्य किस्म के जानवर जैसे बार्किंग हिरन, नीलगाय, घड़ियाल, किंग कोबरा, मुंतजिक, पाढ़ा, जंगली सूअर, स्लोथ भालू, घूरल, लंगूर, रेसस बंदर, हेजहोग, आम मस्क श्रू, फ्लाइंग फॉक्स, इंडियन पैंगोलिन भी आप यहाँ देख सकते हैं। दिन में सफ़ारी करने के लिए आप यहाँ से हाथी की सवारी का आनंद ले सकते हैं। हाथी सफ़ारी केवल बिजरानी और ढिकाला ज़ोन में ही उपलब्ध है।
नदी और झील सफ़ारी: इस पार्क में रामगंगा, कोसी सोना नदी पार्क के इको सिस्टम को और आनंददायक बना देती हैं। जीप सफ़ारी के लिए झिरना ज़ोन या बिजरानी ज़ोन में वन्य जीवों को देख सकते हैं। कोसी नदी पर आप शांत नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं । कॉर्बेट के जंगली जीव अपनी प्यास बुझाने के लिए कोसी नदी की ओर आते हैं।
राम गंगा नदी के किनारे आप स्नाउट मछली को खाने वाले घड़ियाल, मगरमच्छ आपको देखने को मिलेंगे। पथरीली पहाड़ियों के किनारे आप घोराल भी देख सकते हैं। यहाँ पर आठ सफारी जोन हैं जो झिरना, बिजरानी, ढेला, गर्जिया, ढिकाला, दुर्गा देवी, फाटा, सीताबनी हैं।
पक्षी जीवन: स्तनधारियों के अलावा, यहाँ शरद ऋतु में विभिन्न प्रकार के प्रवासी पक्षियों की आमदनी बढ़ जाती है, जैसे बार-हेडेड गीज़, ग्रे हेरोन्स और अन्य आर्द्रभूमि प्रजातियाँ। आप यहाँ पर तमाम पक्षियों जैसे मोर, तीतर, कबूतर, उल्लू, हॉर्नबिल, बार्बिट, चक्रवाक, मैना, मैगपाई, मिनिवेट, तीतर, चिड़िया, टिट, नॉटहैच, वागटेल, सनबर्ड, बंटिंग, ओरियल, किंगफिशर, ड्रोंगो, कबूतर, कठफोडवा, बतख, चैती, गिद्ध, सारस, जलकाग, बाज़, बुलबुल और फ्लायकेचर को देखकर आनंद से भर जाएंगे। जिम कार्बेट नेशनल पार्क पक्षियों के लिए स्वर्ग का अनुभव देता है। यहाँ पर 110 प्रकार के पेड़ों की प्रजातियां, 51तरह की झाड़ियों और 33 प्रकार के बाँस और दूसरी घासें पक्षियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। पहाड़, नदी, दलदल, पठार और तमाम तालाब पक्षियों के प्रिय प्रवास हैं।
3. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: एक सींग वाले गैंडे की भूमि
कब जाएं: इस उद्यान में आप शरद ऋतु में अक्टूबर से अप्रैल के बीच जा सकते हैं। यह समय काजीरंगा की यात्रा के लिए एक अच्छा समय है, क्योंकि मौसम हल्का ठंडा रहता है, और मानसून के मौसम के बाद पार्क सफारी के लिए खुलता है। एक गणना के अनुसार इस पार्क में भारतीय गैंडे (2,401), जंगली भैंसे (1,666) और हिरण (468) के अलावा बड़े शाकाहारी जानवरों में भारतीय हाथी ( 1,940 ), गौर (1300) और सांभर (58) शामिल हैं।
क्या अनुभव करें:
गैंडा दर्शन: काजीरंगा को एक सींग वाले गैंडों के लिए जाना जाता है। 2018 में यहाँ इनकी आबादी 2413 पाई गयी थी। एक सींग वाले गैंडों के लिए इस पार्क को यूनेस्को की ओर से वर्ष 1985 में विश्व धरोहर स्थल के रूप में संरक्षित किया गया है। शरद ऋतु में सफारी के लिए सही समय है। यहाँ पर आप जीप सफारी और हाथी सफारी के द्वारा पूरे क्षेत्र में घूम घूमकर गैंडों के अलावा कई अन्य वन्यजीवों और पक्षियों के दर्शन का आनंद ले सकते हैं। क्योंकि इस मौसम में जानवर अधिक सक्रिय होते हैं, और घास के मैदान कम होने लगते हैं।
हाथी और बाघ: पार्क में जंगली हाथियों, बाघों और दलदली हिरणों की भी महत्वपूर्ण आबादी है। यहाँ के नमी और दलदली इलाकों में, नदियाँ के किनारे आर्द्रभूमि और घास के मैदान में आप तमाम प्रजातियों के वन्यजीवों जैसे जंगली हाथी, बाघ, भैंसे, हिरण, ऊदबिलाव, बैजर्स, तेंदुआ और जंगली सुअर आदि को देखने का अवसर प्राप्त करेंगे। अगर आप एक सींग वाले गैंडे को पास से देखना चाहते हैं तो आपको हाथी की सवारी करनी चाहिए। क्योंकि गैंडे कई बार हाथियों के काफी नजदीक आ जाते हैं। आप यहाँ पर रायल बंगाल टाइगर, जंगली भैंसे और पूर्वी दलदली हिरण भी हाथी सफारी के द्वारा देख सकते हैं।
