भारत में सर्दियों का मौसम हर किसी के लिए एक अनोखा आकर्षण लेकर आता है। जहाँ एक तरफ भारत के उत्तरी क्षेत्र बर्फ से ढके पहाड़ों, साहसिक बर्फ के खेलों और शांत परिदृश्यों के रोमांच का अनुभव करवाते हैं। तो वहीं दूसरी ओर दक्षिणी हिस्से अपने जीवंत त्योहारों, सांस्कृतिक अनुभवों और हरे भरे वातावरण के साथ एक हल्का, फिर भी समान रूप से समृद्ध अनुभव प्रदान करते हैं। भारत का विशाल भौगोलिक क्षेत्र अपने अतिथियों का स्वागत करने के लिए इसे एक आदर्श शीतकालीन गंतव्य बनाता है। यह हर प्रकार के यात्रियों के लिए कुछ न कुछ जरूर प्रदान करता है – चाहे आप हिमालय में रोमांच की तलाश कर रहे हों या राजस्थान में सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करना चाहते हों, या केरल के बैकवाटर के बीच शांतिपूर्ण विश्राम की तलाश में हों।
आपकी सर्दियों से बचने की चाहत, भारत के गंतव्य बर्फ से भरे परिदृश्य, साहसिक खेल और समृद्ध सांस्कृतिक अनुभवों का एक आकर्षक मिश्रण प्रदान करते हैं। भारत में हिमालय में स्कीइंग से लेकर राजस्थान के रेगिस्तानों की खोज तक, ऐसे स्थलों की कोई कमी नहीं है जहाँ आप शीतकालीन वंडरलैंड का अनुभव न प्राप्त करें। यह मार्गदर्शिका आपको भारत में सर्वोत्तम शीतकालीन स्थलों का पता लगाने में मदद करेगी, जहां बर्फ, रोमांच और संस्कृति का सहज मिश्रण है।
1. मनाली, हिमाचल प्रदेश: परफेक्ट विंटर वंडरलैंड
घूमने का सबसे अच्छा समय: नवंबर से फरवरी
यह उत्तम क्यों है: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित, मनाली आपके लिए एक लोकप्रिय शीतकालीन गंतव्य है जो अपनी बर्फ से ढकी चोटियों, साहसिक खेलों और आकर्षक अल्पाइन परिदृश्य के लिए जाना जाता है। अपनी कुरकुरी, ठंडी हवा और सर्दियों की गतिविधियों की प्रचुरता के साथ, यह साहसिक उत्साही लोगों और प्रकृति के बीच सर्दियों की छुट्टियों की तलाश करने वालों के लिए आदर्श स्थान है। ब्यास नदी घाटी में स्थित, समुद्र तल से 1950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मनाली आपके लिए एक बेहतरीन गंतव्य स्थल है। इस मौसम में दुनिया भर से पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं।
क्या अनुभव करें:
बर्फ गतिविधियाँ: कुल्लू घाटी से सटी सोलंग घाटी यहाँ के सोलंग गाँव के नाम पर सोलंग घाटी कहलाती है। इस घाटी में सर्दियों का मौसम गुलजार रहता है जब दुनिया भर से पर्यटक यहाँ पहुँचते हैं जहाँ वे स्कीइंग के साथ-साथ स्नोबोर्डिंग, स्लेजिंग और पैराग्लाइडिंग जैसी अन्य बर्फ गतिविधियों का आनंद प्राप्त करते हैं। बर्फीला परिदृश्य इन साहसिक खेलों के लिए एक अनुकूल वातावरण प्रदान करता है। आपको, स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग जैसे साहसिक खेलों के लिए मशहूर, सोलंग वैली की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। मनाली से 14 किलोमीटर और रोहतांग दर्रे से पहले स्थित सोलंग वैली में आप साल भर होने वाले कुछ सबसे रोमांचक बर्फीले खेलों का अनुभव कर सकते हैं।
रोहतांग दर्रा: कुल्लू घाटी एवं लाहौल और स्पीति घाटियों के बीच 3,980 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक हिमालय का यह दर्रा मनाली से 51 किमी दूर है। यह पूरे वर्ष हिमाच्छादित रहता है। हिमाचल को लद्दाख़ से जोड़ने वाला मनाली लेह राजमार्ग इस दर्रे से गुज़रता है अब इस दर्रे की जगह अटल टनल बना दी गयी है। आप रोहतांग दर्रा के आसपास बर्फ से ढके पहाड़ों के शानदार भूभाग पर स्कीइंग, ट्रेकिंग, स्नोबॉल फाइटिंग और स्लेजिंग जैसी गतिविधियों का आनंद लेने के यहाँ पहुँच सकते हैं। यहीं पर व्यास नदी का उद्गम व पास में ही व्यास मन्दिर है।
ओल्ड मनाली: अधिक आरामदायक सर्दियों के अनुभव के लिए, अपने देहाती कैफे, शांत गलियों और आरामदायक गेस्टहाउसों के साथ ओल्ड मनाली एक शांत खूबसूरत, आरामदेह इलाका है। यह अपने हरे-भरे पहाड़ी रास्तों, सेब के बागानों, और मनास्लू नदी के किनारे सुन्दर स्थलों के लिए जाना जाता है। यहाँ पर देवदार के जंगल में एक गुफा में 16वीं सदी का हिडिंबा देवी का मंदिर है। यहाँ पर आप पारंपरिक लकड़ी के घरों की सुन्दरता और नक्काशी देख सकते हैं। मनास्लू नदी के किनारे आप आराम कर सकते हैं और स्थानीय भोजन का आनंद ले सकते हैं। आप यहाँ पर हाथ से बुने हुए गर्म कपड़े खरीद सकते हैं। अगर आप शापिंग करना चाहते हैं तो यहाँ पर आप हिमाचली टोपी और पश्मीना शॉल, कुछ अच्छी प्राचीन वस्तुएँ, पेंटिंग, घर की सजावट की वस्तुएँ, जूते, तिब्बती हस्तशिल्प वस्तुएँ खरीद सकते हैं।
2. गुलमर्ग, जम्मू और कश्मीर: भारत की स्कीइंग राजधानी
घूमने का सबसे अच्छा समय: दिसंबर से फरवरी
यह उत्तम क्यों है: अगर आप शीतकालीन खेलों में रुचि रखते हैं तो आपको कश्मीर घाटी की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। कश्मीर घाटी में गुलमर्ग को अक्सर भारत की स्कीइंग राजधानी माना जाता है। कश्मीर घाटी का यह खूबसूरत हिल स्टेशन सर्दियों में बर्फीली चोटियों, घुमावदार पहाड़ियों, झरनों और साहसिक रोमांचकारी गतिविधियों के लिए पर्यटकों को आकर्षित करता है। जो इसे सर्दियों से घूमने के लिए एक आनन्ददायक स्थान बनाता है। श्रीनगर से आगे बढ़ने पर आप सोनमर्ग, गुलमर्ग और जोजीला दर्रे के आसपास विंटर एडवेंचर और रोमांच का अनुभव करेगें। यहाँ पहुँच कर आप स्वयं अनुभव करेंगे कि आप धरती के स्वर्ग में पहुँच गये हैं।
क्या अनुभव करें:
स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग: गुलमर्ग की अफरवाट चोटी स्कीइंग, स्नोबोर्डिंग और हेली-स्कीइंग के लिए एक विस्तृत क्षेत्रफल स्थान प्रदान करती है। चारों ओर बर्फ़ से ढकी चोटियां आपको एक अद्भुत दृश्य से परिचित करवाएंगी। अगर आप स्कीइंग में रुचि रखते हैं तो गुलमर्ग आपके लिए उत्तम गंतव्य स्थल हो सकता है। गुलमर्ग देश का ही नहीं बल्कि विश्व का सर्वोत्तम स्कीइंग रिजॉर्ट है। दिसंबर में बर्फ गिरने के बाद दुनिया भर के स्कीइंग के शौकीन यहाँ बड़ी संख्या में स्कीइंग का मजा लेने आने लगते हैं। यहाँ स्कींग करने के लिए आपको ढ़लानों पर स्कींग करने का अनुभव होना आवश्यक है। और अगर आप स्कीइंग सीखना शुरु कर रहे हैं तो भी गुलमर्ग आपके लिए सही जगह है। यहाँ पर आपको स्कीइंग की सभी सुविधाएं और अच्छे प्रशिक्षक भी मिलेंगे।