पक्षी देखना: काजीरंगा एक यूनेस्को द्वारा संरक्षित विश्व धरोहर स्थल है। और पक्षी देखने वालों के लिए स्वर्ग है। शरद ऋतु के दौरान, चील, पेलिकन और बत्तख जैसे प्रवासी पक्षी दिखाई देते हैं। यहाँ पर 500से ज्यादा लोकल और प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता है। इसलिए इसे बर्डलाइफ इण्टरनेशनल द्वारा संरक्षित स्थल घोषित किया गया है। संकटग्रस्त पक्षियों की 26 प्रजातियां यहाँ पाई जाती हैं। तितलियों की 491 प्रजातियां यहाँ आप देख सकते हैं। इसके अलावा आप 42 प्रकार की मछलियाँ, 60 तरह के सरीसृपों को भी आप यहाँ देख सकते हैं। सर्दियों में यहां साइबेरिया से कई मेहमान पक्षी भी आते हैं। और विभिन्न प्रजातियों के बाज, विभिन्न प्रजातियों की चीलें और तोते आदि भी आप देखने को पाएंगे।
4. सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान: एक अनोखी मैंग्रोव सफारी
कब जाएं: सुंदरबन की यात्रा के लिएआप शरद ऋतु में अक्टूबर से दिसंबर के बीच कभी भी अनुकूल समय में जा सकते हैं, क्योंकि घने मैंग्रोव जंगलों की खोज के लिए आर्द्रता कम हो जाती है और तापमान अधिक सहनीय हो जाता है।
क्या अनुभव करें:
रॉयल बंगाल टाइगर्स: सुंदरबन मैंग्रोव से घिरे घने जंगलों में रॉयल बंगाल टाइगर का सबसे बड़ा घर है। इस उद्यान में गणना के अनुसार 103 बाघ उपलब्ध हैं। यह एक नदी डेल्टा है इसलिए यहाँ पर शरद ऋतु आप रायल बंगाल टाइगर के दर्शन के लिए नाव सफारी पर जा सकते हैं। यह दृश्य आपके लिए बहुत रोमांचकारी अनुभव प्रदान करेंगे। बाघों को देखने के लिए आप इस संकीर्ण मुहाने और नदियों को पार करते हुए गंगा सफारी पर निकलेंगे तो आप एक बेहतरीन आनंद का अनुभव करेंगे। आप इस जंगल में रॉयल बंगाल टाइगर की आजाद और उन्मुक्त हरकतों का आनंद ले सकते हैं क्योंकि सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान में बाघ जंगल में स्वतंत्र रूप से घूमते रहते हैं।
मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र: अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों से भरपूर, दुनिया के सबसे बड़े डेल्टा का अन्वेषण करें। यहाँ पर आप पक्षियों, सरीसृपों तथा रीढ़विहीन जीवों (इन्वर्टीब्रेट्स) की कई प्रजातियाँ को देखकर आनंद का अनुभव करेंगे। इनके साथ ही आप यहाँ खारे पानी के मगरमच्छ, चित्तीदार हिरण और किंगफिशर और बगुले जैसे विभिन्न प्रकार के पक्षियों को भी देख सकते हैं। गंगा के डॉल्फ़िन और बड़ी संख्या में पक्षी प्रजातियाँ का भी आप दर्शन करने को पाएंगे। आप बर्ड वॉचिंग टावर से पक्षियों को करीब से देख सकते हैं । सुंदरबन में कई बर्ड वॉचिंग टावर उपलब्ध हैं जो पूरी सुरक्षा और आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।
इको-पर्यटन: पश्चिम बंगाल के इस डेल्टा क्षेत्र में स्थित आकर्षक जंगल अपनी समृद्ध जैव विविधता, घने मैंग्रोव वनों और जटिल नदी नेटवर्क के लिए जाना जाता है। यदि आप प्रकृति प्रेमी और वन्यजीव प्रेमी हैं तो सुन्दरवन आपके लिए अनोखा अनुभव देने वाला है। नदियों और झरनों का यह बड़ा क्षेत्रफल सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान का एक रहस्यमय स्थान है। जलमार्ग इन इको सिस्टम की जीवनरेखा हैं और नाव सफारी से आप इस पार्क की सुंदरता का अनुभव कर सकते हैं। नाव की सवारी एक शांतिपूर्ण माहौल में आपको अद्भुत आनंद प्रदान करती है। यह भूभाग क्षितिज में अंतहीन रूप से फैला हुआ प्रतीत होता है। जिससे आपको मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र( इको सिस्टम) में वन्य जीवन की शानदार विविधता को देखने का मौका मिलता है।
5. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान: मध्य प्रदेश में एक रोमांचक टाइगर सफारी
कब जाएं: अक्टूबर-नवंबर की अवधि बांधवगढ़ जाने के लिए बिल्कुल उपयुक्त है, क्योंकि मानसून का मौसम समाप्त हो जाता है और पार्क में कम नमी होती है, जिसमें हरी-भरी हरियाली और साफ आसमान होता है।
क्या अनुभव करें:
टाइगर सफारी: बांधवगढ़ अपने उच्च बाघ घनत्व के लिए जाना जाता है। यहाँ पर शरद ऋतु के दौरान, बाघों को देखने की संभावना बहुत अधिक होती है। पार्क के खुले घास के मैदान और मिश्रित जंगल इन शानदार जानवरों को देखने के लिए उत्कृष्ट दृश्यता प्रदान करते हैं। बांधवगढ़ का वन क्षेत्र विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जन्तुओं से भरा हुआ है। जंगल में नीलगाय और चिंकारा सहित हर तरह के वन्यप्राणी हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान में पशुओं की 22 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। हाथी पर सवार होकर या फिर वाहन में बैठकर आप इन वन्यप्राणियों को आराम से देख सकते हैं। आप जीप सफारी से बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में टाइगरों की मस्ती का रोमांच से भरा आनंद ले सकते हैं।
बर्ड वॉचिंग: इस उद्यान में पक्षियों की 250 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। शरद ऋतु में यहाँ कई तरह के प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें सफेद आंखों वाले बज़र्ड, भारतीय गिद्ध और ग्रेट हॉर्नबिल शामिल हैं। घने पहाड़ी क्षेत्रों से घिरे चक्रधारा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में आप बाघ देखने के साथ ही यहाँ की वनस्पतियों और जीवों की विभिन्न प्रजातियों को देख सकते हैं। यहां आप बाघों की सबसे ज्यादा प्रजातियां देख सकते हैं, उनमें से से कुछ प्रमुख हैं भीमा, बमेरा, चांदिनी, कंकटी, राजभरा, डोट्टी कृष्णा, सुखीपटिया और मार्चैनी आदि।
सांस्कृतिक आकर्षण: इस पार्क में पहाड़ी पर 2000 साल पुराना बांधवगढ़ का किला भी संरक्षित किया गया है। यहाँ पर आप प्राचीन खंडहरों और मंदिरों के पुराने अवशेष देखने को पा सकते हैं, जो आपके वन्यजीव सफारी में एक सांस्कृतिक तत्व जोड़ते हैं। इस किले में पेंटिंग और लिपियों से सजी कई गुफाएँ हैं। साथ ही आपको भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी देखने को मिलेगी जिसकी ऊंचाई 35 फीट है। स्मृति चिन्ह और किताबें खरीदने के लिए आप संग्रहालय के पीछे स्थित दुकानों पर शाॅपिंग कर सकते हैं बांधवगढ़ में खरीदारी करने यहाँ आने वाले पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
निष्कर्ष:
क्यों शरद ऋतु वन्यजीव सफ़ारी के लिए सबसे अच्छा समय क्यों माना जाता है? शरद ऋतु भारत के राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्य वन्यजीवों के लिए आदर्श परिस्थितियाँ और अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। गर्मी की तपन कम होने और मानसून की हल्की बारिश होने के साथ, पर्यटकों के लिए मौसम सुहाना और वन्यजीवों को देखने के लिए उपयुक्त हो जाता है। वहीं वन्य जीवों के लिए उनकी बाहरी गतिविधियों के लिए आदर्श हो जाता है। मानसून के बाद के हरे-भरे परिदृश्य आपको फोटोग्राफी और पशु ट्रैकिंग के लिए एक शानदार पृष्ठभूमि प्रदान करते हैं। इसके अलावा, इस मौसम के दौरान कई पार्कों में कम भीड़-भाड़ होने से वन्यजीवों को प्रकृति के साथ अधिक शांतिपूर्ण और अनुकूल मौसम का अनुभव होता है। यदि आप एक शौकीन वन्यजीव फोटोग्राफर हैैं और रोमांचक अनुभव करने के शौकीन हैैं या बस प्रकृति की सुन्दरता का आनंद लेने वाले व्यक्ति हैैं तो भारत में शरद ऋतु आपके लिए वन्यजीव सफारी का आपसे अविस्मरणीय अनुभव का वादा करती है।