गोंडोला सवारी: आपके लिए और सभी पर्यटकों के लिए बर्फ से ढकी घाटियों और पहाड़ों के मनोरम दृश्यों का आनन्द उठाने के लिए, दुनिया की सबसे ऊंची केबल कारों में से एक गोंडोला की सवारी गुलमर्ग का विशेष आकर्षण है। यह एशिया की सबसे ऊंची केबल कार परियोजना है। गोंडोला एक बार में छह लोगों और प्रति घंटे 600 लोगों को ले जा सकता है। इस केबल कार योजना को जम्मू और कश्मीर सरकार ने फ्रांसीसी कम्पनी पोमागल्स्की के सहयोग से शुरू किया है। गोंडोला का पहला चरण आपको 8530 फीट की ऊंचाई पर कोंगडोरी स्टेशन तक ले जाता है। और दूसरा चरण 12293 फीट की ऊंचाई तक जाएगा।
शीतकालीन ट्रेक: गुलमर्ग के बर्फीले परिदृश्यों के माध्यम से ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं। यहाँ पर आप प्रकृति की शांत सुंदरता और क्षेत्र के शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद पाएंगे। आपको गुलमर्ग में ट्रैकिंग करने के लिए खिलनमर्ग घाटी में जाना ही पड़ेगा इसके बिना आपकी ट्रेकिंग पूरी नहीं होगी। यह गुलमर्ग से 5.5 किलोमीटर दूर है। आप गुलमर्ग से ट्रेकिंग करते हुए लगभग 2 घंटे में खिलनमर्ग पहुँच जाएँगे। आपको इसके लिए पूरा एक दिन का समय ट्रेकिंग का आनंद लेने के लिए देना चाहिए। यहाँ पर आप दक्षिण-पश्चिम में नून और कुन चोटियों के साथ-साथ नंगा पर्वत के मनमोहक दृश्य का भी सुंदर दृश्य देख सकते हैं।
3. ऋषिकेश, उत्तराखंड: बर्फीले हिमालय के बीच साहसिक और आध्यात्मिकता
घूमने का सबसे अच्छा समय: नवंबर से फरवरी
यह उत्तम क्यों है: हिमालय की तलहटी में बसा, ऋषिकेश न केवल अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए बल्कि अपनी साहसिक और रोमांचक दृश्यों के लिए भी जाना जाता है। यदि आप अध्यात्म के साथ-साथ रोमांच का भी आनन्द लेना चाहते हैं तो आपको उत्तराखण्ड के ऋषिकेश में एक बार अवश्य यात्रा करनी चाहिए। यहाँ आने पर आपका आध्यात्मिकता और रोमांच के संगम से परिचय होगा। यहाँ पर आप गंगा नदी और हिमालय की तलहटी के आश्चर्यजनक शीतकालीन परिदृश्य का आनंद लेने का अवसर पाएंगे। उत्तर की ओर बर्फ़ से ढके ऊँचे-ऊँचे पहाड़ देखकर आप अपने को अद्भुत आनन्द अभिभूत पाएंगे।
क्या अनुभव करें:
रिवर राफ्टिंग: ऋषिकेश भारत में रिवर राफ्टिंग के लिए बहुत लोकप्रिय है। सर्दियों का मौसम गंगा नदी पर व्हाइट-वॉटर राफ्टिंग के लिए यह एक उत्तम समय है। यहाँ पर आप सुंदर पहाड़ी दृश्यों के बीच एक रोमांचक अनुभव का आनंद ले सकते हैं। ब्रह्मपुरी क्लब हाउस से ऋषिकेश एनआईएम बीच का सबसे आसान और सबसे छोटा लगभग 9 किमी का स्ट्रेच है। अगर आप पहली बार राफ्टिंग करने वाले हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा राफ्टिग पॉइंट है। इसके अलावा और भी कई राफ्टिंग प्वाइंट्स हैं जैसे कोडियाला से ऋषिकेश 35 किलोमीटर, देवप्रयाग से ऋषिकेश 75 किलोमीटर, मैरीन ड्राइव से ऋषिकेश 27 किलोमीटर, शिवपुरी से ऋषिकेश 18 किलोमीटर । राफ्टिंग पर जाने के लिए आपको एकदम हल्के और जल्दी सूखने वाले कपड़े साथ ले जाना चाहिए।
योग और ध्यान: योग और ध्यान के लिए ऋषिकेश बहुत ही उत्तम जगह है। यहाँ पर आपको योग और ध्यान करते हुए देश-विदेश के तमाम साधक मिल जायेंगे। आप यहाँ पर गंगा नदी के किनारे योग और ध्यान लगाने का अनूठा आनन्द और अनुभव प्राप्त करेंगे। आपको यहाँ सुबह-शाम काफी संख्या में देश -विदेश के लोग योग व ध्यान करते हुए मिल जाएंगे। इसीलिए ऋषिकेश को योगनगरी कहा जाता है। यहाँ पर कई योग और ध्यान केन्द्र हैं। कई लोगों के अपने आश्रम और योग केंद्र चलते हैं। कुछ प्रमुख और बहुत पुराने आश्रमों में स्वामी शिवानन्द, दयानन्द आश्रम, परमार्थ निकेतन, स्वामी रामसेवक, ओंकारानन्द आश्रम आदि जगहों पर आप ध्यान और योग के लिए अपने अनुकूल स्थान तलाश सकते हैं।
ट्रैकिंग और कैम्पिंग: ऋषिकेश में कई ट्रेकिंग प्वाइंट्स हैं जैसे चोपता- चंद्रशिला ट्रेक, कुंजापुरी-मंदिर ट्रेक,कुआरी दर्रा ट्रेक, सर्दियों में, पंगारचुल्ला पीक ट्रेक साहसिक लोगों के लिए नया अनुभव होता है इसके अलावा और भी बहुत से ट्रेकिंग प्वाइंट्स हैं जहाँ आप शीतकालीन ट्रेक का आनंद ले सकते हैं और जहाँ आप बर्फ से ढकी चोटियां और जंगली रास्ते देखेंगे। ऋषिकेश से देवप्रयाग तक कई कैंप साइट्स हैं। हर कैंप्स में आपको ट्रेकिंग और राफ्टिंग पैकेज मिल जाते हैं। आप ऋषिकेश में बंजी जंपिंग कर सकते हैं। मोहन चट्टी बंजिंग जंपिग के लिए मशहूर है। इसके अलावा आप राॅक क्लाइंबिंग और क्लिफ जंपिंग का भी मजा ले सकते हैं।
4. लेह-लद्दाख: द अल्टीमेट विंटर एडवेंचर
घूमने का सबसे अच्छा समय: दिसंबर से फरवरी
यह बिल्कुल सही क्यों है: लेह-लद्दाख ठंड के महीनों के दौरान एक जादुई शीतकालीन वंडरलैंड में बदल जाता है, जो बर्फ से ढकी चोटियों, जमी हुई झीलों और रोमांच और संस्कृति के लिए एकदम सही वातावरण प्रदान करता है। यह अत्यधिक शीतकालीन परिदृश्य, सांस्कृतिक तल्लीनता और भारत की कुछ सबसे साहसिक गतिविधियों का अनुभव करने का स्थान है। यह उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में स्थित है। यहाँ के लोगों की प्रकृति, संस्कार एवं रहन-सहन तिब्बत से प्रभावित है। पूर्वी भाग में अधिकांश लोग बौद्ध हैं। यहाँ बौद्धों का सबसे बड़ा धार्मिक संस्थान है।
क्या अनुभव करें:
चादर ट्रेक: रोमांचकारी आनन्द के लिए आप लेह- लद्दाख में जमी हुई ज़ांस्कर नदी पर चुनौतीपूर्ण शीतकालीन ट्रेकिंग में शामिल हो सकते हैं। सर्दियों में बर्फ से जमी हुई नदी की यात्रा बर्फ पर चलने का एक अलौकिक अनुभव प्रदान करती है। चादर ट्रेक भारत के लद्दाख के ज़ांस्कर क्षेत्र में चिलिंग गांव के पास से शुरू होता है और जमी हुई ज़ांस्कर नदी पर आगे बढ़ता है। चादर ट्रेक साल के सबसे ठंडे महीनों में होता है जब ज़ांस्कर नदी जम जाती है ज़ांस्कर नदी पर सर्दियों में बनने वाली बर्फ की चादर के कारण इसे चादर ट्रेक कहा गया है । इस प्रकार जमी हुई नदी एक चुनौतीपूर्ण लेकिन शानदार बर्फीले रास्ते में बदल जाती है।
बौद्ध मठ: लिकिर मठ या लिकिर गोम्पा लद्दाख में स्थित एक बौद्ध मठ है जो लेह के पश्चिम में लगभग 62 किमी की दूरी पर स्थित है। हेमिस मठ लद्दाख का सबसे समृद्ध मठ है। यह तिब्बती बौद्ध धर्म के कारग्यूड वंश के संस्थापक कश्मीरी बौद्ध संत नरोपा और उनके गुरु तिलोपा से संबद्ध है। थिक्से मठ मध्य लद्दाख का सबसे बड़ा मठ है। इसे 15 वीं शताब्दी में, तिब्बती बौद्ध धर्म के गेलुग्पा संप्रदाय के संस्थापक जे त्सोंगखापा के एक शिष्य, चांगसेम्स शेसरब जांगपो द्वारा 1433 में स्टैगमो मठ के निर्माण के तुरंत बाद बनाया गया था। इसके संस्थापक पालदान जांगपो थे। यहाँ आप क्षेत्र की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अनुभव कर पाएंगे।
जमी हुई पैंगोंग झील: पैंगोंग रेंज चुशुल के पास से शुरू होती है और पंगोंग झील के साथ साथ करीब 100 किलोमीटर तक लद्दाख रेंज के समानान्तर चलती है। इसमें श्योक नदी और नुब्रा नदी की घाटियां भी शामिल हैं जिसे नुब्रा घाटी कहा जाता है। सर्दियों में जब यह जम जाती है तो पैंगोंग झील की यात्रा करें, जिससे बर्फ से ढकी चोटियों की पृष्ठभूमि में चमचमाती नीली बर्फ का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।
5. जयपुर, राजस्थान: एक रॉयल विंटर रिट्रीट
घूमने का सबसे अच्छा समय: नवंबर से फरवरी
यह उत्तम क्यों है: यदि आप सर्दियों में राजस्थान के जादू का अनुभव करना चाहते हैं, तो जयपुर घूमने के लिए सबसे अच्छे स्थलों में से एक है। गुलाबी शहर के रूप में जाना जाने वाला जयपुर अपने आश्चर्यजनक महलों, किलों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। सर्दियों का मौसम जयपुर शहर का भ्रमण करने का सही समय है, क्योंकि तापमान गर्मियों की तुलना में कहीं अधिक सुखद होता है। प्रमुख दर्शनीय स्थलों में सिटी पैलेस, जंतर मंतर, हवा महल, गोविंद देवजी का मंदिर, सरगासूली, राम निवास बाग,गुड़िया घर, बी एम बिड़ला तारामण्डल आदि हैं। इन स्थानों पर घूमकर आप जयपुर की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासतों के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं।
क्या अनुभव करें:
अंबर किला: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल, राजसी अंबर किले को अमेरिका का किला कहा जाता है। यह जयपुर के आमेर में ऊँची एक पहाड़ी पर स्थित है। यह जयपुर का प्रमुख पर्यटक स्थल है और यह अपने आप मनोरम दृश्यों के लिए जाना जाता है। इस किले के तक पहुंचने के लिए आप हाथी या जीप की सवारी करके जा सकते हैं। इस महल के भीतर पानी के झरने के ऊपर बहने वाली हवाओं द्वारा कृत्रिम रूप से एक ठंडा वातावरण बनाया गया है। इस किले में दीवान-ए-आम, दीवान-ए-ख़ास, शीश महल (दर्पण महल) जिसे जय मंदिर कहा जाता है, और सुख निवास शामिल हैं। यह महल लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है।
सिटी पैलेस और हवा महल: सिटी पैलेस में विभिन्न कारखाने, गैलरी, रेस्तरां और संग्रहालय, ट्रस्ट के कार्यालय हैं। इसमें धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी स्थान है। सिटी पैलेस के तीन मुख्य प्रवेश द्वार हैं। यहाँ पर कई वास्तुशिल्प, वास्तुशिल्प, स्मारक, उद्यान और पिरामिड हैं। परिसर में सबसे प्रमुख और सबसे अधिक अवलोकन वाली संरचनाएं चंद्र महल, मुबारक महल, श्री गोविंद देव मंदिर और सिटी पैलेस संग्रहालय हैं। चंद्र महल सिटी पैलेस परिसर की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। इसमें सात मंजिलें हैं। इसके अलावा यहाँ मोर महल और घंटा भी देखने योग्य जगह है। आप प्रतिष्ठित हवा महल, या पैलेस ऑफ़ विंड्स को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे।
सांस्कृतिक अनुभव: यहां बहुत सारे हिंदू त्योहार पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाए जाते हैं। शीतला माता मेला, मकर संक्रांति मेला, बनेश्वर मेला, शीतला माता महोत्सव, मेवाड़ महोत्सव, नागौर महोत्सव, और रेगिस्तान महोत्सव जयपुर की सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत प्रदर्शन है। यह शहर अपने पारंपरिक हस्तशिल्प, स्थानीय बाजारों और राजस्थानी व्यंजनों के लिए जाना जाता है। यहाँ पहुँच कर आप जयपुर की जीवंत संस्कृति का अनुभव करेंगे। यदि आप सर्दियों में जयपुर आते हैं, तो आप विभिन्न स्थानीय त्योहारों और मेलों को भी देख सकते हैं। राजस्थानी संस्कृति और रंगीन त्योहारों की भूमि के भोजन में राजस्थानियों की परंपरा शामिल है, जो कम पानी का उपयोग करते हैं और सब्जियों और मांसाहारी भोजन दोनों का सेवन करते हैं। सांस्कृतिक विरासत के उदाहरणों में दृश्य कला, भोजन, कपड़े और वास्तुकला की शैलियां प्रमुख हैं।
6. केरल: सुखदायक बैकवाटर्स और सांस्कृतिक आनंद
घूमने का सबसे अच्छा समय: नवंबर से फरवरी
यह बिल्कुल सही क्यों है: केरल दक्षिण भारत का एक राज्य है जो अपने खूबसूरत समुद्र तटों, हरी-भरी पहाड़ियों और बैकवाटर के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर इसकी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए “भगवान का अपना देश” कहा जाता है। केरल देश विदेश के पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। अधिकांश लोग केरल को उष्णकटिबंधीय समुद्र तटों और बैकवाटर से जोड़ कर देखते हैं। यह राज्य सर्दियों में एक पूरी तरह से अलग अनुभव प्रदान करता है। ठंड के महीने में आपको केरल की सांस्कृतिक समृद्धि का पता लग सकता है। केरल को कम भीड़-भाड़ और सुखद मौसम के साथ इसकी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पसंद किया जाता है।
क्या अनुभव करें:
बैकवाटर क्रूज़: अलेप्पी और कुमारकोम अपने खूबसूरत नज़ारों के लिए जाने जाते हैं। ये बैकवाटर में बोट क्रूज़ के शुरुआती बिंदु हैं। अलेप्पी हाउसबोट से कुमारकोम हाउसबोट की दूरी मात्र 32.6 किमी है क्योंकि ये वेम्बनाड झील के दो कोने हैं। आप नाव से भी कुमारकोम से अलेप्पी जा सकते हैं।
कुमारकोम बीच मनोरंजक गतिविधियों और जल क्रीड़ाओं के लिए जाना जाता है यहाँ आप केरल की सबसे बड़ी झील वेम्बनाड झील में झिलमिलाते पानी और हरे-भरे वातावरण के लुभावने दृश्य देखकर भावविभोर हुए बिना नहीं रह सकते हैं। इस यात्रा में आप हरे-भरे परिदृश्यों और पारंपरिक केरल के गांवों के बीच से गुजरते हुए सर्दियों की ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं।
सांस्कृतिक त्यौहार: केरल एक ऐसी संस्कृति को दर्शाता है जो सभ्य जीवन शैली को आत्मसात करके विकसित हुई है। केरल में जनजातीय और लोक कलाओं में कुम्माटिकली दक्षिण मालाबार का प्रसिद्ध रंगीन मुखौटा-नृत्य है, जो ओणम के त्योहार के दौरान किया जाता है। यह केरल के सबसे अधिक प्रसिद्ध सांस्कृतिक त्योहारों में से एक है। दूसरा प्रसिद्ध त्रिशूर पूरम उत्सव, केरल के त्रिशूर ज़िले में मनाया जाने वाला एक वार्षिक मंदिर उत्सव है। यह उत्सव वडक्कुनाथन मंदिर में आयोजित होता है। इस त्योहार में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस त्योहार में 50 से ज़्यादा सजे-धजे हाथियों की धार्मिक यात्रा निकाली जाती है। इस त्योहार में पारंपरिक संगीत बजाए जाते हैं। इस त्योहार में आतिशबाजी का प्रदर्शन किया जाता है। कोच्चि में कथकली और मोहिनीअट्टम नृत्य प्रदर्शन किया जाता है।
हिल स्टेशन: मून्नार केरल का प्रमुख हिल स्टेशन है। यहाँ दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी भी है जो 2,695 मीटर की है। आनामुड़ी ट्रैकिंग की अच्छी जगह है। इसके पास तीन पहाड़ी धाराएँ मुतिरापूझा, नल्लथन्नी और कुंडला मिलती हैं। यहाँ के जंगलों और घास के मैदानों में पाए जाने वाली विशेष वनस्पति नीलाकुरिंजी है। यह नीला फूल बारह वर्षों में एक बार खिलता है। यहाँ पर चाय के बागान हैं। मून्नार के पास का एक मुख्य आकर्षण इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान है।
वायनाड अपने विशाल मसाला बागानों, धुंध से ढके पहाड़ों और विविध वन्य जीवों के लिए जाना जाता है। वायनाड प्रकृति प्रेमियों, इतिहास के प्रति उत्साही और रोमांच चाहने वालों के लिए एक अच्छा हिल स्टेशन है। वायनाड अपने आश्चर्यजनक परिदृश्यों जैसे लुढ़कती पहाड़ियाँ, हरे-भरे जंगल और लहरदार झीलों के लिए जाना जाता है।
निष्कर्ष:
भारत में सर्दियों के जादू को अपनाएं
भारत में सर्दी के मौसम में मनोरंजन की दृष्टि से विभिन्न गंतव्य उपलब्ध हैं जो आपकी सभी रुचियों को पूरा करते हैं। इनमें हिमालय में बर्फ से ढकी चोटियाँ और साहसिक खेलों से लेकर तमाम सांस्कृतिक धरोहर शामिल हैं। आप कहीं भी जाकर आनन्द का अनुभव करेगें। चाहे आप स्कीइंग और ट्रैकिंग के साथ रोमांच की तलाश में समृद्ध विरासत और संस्कृति में खुद को डुबाना चाहते हों, या पहाड़ों की बर्फीली सुंदरता का आनंद लेना चाहते हों, भारत के शीतकालीन भ्रमण सभी के लिए कुछ न कुछ प्रदान करते हैं। तो आप अपना बैग पैक करें और एक अविस्मरणीय अनुभव के लिए भारत के शीतकालीन स्थलों के आकर्षण का आनन्द लेने के लिए निकल पड़ें।